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CJI बनने की राह पर जस्टिस पंचोली? सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर बवाल, कॉलेजियम में शामिल जस्टिस नागरत्ना ने उठाए गंभीर सवाल

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल एम पंचोली और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है. अगर सरकार मंजूरी देती है तो सुप्रीम कोर्ट पहली बार लंबे समय बाद 34 जजों की पूरी क्षमता पर काम करेगा. हालांकि, कॉलेजियम की सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्ना ने पंचोली की नियुक्ति पर लिखित असहमति दर्ज की है.

CJI बनने की राह पर जस्टिस पंचोली? सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर बवाल, कॉलेजियम में शामिल जस्टिस नागरत्ना ने उठाए गंभीर सवाल
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( Image Source:  ANI )

Supreme Court Collegium Justice Vipul M Pancholi Appointment controversy: सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल एम. पंचोली को शीर्ष अदालत में नियुक्त करने की सिफारिश ने भीतर ही असहमति पैदा कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, कोलेजियम की सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है.

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने सरकार को दो नाम भेजे, जो बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अलोक अराधे और पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल एम. पंचोली का है. अगर सरकार मंजूरी देती है तो सुप्रीम कोर्ट की संख्या 32 से बढ़कर पूर्ण स्वीकृत क्षमता 34 हो जाएगी.

'कोलेजियम की पारदर्शिता पर खड़े हो सकते हैं सवाल'

जस्टिस नागरत्ना का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही गुजरात हाई कोर्ट से दो न्यायाधीश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और एनवी अंजरिया, मौजूद हैं. ऐसे में तीसरे जज की नियुक्ति क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ सकती है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि गुजरात से पटना तबादला होने के तुरंत बाद जस्टिस पंचोली को इतनी तेजी से सुप्रीम कोर्ट के लिए क्यों विचार किया गया. उनके अनुसार, यह एक 'गलत मिसाल' कायम कर सकता है और कोलेजियम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर सकता है.

2031 में CJI बन सकते हैं जस्टिस पंचोली

महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जगह मिलती है, तो अक्टूबर 2031 से वे लगभग दो वर्षों तक भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन सकते हैं. जस्टिस नागरत्ना ने चेतावनी दी कि यदि क्षेत्रीय संतुलन को नजरअंदाज किया गया तो यह 'न्यायपालिका के प्रशासन पर प्रतिकूल असर' डाल सकता है.

फिलहाल कोलेजियम में सीजेआई गवई और जस्टिस नागरत्ना के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ और जेके महेश्वरी शामिल हैं. यदि दोनों नामों को केंद्र सरकार मंजूरी देती है तो लंबे समय बाद सुप्रीम कोर्ट अपनी पूरी क्षमता 34 जजों के साथ काम करेगा.

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