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13 साल तक आरोप, 13 मिनट में बरी! रेप केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- लड़की की मर्जी से हुआ था रिश्ता

सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल पुराने रेप और किडनैपिंग केस में युवक को बरी कर दिया. युवक और लड़की 2012 में हैदराबाद भाग गए थे और दो महीने तक साथ रहे. ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने उसे दोषी माना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिश्ता सहमति से था. लड़की ने गवाही में जबरदस्ती की बात नहीं कही. कोर्ट ने पुलिस जांच और आरोपों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सबूतों से न तो अपहरण साबित होता है और न ही रेप.

13 साल तक आरोप, 13 मिनट में बरी! रेप केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- लड़की की मर्जी से हुआ था रिश्ता
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( Image Source:  sci.gov.in )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 18 July 2025 8:42 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल पुराने रेप और किडनैपिंग केस में अहम फैसला सुनाते हुए एक युवक को बरी कर दिया. यह मामला 2012 का है जब युवक और एक कॉलेज छात्रा साथ में हैदराबाद भाग गए थे और दो महीने तक साथ रहे. लड़की की मां ने चार दिन बाद गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर युवक के खिलाफ किडनैपिंग और रेप का केस दर्ज हुआ.

ट्रायल कोर्ट ने युवक को सात साल की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने घटाकर दो साल कर दिया. लेकिन युवक 13 साल तक केस लड़ता रहा. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों और लड़की के बयान का अध्ययन करने के बाद कहा कि दोनों के बीच रिश्ता सहमति से था. कोर्ट ने यह भी कहा कि लड़की ने अपनी गवाही में कहीं नहीं कहा कि युवक ने जबरदस्ती की. इसके अलावा, वह दो महीने तक बिना किसी विरोध के उसके साथ रही, जिससे यह साबित होता है कि मामला अपहरण या रेप का नहीं है.

दो महीने साथ रहे युवक-युवती

यह मामला 4 अगस्त 2012 का है, जब युवक अपनी दोस्त की बहन को लेकर शादनगर, हैदराबाद चला गया. दोनों ने वहां दो महीने साथ बिताए. लड़की की मां ने चार दिन बाद यानी 8 अगस्त को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.

एक्सीडेंट बना केस दर्ज होने की वजह

12 अक्टूबर को युवक का एक्सीडेंट हुआ और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान लड़की घर लौट आई. लड़की के बयान पर पुलिस ने युवक के खिलाफ किडनैपिंग और रेप का मामला दर्ज किया. ट्रायल कोर्ट ने युवक को सात साल की सजा सुनाई थी, जबकि हाईकोर्ट ने इसे घटाकर दो साल कर दिया. लेकिन दोनों ने युवक को दोषी माना.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- रिश्ता सहमति से था

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि लड़की ने अपनी गवाही में कहीं नहीं कहा कि युवक ने उसे जबरदस्ती घर से निकाला या धोखा दिया. कोर्ट ने कहा, "लड़की दो महीने तक युवक के साथ रही और एक्सीडेंट के बाद भी दो दिन उसके साथ अस्पताल में रही." सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़की ने केवल शारीरिक संबंध की बात स्वीकार की, यह नहीं कहा कि यह उसकी मर्जी के खिलाफ हुआ. इसलिए रेप का आरोप साबित नहीं होता.

सुप्रीम कोर्ट
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