तुलसी चबूतरे में डाल दिए प्राइवेट पार्ट के बाल, अब कोर्ट ने पुलिस को दिया सख्त कार्रवाई का आदेश
केरल के गुरुवायुर में एक होटल के मालिक अब्दुल हकीम ने हिंदू धर्म में पवित्र प्रतीक तुलसी के पौधे के साथ अश्लील और अपमानजनक हरकत की. अब केरल हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के पुलिस को निर्देश दिए हैं.

केरल में तुलसी के पोधे का अपमान करना एक शख्स के लिए मुसीबत बन गया. केरल हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया है कि वह तुलसीथारा का अपमान करने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ 'कानून के अनुसार उचित कार्रवाई' करे. तुलसीथारा या तुलसी चबूतरा हिंदू घरों के सामने एक ऊंचा मंच है, जिस पर पवित्र तुलसी का पौधा लगा होता है.
जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन की बेंच ने अलप्पुझा के रहने वाले 32 साल के श्रीाज आर ए की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को यह निर्देश दिया. श्रीराज को एक वीडियो अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जिसमें अब्दुल हकीम नामक व्यक्ति 'तुलसिथारा का अपमान' कर रहा था.
वीडियो बनाने वाले के खिलाफ ही पुलिस ने दर्ज किया था केस
गुरुवायूर (त्रिशूर) के मंदिर पुलिस स्टेशन ने श्रीराज के खिलाफ दो समुदायों के बीच दुश्मनी भड़काने और अशांति फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया था. हालांकि, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी और इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई कि अब्दुल हकीम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि श्रीराज को गिरफ्तार कर लिया गया.
मंदिर परिसर में होटल चलाता है अब्दुल हकीम
अदालत ने कहा, "तुलसीथारा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है. वीडियो में अब्दुल हकीम को अपने निजी अंगों के बाल उखाड़कर 'तुलसीथारा' में डालते हुए देखा जा सकता है. यह निश्चित रूप से हिंदू धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है. ऐसा लगता है कि अब्दुल हकीम के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. बताया जाता है कि वह गुरुवायूर मंदिर परिसर में एक होटल का मालिक है."
मुख्य आरोपी के खिलाफ क्यों नहीं हुइ कार्रवाई
इसके आगे अदालत ने कहा, "वह होटल अब भी चल रहा है और लगता है कि यह वही व्यक्ति मालिक और लाइसेंस धारक के रूप में संचालित कर रहा है. उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी है. ऐसे व्यक्ति को पुलिस ने बिना कोई मामला दर्ज किए छोड़ दिया, जबकि याचिकाकर्ता (श्रीराज) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया."
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि हकीम मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति है, लेकिन अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया और सवाल उठाया कि अगर वह मानसिक रोगी है, तो उसे गाड़ी चलाने की अनुमति कैसे दी गई? अदालत ने जांच अधिकारी को इस पहलू की भी जांच करने के निर्देश दिए.