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Gratuity को लेकर क्‍या हैं नियम, किन लोगों को मिलती है और कैसे होता है कैलकुलेशन?

नौकरीपेशा लोग ग्रेच्‍युटी के बारे में जरूर जानते होंगे, फिर चाहे वो सरकारी कर्मचारी हों या प्राइवेट नौकरी करने वाले. लेकिन ज्‍यादातर लोगों को इससे जुड़े नियमों का पता नहीं होता. ग्रेच्‍युटी के लिए कौन से कर्मचारी हकदार होते हैं और इसकी कैलकुलेशन कैसे की जाती है, ये बातें अक्‍सर लोगों को पता नहीं होती.

Gratuity को लेकर क्‍या हैं नियम, किन लोगों को मिलती है और कैसे होता है कैलकुलेशन?
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 26 Feb 2025 4:00 PM IST

अगर आप नौकरी करते हैं तो आपने ग्रेच्युटी का नाम जरूर सुना होगा. नौकरी सरकारी हो या प्राइवेट, एक निश्चित समय सीमा के बाद कर्मचारी ग्रेच्‍युटी पाने के हकदार होते हैं. लेकिन ज्‍यादातर लोग इसे लेकर नियमों से अनजान होते हैं. तो कब मिलती है ग्रेच्युटी और कौन-कौन से कर्मचारी होते हैं इसके हकदार, इस खबर में हम आपको विस्‍तार से बता रहे हैं.

ग्रेच्युटी (Gratuity) वह एकमुश्त राशि होती है जो किसी कर्मचारी को निश्चित समय तक एक ही जगह काम करने के बदले दी जाती है. ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत ग्रेच्युटी नियम अनिवार्य हैं. इस अधिनियम को 21 अगस्त 1972 को संसद द्वारा पारित किया गया था और 16 सितंबर 1972 को लागू कर दिया गया था. इसके अंतर्गत सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के विभाग, रक्षा निकाय आते हैं. साथ ही प्राइवेट कंपनियां भी, जो तय शर्तों को पूरा करती हैं, इसके अंतर्गत आ सकती हैं. इस अधिनियम के तहत, 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी संगठनों को अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युइटी देनी होती है.

किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होता है:

कर्मचारी को कम से कम 5 वर्ष तक एक ही संस्‍थान में काम करना चाहिए. इसके अलावा उसकी नौकरी समाप्‍त होने के ये कारण हो सकते हैं..

  • रिटायरमेंट
  • इस्‍तीफा
  • मौत या डिसेबिलिटी (इन मामलों में 5 वर्ष की शर्त लागू नहीं होती)
  • कंपनी में छंटनी या कंपनी का बंद हो जाना

ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का फॉर्मूला

ग्रेच्युटी को कैसे कैलकुलेट करें, ये अधिकतर लोग नहीं जानते. लेकिन उसे नीचे लिखे फॉर्मूले से कैलकुलेट किया जा सकता है.

ग्रेच्युटी = (लास्‍ट सैलरी × जितने साल नौकरी की × 15) ÷ 26

अंतिम वेतन = बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता

नौकरी के साल = यदि सेवा के वर्ष 6 महीने से अधिक हैं, तो उसे एक पूर्ण वर्ष माना जाता है

उदाहरण के लिए अगर किसी कर्मचारी का अंतिम वेतन 50,000 रुपये है और उसने 20 साल तक काम किया है, तो उसकी ग्रेच्युटी होगी:

(50,000 × 20 × 15) ÷ 26 = 5,76,923

ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा

सरकारी नियमों के अनुसार, किसी भी कर्मचारी को अधिकतम 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी दी जा सकती है और इस पर कोई इनकम टैक्‍स नहीं लगता. लेकिन अगर कोई कंपनी इस सीमा से ज्‍यादा पेमेंट करती है तो उस पर टैक्‍स देना पड़ सकता है.

ग्रेच्युटी पर टैक्‍स को लेकर क्‍या हैं नियम?

बात करें ग्रेच्युटी पर लगने वाले टैक्‍स की तो सरकारी कर्मचारियों के लिए यह पूरी तरह टैक्‍स फ्री होती है, यानी इस पर कोई भी टैक्‍स नहीं लगता है. लेकिन प्राइवेट सेक्‍टर में इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये है. और अगर ग्रेच्युटी की‍ रकम 20 लाख से ज्‍यादा होती है तो उस पर आयकर के नियमों के अनुसार ही टैक्‍स लगाया जाता है. ग्रेच्युटी का भुगतान कर्मचारी के आवेदन करने के 30 दिनों के भीतर ही करना होता है. अगर इसमें देर होती है तो कंपनी को ब्‍याज भी भरना पड़ता है.

कब रोकी जा सकती है ग्रेच्‍युटी

कई बार यह भी सवाल उठता है कि क्‍या किसी कर्मचारी की ग्रेच्‍युटी रोकी जा सकती है? इसका जवाब है हां, विशेष परिस्थितियों में किसी कर्मचारी की ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है. अगर कोई कर्मचारी अनुशासनहीनता, घोटाला, गबन, लड़ाई झगड़े, या कंपनी को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है और इन वजहों से नौकरी से निकाला जाता है, तो उसकी ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है.

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