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उदयनिधि स्टालिन ने एक बार हिंदी भाषा को लेकर दिया बयान, कहा- 'हमारी पहचान को नष्ट कर देगी'

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने हिंदी भाषा को लेकर बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि हम हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन अगर हम अपनी भाषा की रक्षा करने में विफल रहे, तो हिंदी हमारी संस्कृति पर कब्ज़ा कर लेगी और हमारी पहचान को नष्ट कर देगी.

उदयनिधि स्टालिन ने एक बार हिंदी भाषा को लेकर दिया बयान, कहा-  हमारी पहचान को नष्ट कर देगी
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 3 Nov 2024 3:30 PM

तमिनाडु के उपमुख्यमंत्री अकसर अपने बयानों को लेकर खूब सुर्खियां बटौरते हैं. एक कार्यक्रम में बोलते हुए शनिवार को उन्होंने भाषा को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में क्षेत्रीय सिनेमा की स्थिति को देखें. क्या उत्तर भारत के किसी भी राज्य में किसी अन्य भाषा का फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की तरह जीवंत है? इसका जवाब बिल्कुल नहीं है.

उन्होंने भाषाई पहचान की रक्षा में सिनेमा की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कैसे तमिल, मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ सिनेमा स्वतंत्र रूप से विकसित हुए और जीवंत फिल्म उद्योगों के रूप में जीवित रहे, जबकि उत्तर में, "केवल हिंदी फिल्मों - बॉलीवुड - को व्यापक ध्यान मिलता है."

सिनेमा पर दिया बयान

मनोरमा हॉर्टस में आयोजित कला और साहित्य कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ने सिनेमा की ताकत पर जोर दिया और कहा कि यह मनोरंजन से कहीं ज्यादा है. इस दौरान उन्होंने ये तथ्य पेश किए कि दक्षिणी भारत में सांस्कृतिक संरक्षण पर कहा कि उत्तरी राज्यों में हिंदी के प्रभुत्व के बिल्कुल विपरीत है.

सिनेमा जगत को दिया नया रूप

वहीं इस दौरान उदयनिधि ने (दिवंगत द्रमुक नेता) एम.के करुणानिधि की प्रसिद्ध फिल्मों से एक परशक्ति पर कहा कि इस फिल्म ने तमिल सिनेमा जगत की स्क्रीन भाषा को एक नया रूप दिया है. उन्होंने कहा केरेला में इस तरह हमारा एक संपन्न उद्योग है. उदयनिधि बोले कि दरअसल, मुझे हाल के दिनों में बनी ज्यादातर मलयालम फिल्में पसंद हैं. इसी तरह, तेलुगु और कन्नड़ फिल्म उद्योग भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

जवाब नहीं में है

कार्यक्रम में लोगों से सवाल करते हुए कहा कि क्या किसी उत्तर भारतीय राज्य में किसी अन्य भाषा में दक्षिण भारत जैसा जीवंत फिल्म उद्योग है? जवाब बहुत बड़ा नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय राज्यों में बोले जाने वाली भाषाओं में हिंदी ने अपनी जगह बनाई है. इसी के परिणामस्वरूप केवल हिंदी फिल्में - बॉलीवुड - हैं और मुंबई अब बड़े पैमाने पर केवल हिंदी फिल्में ही बना रहा है.

उन्होंने कहा कि न मराठी फ़िल्में, न भोजपुरी; उदयनिधि ने कहा, ''बिहारी, हरियाणवी और गुजराती फिल्म उद्योगों को बॉलीवुड की तुलना में बहुत कम ध्यान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी भाषा की रक्षा करने में विफल रहे, तो हिंदी हमारी संस्कृति पर कब्ज़ा कर लेगी और हमारी पहचान को नष्ट कर देगी. डीएमके नेता ने कहा, इसीलिए हमने हिंदी विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया, इसलिए नहीं कि हमें हिंदी भाषा से कोई नफरत थी.

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