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असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वालों के लिए खुशखबरी! अब नहीं देनी होगी NET की परीक्षा, क्या है नई एलिजिबिलिटी?

Assistant Professor - NET: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) अपने नए मसौदा दिशा-निर्देशों के साथ उच्च शिक्षा में बदलाव ला रहा है. जिसके तहत, कम से कम 55% अंकों के साथ एमई और एमटेक स्नातकोत्तर छात्र नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) पास किए बिना सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकता है.

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वालों के लिए खुशखबरी! अब नहीं देनी होगी NET की परीक्षा, क्या है नई एलिजिबिलिटी?
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Assistant Professor - NET
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 8 Jan 2025 2:01 PM IST

Assistant Professor - NET: अगर आप असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सपना देख रहे हैं, तो ये खबर बिल्कुल आपके लिए है. अब आपके लिए ये राह और भी आसान हो जाएगा, क्योंकि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी कि UGC ने इसके एलिजिबिलिटी में बदलाव किया है. UGC ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और प्रमोशन के लिए न्यूनतम योग्यताओं के साथ-साथ हायर एजुकेशन में मानकों को बनाए रखने के उपायों का मसौदा जारी किया है.

UGC के मुताबिक, अब असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी कि NET पास करना जरूरी नहीं है. ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की राह से एक बैरियर हट चुका है, तो देर किस बात की अब लग जाइए अपने सपनों को उड़ान देने की तैयारी में. नए नियम के मुताबिक, कम से कम 55% नंबर के साथ ME या MTech में पोस्ट-ग्रेजुएट की डिग्री रखने वाले उम्मीदवार सहायक प्रोफेसर (प्रवेश स्तर के पद) के लिए एलिजिबल होंगे. फिलहाल, सहायक प्रोफेसर की पात्रता के लिए यूजीसी-नेट परीक्षा अनिवार्य आवश्यकता है.

कुलपति पद के लिए दिशा-निर्देश

दिशा-निर्देशों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी के कुलपति पद के लिए सेलेक्शन अखिल भारतीय समाचार पत्र विज्ञापन और सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से होगा. आवेदन नामांकन या खोज-सह-चयन समिति के प्रतिभा खोज प्रक्रिया के माध्यम से भी मांगे जा सकते हैं. ये नियम कुलपति की खोज-सह-चयन समिति की संरचना, कार्यकाल, आयु सीमा, फिर से नियुक्ति के लिए एलिजिबिलिटी और खोज-सह-चयन समिति का गठन कौन कर सकता है, इस पर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश देते हैं.

प्रिंसिपल की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश

दिशा-निर्देशों में प्रिंसिपल की नियुक्ति का भी जिक्र किया गया है. नए दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रिंसिपल की नियुक्ति पांच साल के लिए की जाएगी, जिसमें प्रिंसिपल के चयन के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके एक और कार्यकाल के लिए फिर से नियुक्ति की एलिजिबिलिटी होगी. हालांकि, वह एक ही कॉलेज में केवल दो कार्यकाल के लिए प्रिंसिपल के रूप में काम कर सकता है.

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