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कर्तव्य पथ पर संविधान की झांकी, विपक्ष को दे गया बड़ा संदेश; जानें अंबेडकर की आवाज के साथ क्या था खास

जब संविधान की झांकी कर्तव्य पथ पर से गुजर रही थी, तो दर्शक दीर्घा में बैठी जनता को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की आवाज सुनाई दी. यह संविधान की ऐतिहासिक भूमिका और इसके महत्व को उजागर कर रही थी. संविधान की झांकी को देख प्रधानमंत्री मोदी अपनी खुशी को रोक न पाए और हाथ हिलाकर झांकी का स्वागत किया.

कर्तव्य पथ पर संविधान की झांकी, विपक्ष को दे गया बड़ा संदेश; जानें अंबेडकर की आवाज के साथ क्या था खास
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 26 Jan 2025 5:44 PM

गणतंत्र दिवस का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. दिल्ली के ऐतिहासिक कर्तव्य पथ पर कार्यक्रमों की धारा बही. इस खास मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबियांतो समेत कई सम्मानित अतिथियों ने शिरकत की.

इस अवसर पर 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा 10 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की झांकियां प्रदर्शित की गईं. इन झांकियों में एक झांकी ने सबका दिल जीत लिया वह थी संविधान की झांकी, जिसमें भारतीय संविधान और इसके जनक बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की आवाज गूंज रही थी.

पीएम ने संविधान की झांकी का किया स्वागत

संविधान की झांकी को देख प्रधानमंत्री मोदी अपनी खुशी को रोक न पाए और हाथ हिलाकर झांकी का स्वागत किया. यह केवल एक दृश्य नहीं था, बल्कि एक संदेश भी था. संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और उसका सम्मान, खासकर तब जब विपक्ष बार-बार यह आरोप लगा रहा था कि मोदी सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर सकती है.

विपक्ष ने लगाया संविधान खत्म करने का आरोप

पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया था कि अगर 2024 में फिर से मोदी सरकार बनी तो संविधान को खत्म कर दिया जाएगा. इन दावों को लेकर उन्होंने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए और संविधान बचाने का नारा बुलंद किया. विपक्षी नेताओं ने चुनावों में यह संदेश फैलाया कि मोदी सरकार संविधान के मूल्यों से खिलवाड़ कर सकती है. चुनाव के परिणामों में इन आरोपों का कुछ असर भी दिखा और भाजपा ने अपने लक्ष्य से कम सीटें हासिल कीं.

विपक्ष के नैरेटिव पर अटैक

लेकिन गणतंत्र दिवस पर सरकार ने संविधान की झांकी से विपक्ष के इस नैरेटिव पर करारा प्रहार किया. यह संदेश साफ था कि सरकार संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में कभी भी पीछे नहीं हटेगी. संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए विपक्ष को भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, न कि केवल आलोचना में ही उलझे रहना चाहिए.

झांकी में क्या था?

झांकी में जो विशेष था, वह था उसकी रचनात्मकता और गहरे अर्थ. कर्तव्य पथ पर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की झांकी में संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ को उल्लेखित किया गया. झांकी का एक हिस्सा अशोक चक्र था, जो जीवन के निरंतर प्रवाह और समय के पहिए को दर्शाता था. इसके पीछे भारत का संविधान रखा गया था, जो उस निरंतरता को सिद्ध करता है. पूरी झांकी को रंग-बिरंगे प्राकृतिक फूलों से सजाया गया था, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और सुंदरता को दिखाते थे.

आंबेडकर की आवाज ने चौंकाया

जब संविधान की झांकी कर्तव्य पथ पर से गुजर रही थी, तो दर्शक दीर्घा में बैठी जनता को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की आवाज सुनाई दी. यह संविधान की ऐतिहासिक भूमिका और इसके महत्व को उजागर कर रही थी. उन्होंने 17 दिसंबर 1946 को संविधान के लक्ष्य पर जो बातें कही थीं, वही शब्द आज भी गूंज रहे थे कि "हमारी समस्या अंतिम लक्ष्य को लेकर नहीं है, हमारी समस्या शुरुआत को लेकर है."

राष्ट्रपति ने दिया संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर संविधान की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता के समय देश में गरीबी और भुखमरी की स्थिति थी, लेकिन हमारे आत्मविश्वास ने हमें कभी टूटने नहीं दिया. उन्होंने कहा, "आज हम जिन ठोस प्रयासों से अपने देश की मानसिकता बदल रहे हैं, वह संविधान के महान उद्देश्य का पालन कर रहे हैं." गणतंत्र दिवस पर संविधान की यह झांकी सिर्फ एक ऐतिहासिक पल नहीं थी, बल्कि यह भारत के संविधान के प्रति सबकी श्रद्धा और इसके संरक्षण के लिए एक सशक्त संदेश था.

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