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संन्यासी बनकर बैठा था एसिड अटैकर! भक्त बन बेंगलुरु पुलिस ने किया गिरफ्तार

बेंगलुरु में अप्रैल 2022 में महिला अपने ऑफिस जा रही थी, तभी उसके पड़ोसी नागेश बाबू ने उस पर सल्फ्यूरिक एसिड फेंक दिया. इससे अटैक से उसके हाथ, छाती, सिर, पीठ और पैर गंभीर रूप से झुलस गए. आरोपी को पकड़ने में दो सप्ताह लग गए और विभिन्न राज्यों में तलाशी अभियान चलाया गया, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई.

संन्यासी बनकर बैठा था एसिड अटैकर! भक्त बन बेंगलुरु पुलिस ने किया गिरफ्तार
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( Image Source:  canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 22 Dec 2024 3:15 PM IST

Bengaluru Police: बेंगलुरु में साल 2022 में एक महिला पर एडिस अटैक किया गया. जिससे उसके शरीर का काफी हिस्सा झुलस गया. अस्पताल में लंबे समय तक पीड़िता का इलाज चला. महिला पर हमला करने वाला आरोपी साधु बनकर किसी आश्रम में रह रहने लगा फिर पुलिस ने एक तलाशी अभियान चलाकर उसे गिरफ्तार किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2022 में महिला अपने ऑफिस जा रही थी, तभी उसके पड़ोसी नागेश बाबू ने उस पर सल्फ्यूरिक एसिड फेंक दिया. इससे अटैक से उसके हाथ, छाती, सिर, पीठ और पैर गंभीर रूप से झुलस गए. आरोपी को पकड़ने में दो सप्ताह लग गए और विभिन्न राज्यों में तलाशी अभियान चलाया गया, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई.

क्या था मामला?

पीड़िता (24) अपने चाचा के घर पर रहती थी और बैंकिंग परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही थी. इसके चाचा के मकान में किराए पर आरोपी नागेश बाबू रहता था. उसे महिला के सामने कई बार प्यार का इजहार किया, लेकिन उसने मना कर दिया. 27 अप्रैल 2022 को नागेश ने उसका पीछा किया और जबरन शादी करने की कोशिश की. इस बार महिला ने इसकी जानकारी अपने चाचा-चाची को दी. इसके बाद नागेश से कमरा खाली करा दिया. अगले दिन नागेश ने महिला पर एसिड अटैक कर भाग गया. पीड़िता के परिजन ने पुलिस में नागेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर जांच शुरू कर दी.

दो सप्ताह तक नहीं मिला आरोपी

जानकारी के अनुसार, पुलिस इस मामले में नागेश की तलाश करती रही लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिल रहा था. उसे पकड़ने के लिए पुलिस को दो सप्ताह लग गए और विभिन्न राज्यों में तलाशी अभियान चलाया गया. 200 से अधिक पुलिस कर्मियों की एक टीम दक्षिण भारत के राज्यों में फैल गई. पुलिस अधिकारी ने कहा, गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र भी हर दिन पुलिस अधिकारियों से जानकारी ले कर रहे थे. नागेश बाबू की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कई नागरिक समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया. क्योंकि यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया था.

सूत्रों से पता चला कि नागेश का मोबाइल फोन आखिरी बार बेंगलुरु ग्रामीण के होसकोटे में एक्टिव था, जो तमिलनाडु सीमा के भी करीब है. नागेश ने आखिरी फोन अपने भाई को किया था जिसमें उसने अपराध स्वीकार कर लिया. होसकोटे छोड़ने से पहले उसने मोबाइल फोन को तोड़ दिया. पुलिस अधिकारी ने कहा, नागेश की तलाश में कई टीमों ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में कई जगहों का दौरा किया.

संन्यासी बन छुप रहा था आरोपी

नागेश का कुछ पता चलने के बाद पुलिस से जनता से मदद मांगी और उसके जगह-जगह पोस्टर लगा दिए दो सप्ताह तक कुछ जानकारी नहीं मिली. फिर एक दिन अचानक 13 मई, 2022 को बेंगलुरु पुलिस को तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले से एक सूचना मिली. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, एक भक्त से जानकारी मिली थी कि आश्रम में एक संन्यासी नागेश बाबू जैसा दिखता है.

बेंगलुरु के दो पुलिसकर्मी भक्तों के वेश में आश्रम गए और नागेश बाबू पकड़ लिया. वह एक सन्यासी के वेश में था और आश्रम के अधिकारियों की मदद कर रहा था. घटना के बाद राज्य सरकार ने पीड़िता के इलाज का खर्च उठाया क्योंकि उसे कई सर्जरी से गुजरना पड़ा. राज्य सरकार ने उन्हें नौकरी भी दी. पीड़िता के चाचा ने कहा कि वह डिप्रेशन में थी लेकिन मीडिया और जनता के समर्थन ने उसे वापस लौटने में मदद की. उन्होंने कहा, "वह अब अपने जीवन में अच्छा कर रही है."

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