अब रटने नहीं, समझने पर फोकस! CBSE लाएगा डिजिटल प्लेटफॉर्म, बदल जाएगा स्कूल परीक्षाओं में असेसमेंट का तरीका
CBSE ने NEP 2020 के तहत एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की योजना बनाई है, जिससे शिक्षकों को अब कॉम्पिटेंसी-बेस्ड अस्सेसमेंट बनाने में मदद मिलेगी. यह प्लेटफॉर्म रटने की बजाय छात्रों की समझ, विश्लेषण और समस्या समाधान की क्षमता को आंकने पर केंद्रित होगा. इससे 27,000 से अधिक स्कूलों में परीक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और शिक्षा को और अधिक व्यावहारिक बनाया जाएगा.
भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी चल रही है. अब बच्चों की परीक्षा में सिर्फ याददाश्त नहीं, बल्कि समझने और लागू करने की क्षमता का आकलन होगा. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा है जो पूरे देश में स्कूल आकलन प्रणाली को पूरी तरह बदल देगा.
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उस विज़न को जमीन पर उतारने की दिशा में है, जिसमें कहा गया था कि “रटने वाली शिक्षा” को खत्म कर “सीखने और समझने” पर जोर दिया जाए.
शिक्षा में डिजिटल क्रांति की दस्तक
CBSE का यह डिजिटल प्लेटफॉर्म शिक्षकों को उच्च गुणवत्ता वाले ‘कौशल आधारित मूल्यांकन’ (Competency-Based Assessments) तैयार करने में मदद करेगा. यह प्लेटफॉर्म शिक्षकों को प्रश्न निर्माण, समीक्षा, विश्लेषण और आकलन डिज़ाइन के सभी टूल एक ही जगह उपलब्ध कराएगा. यह कदम CBSE के उस बड़े मिशन का हिस्सा है, जो शिक्षा को “परीक्षा-केंद्रित” से “सीखने-केंद्रित” बनाने पर केंद्रित है. अब बच्चों का मूल्यांकन उनके समझने, सोचने और प्रयोग करने की क्षमता पर आधारित होगा, न कि सिर्फ रटे हुए उत्तरों पर.
पहले से हो चुकी हैं कई सुधार की शुरुआत
CBSE ने हाल के वर्षों में अपनी परीक्षा प्रणाली में कई सुधार किए हैं. कक्षा 10वीं और 12वीं के प्रश्नपत्रों में अब 50% प्रश्न ऐसे होते हैं जो ‘कंपीटेंसी-बेस्ड’ होते हैं. इनसे छात्रों की अवधारणात्मक समझ और वास्तविक जीवन में उपयोग करने की क्षमता की जांच होती है. कक्षा 3, 5 और 8 के लिए CBSE पहले ही “Structured Assessment for Analysing Learning” (SAFAL) कार्यक्रम चला रहा है. यह रिपोर्ट कार्ड की तरह नहीं, बल्कि सीखने में अंतर और सुधार के अवसर बताने वाला उपकरण है.
गुणवत्ता पर नजर रखेगा SQAAF
स्कूल क्वालिटी एसेसमेंट एंड एश्योरेंस फ्रेमवर्क (SQAAF) के तहत स्कूलों को खुद का मूल्यांकन करना पड़ता है. विशेषज्ञ टीमें स्कूलों की गुणवत्ता समीक्षा करती हैं ताकि शिक्षण प्रक्रिया में निरंतर सुधार हो सके. इन सुधारों को संस्थागत रूप देने के लिए CBSE ने “Centre of Excellence in Assessment” (CEA) की स्थापना की है. यह संस्था देशभर के लिए एक राष्ट्रीय प्रश्न बैंक तैयार करेगी और उच्च स्तरीय मूल्यांकन मानक तय करेगी.
AI से लैस होगा प्लेटफॉर्म
यह डिजिटल सिस्टम AI और NLP तकनीक से लैस होगा, जो प्रश्नों की मौलिकता, कठिनाई स्तर और सटीकता की जांच करेगा. इसमें प्लेज़रिज्म डिटेक्शन और बायस एनालिसिस जैसी सुविधाएं भी होंगी, ताकि हर प्रश्न निष्पक्ष और गुणवत्तापूर्ण हो. देशभर के 27,000 से ज्यादा CBSE स्कूलों के शिक्षक इस प्लेटफॉर्म से जुड़ेंगे. वे न केवल प्रश्न तैयार कर सकेंगे बल्कि राष्ट्रीय प्रश्न बैंक में अपना योगदान भी दे सकेंगे. हर प्रश्न को समीक्षा के कई स्तरों से गुजरना होगा ताकि गुणवत्ता बनी रहे.
डेटा से शिक्षा की दिशा तय होगी
यह सिस्टम सीखने के ट्रेंड्स का डेटा विश्लेषण करेगा, जिससे यह पता चलेगा कि किन विषयों में छात्र मजबूत हैं और कहां सुधार की जरूरत है. इससे स्कूलों की रिपोर्ट तैयार होगी और नीति निर्माण में सटीक डेटा उपलब्ध होगा. शिक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यह पहल भारत में “डेटा-ड्रिवन लर्निंग सिस्टम” की नींव रखेगी. CBSE की यह योजना न सिर्फ मूल्यांकन पद्धति बदलेगी, बल्कि छात्रों में रचनात्मकता, तर्कशक्ति और समस्या समाधान की क्षमता भी बढ़ाएगी. एक CBSE अधिकारी के अनुसार, “अब परीक्षा याददाश्त की नहीं, सोचने की होगी. यही असली शिक्षा सुधार है.”





