पैसों की तंगी या कुछ और... अहमदाबाद में पांच लोगों की आत्महत्या ने खड़े किए सवाल, जांच में क्या चला पता?
अहमदाबाद के बगोदरा गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों ने जहरीला पदार्थ खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली. मृतकों में पति, पत्नी और तीन मासूम बच्चे शामिल हैं. रिक्शा चलाकर गुजर-बसर करने वाले विपुल वाघेला की आर्थिक तंगी को आत्महत्या की मुख्य वजह माना जा रहा है. घटना से इलाके में हड़कंप मच गया है। पुलिस जांच जारी है.

अहमदाबाद जिले के बगोदरा गांव में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना घटी जिसने पूरे इलाके को हिला दिया. यहां एक ही परिवार के पांच लोगों पति, पत्नी और उनके तीन छोटे बच्चों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली. ये परिवार मूल रूप से धोलका का रहने वाला था और बगोदरा में किराए के मकान में रह रहा था. इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची.
मृतकों की पहचान 34 वर्षीय विपुल वाघेला, उनकी पत्नी सोनल (26), और उनके तीन बच्चों बेटी सिमरन (11), बेटा मयूर (8) और बेटी प्रिंसी (5) के रूप में हुई है. विपुल रिक्शा चालक था और यही उनके परिवार की आजीविका का एकमात्र साधन था. प्रारंभिक जांच में घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, जिससे कारणों की पुष्टि नहीं हो सकी. लेकिन पुलिस और पड़ोसियों के अनुसार, परिवार लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा था.
पड़ोसियों को हुआ शक
शनिवार रात को जब परिवार का कोई भी सदस्य सुबह तक बाहर नहीं आया, तब पड़ोसियों को संदेह हुआ. दरवाजा खटखटाने और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर पुलिस को बुलाया गया. जब दरवाजा खोला गया तो अंदर का दृश्य स्तब्ध कर देने वाला था पांचों के शव एक ही कमरे में मिले. बताया जा रहा है कि सभी ने जहरीला पदार्थ खाकर जान दी.
जांच में जुटी फॉरेंसिक टीम
घटना की गंभीरता को देखते हुए अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस अधीक्षक, धंधुका एएसपी, एलसीबी, एसओजी और एफएसएल की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं. शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया गया है. पुलिस ने सामूहिक आत्महत्या की पुष्टि करते हुए मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है.
एक महीने से रह रहे थे किराए पर
मकान मालिक वधाभाई अमराभाई बोलिया ने बताया कि यह परिवार एक महीने पहले ही उनके मकान में किराए पर रहने आया था. उन्होंने ही सबसे पहले पुलिस को फोन कर सूचना दी. मकान मालिक के अनुसार, परिवार सामान्य लग रहा था लेकिन आर्थिक परेशानियों के संकेत कभी-कभार मिलते थे.
पहले भी सामने आ चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी गुजरात के मेहसाणा और साबरकांठा जिलों में आर्थिक तंगी के चलते परिवारों द्वारा सामूहिक आत्महत्याएं की जा चुकी हैं. 8 जून 2025 को मेहसाणा में एक दंपती ने अपने बच्चे के साथ नहर में कूदकर जान दे दी थी. 13 अप्रैल को वडाली में एक किसान परिवार ने ज़हर खाकर जान देने की कोशिश की थी, जिसमें पति-पत्नी की मौत हो गई थी.
समाज के लिए चेतावनी की घंटी
इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि कमजोर आय वर्ग के लोग गहरे आर्थिक और मानसिक संकट में हैं. सरकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा तंत्र की ज़मीनी हकीकत पर सवाल खड़े हो रहे हैं. यदि परिवारों को समय पर मदद मिले, तो शायद ऐसी त्रासदियां रोकी जा सकती हैं. मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक सहायताओं को प्रभावी बनाना अब समय की मांग बन चुका है.
सामाजिक असफलता का आईना
इस घटना को केवल 'सुसाइड' कह देना सच्चाई से मुंह मोड़ने जैसा होगा. यह सामाजिक संरचना की असफलता, बेरोज़गारी, आर्थिक हाशिए और टूटते पारिवारिक मनोबल का संकेत है. पांच जिंदगियों का यूं खत्म हो जाना हम सबके लिए चेतावनी है कि अब हमें संवेदनशीलता से नहीं, बल्कि ठोस नीतियों और ज़मीनी क्रियान्वयन से काम लेना होगा.