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Supreme Court slams CBI: सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार: ‘CBI में इतनी हिम्मत भी नहीं कि यहां आए?’

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स फंड हेराफेरी मामले में पेश न होने पर CBI को फटकार लगाई. जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि नोटिस जारी होने के बावजूद एजेंसी का अनुपस्थित रहना अस्वीकार्य है. याचिका में SIT जांच की मांग की गई थी. अदालत ने कहा कि गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच जरूरी है और केंद्रीय एजेंसियों को रिपोर्ट पेश करनी चाहिए. केंद्र ने एक हफ्ते का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर किया. अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी.

Supreme Court slams CBI: सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार: ‘CBI में इतनी हिम्मत भी नहीं कि यहां आए?’
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( Image Source:  sci.gov.in )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 22 July 2025 10:27 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड) से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अनुपस्थिति पर सख्त रुख अपनाया. शीर्ष अदालत ने कहा कि नोटिस जारी होने के बावजूद एजेंसी का कोर्ट में पेश न होना गंभीर लापरवाही है. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी की, “हम इस रवैये को स्वीकार नहीं कर सकते. जब नोटिस दिया जा चुका है, तो एजेंसी को पेश होना ही चाहिए. यह कैसे कहा जा सकता है कि वे सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं होंगे?”

यह मामला गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और फंड हेराफेरी से जुड़ा है, जिसमें इंडियाबुल्स के प्रमोटर्स के खिलाफ SIT जांच की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि कोई प्रीडिकेट ऑफेंस दर्ज नहीं हुआ था. इस पर CBI से जांच की गुहार लगाई गई. हालांकि, शीर्ष जांच एजेंसी के कोर्ट में अनुपस्थित रहने से सुप्रीम कोर्ट बेहद नाराज नजर आया. अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच करें और रिपोर्ट पेश करें.

मामले की सुनवाई के दौरान कई अहम टिप्पणियां हुईं. आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम -

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका सुन रहा था जिसमें हाईकोर्ट ने इंडियाबुल्स के प्रमोटर्स पर फंड हेराफेरी के गंभीर आरोपों की जांच के लिए कोर्ट-निगरानी वाली SIT जांच की मांग को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कहा है कि ‘कोई प्रीडिकेट ऑफेंस नहीं होने के कारण वह कार्रवाई नहीं कर सकता.’ इसके बाद CBI को केस दर्ज करने का अनुरोध किया गया.

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

बेंच ने कहा कि आरोप बेहद गंभीर हैं और केंद्रीय एजेंसियों को इसकी जांच करनी चाहिए थी. अदालत ने कहा, “ये फंड हेराफेरी के आरोप हैं. निष्पक्षता के लिहाज से केंद्रीय एजेंसियों को जांच कर रिपोर्ट पेश करनी चाहिए थी.” कोर्ट ने यह भी कहा, “CBI को नोटिस सर्व किया गया था, फिर भी वे यहां आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए?”

केंद्र की दलील और अगली तारीख

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से एक हफ्ते का समय मांगा ताकि निर्देश लिए जा सकें. कोर्ट ने समय देते हुए कहा कि CBI को कार्रवाई के लिए औपचारिक शिकायत की जरूरत नहीं है. “उन्हें और क्या जानकारी चाहिए? रिकॉर्ड पहले से मौजूद है.” वहीं, कंपनी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी सालों से काम कर रही है और उसके खिलाफ अब तक कोई शिकायत नहीं आई. मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी.

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