2100 और 2500 रुपये की कीमत तुम क्या जानो! महिलाओं के बदलते वोटिंग पैटर्न के पीछे की कहानी
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों से यह साफ हो गया है कि महिलाओं ने बड़ी संख्या में जिस पार्टी को वोट दिया है, उसी पार्टी की सरकार बनी है. इसकी बड़ी वजह महिलाओं के लिए शुरू की गई सरकार की योजनाएं रहीं. आइए महिलाओं के बदलते वोटिंग पैटर्न के पीछे की कहानी आपको बताते हैं...

महाराष्ट्र हो या झारखंड... सरकार बनाने में महिलाओं की अहम भूमिका रही. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहिन योजना, जबकि झारखंड में मैया सम्मान योजना गेमचेंजर साबित हुई. इससे पहले, मध्य प्रदेश में भी लाडली बहन योजना ने सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई.
ज्यादा नहीं, एक दशक पहले तक ही, ऐसा देखा जाता था कि चुनाव में महिलाएं वोट देने के लिए जल्दी घरों से नहीं निकलती थीं, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से यह परिपाटी बदलती हुई दिखी है. इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी, जहां महिलाओं ने नीतीश कुमार को अपना पूरा समर्थन दिया था. वजह थी नीतीश कुमार की शराबबंदी की नीति... जिसे महिलाओं ने हाथों हाथ लिया, लेकिन इधर कुछ चुनावों में महिलाओं के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह कुछ और नजर आती है. माना जा रहा है कि महिलाओं के खाते में पैसे देने की योजनाओं की इसमें सबसे बड़ी भूमिका रही है.
महिलाओं ने जिसे सपोर्ट किया, उसी पार्टी की बनी सरकार
पिछले कुछ चुनावों से यह साफ देखा जा सकता है कि महिलाओं ने जिसको भी सपोर्ट किया है, वह पार्टी सत्ता पर काबिज हुई है. महाराष्ट्र में चुनाव से ठीक पहले महिलाओं को महायुति गठबंधन की सरकार ने हर महीने 1500 रुपये देने की घोषणा की थी. बाद में एकनाथ शिंदे ने कहा कि अगर उनकी सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो इस राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये कर दिया जाएगा. सरकार से मिले पैसों का इस्तेमाल महिलाओं ने अपने बेटे की फीस भरने, दवाईयां लेने और लोन की किश्तें चुकाने में की.
महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफा
एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि लाडकी बहिण योजना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुआ. एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इस योजना के साथ अन्य योजनाओं ने भी महायुति को सरकार बनाने में मदद की. अगर 2019 के विधानसभा चुनाव की तुलना इस बार के विधानसभा चुनाव से करें तो महिला मतदाताओं की संख्या में लगभग 6 फीसदी का इजाफा देखने को मिला. ऐसा माना जा रहा है कि इन महिलाओं ने महायुति को वोट दिया.
महिलाओं ने लिखी महायुति की जीत की पटकथा
महाराष्ट्र में ऐसी कई सीटें हैं, जहां महायुति के उम्मीदवारों ने 6-7 हजार वोटों से जीत हासिल की है. इन सभी सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या में 5-6 हजार की बढ़ोतरी हुई है. इन महिलाओं ने ही महायुति की जीत की पटकथा लिखी है.
मैया सम्मान योजना से हेमंत सोरेन को मिला फायदा
उसी तरह, झारखंड में भी हेमंत सोरेन की सरकार ने इस साल अगस्त में मैया सम्मान योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत 21 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की वित्तीय सहायता मिलती है. इस योजना का ही नतीजा है कि सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा एक बार फिर से सत्ता पर काबिज हुई है.
क्या महिला केंद्रित होती जा रही है राजनीति?
झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों को देखने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब महिलाओं का एक अलग वोट बैंक बन गया है? क्या अब महिलाएं उस सरकार को वोट देती हैं, जो उनके हित में काम करती है? नतीजों से तो यही लग रहा है कि वोटिंग पैटर्न अब जेंडर के आधार पर शिफ्ट हो गया है. महिलाएं अब जाति और मजहब नहीं देखतीं हैं, बल्कि यह देखती हैं कि उनका फायदा किस पार्टी को वोट देने से होगा.
महिलाओं पर अब ज्यादा ध्यान दे रहे राजनीतिक दल
पिछले 10 सालों में यह देखा जा सकता है कि राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है. इसको सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने महसूस किया. उसने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले लाडली बहन योजना की शुरुआत की, जिसका फायदा यह हुआ कि वह फिर से सत्ता पर काबिज हो गई. इसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में भी महिलाओं को केंद्रित करके योजना की घोषणा की गई, जो बेहद कारगर साबित हुई. महिलाओं ने सत्ता विरोधी लहर को हावी नहीं होने दिया.
महिलाओं के लिए केंद्र सरकार नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 लेकर संसद में आई, जिसे लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराया गया. इस विधेयक के जरिए महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्यसभा में एक तिहाई सीटें आरक्षित की गई.
2019 में उज्ज्वला योजना बनी गेमचेंजर
2019 के लोकसभा के चुनाव में उज्ज्वला योजना गेमचेंजर साबित हुई थी. इस योजना के तहत महिलाओं को फ्री गैस सिलेंडर दिए गए. इससे धुएं से महिलाओं को मुक्ति मिली. ऐसे में महिलाओं ने सीधे तौर पर फायदा पहुंचाने वाली पार्टी को वोट देने में रुचि दिखाईं. महिलाओं को लगता है कि यही सरकार उनके लिए कुछ कर सकती है, क्योंकि पिछली सरकारों में उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिला था.
मध्य प्रदेश में लाडली बहनों ने बनाई बीजेपी की सरकार
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने 23 से 60 साल की उम्र वाली गरीब महिलाओं को 1000 रुपये हर महीने देने की घोषणा की. इससे 1.25 करोड़ महिलाओं को डायरेक्ट फायदा हुआ. इसी योजना ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के मंसूबों पर बुरी तरह पानी फेर दिया. उसे विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी करारी हार का सामना करना पड़ा.
नीतीश कुमार को भी महिलाओं का साथ
बिहार में नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है. उन्होंने 2007 में छात्राओं को साइकिल देने वाली योजना की शुरुआत की थी. इसका असर यह हुआ कि इन छात्राओं की माताओं ने नीतीश कुमार की पार्टी को वोट दिया. इसके बाद नीतीश सरकार ने दूसरा फैसला शराबबंदी का लिया, जिससे महिलाएं काफी खुश हुईं. इसकी वजह यह थी कि पति कमाई से मिले पैसों को शराब में उड़ा देते थे. इससे उनके पास पैसों की कमी रहती थी.
तेलंगाना में महिलाओं ने कांग्रेस का दिया साथ
तेलंगाना में भी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा, हर महीने 3000 रुपये और रसोई गैस सिलेंडर में 300 रुपये की छूट देने की घोषणा की थी. इसका जमकर असर हुआ और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. इससे पहले, कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार इन्हीं घोषणाओं के दम पर बनी थी. तमिलनाडु में जयललिता के लिए महिलाएं एक वोट बैंक थीं. उन्होंने महिलाओं के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की थी.
अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव होना है. आम आदमी पार्टी ने छह रेवड़ियों की घोषणा कर दी है. इसमें मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त शिक्षा के साथ ही महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा भी शामिल है. अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार दिल्ली के नतीजे कैसे रहते हैं.
महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच का अंतर घटा
महाराष्ट्र में इस बार 65.21 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 66.84 रहा. इससे पहले 2019 में 62.77 प्रतिशत पुरुष और 59.2 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था. झारखंड में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही. राज्य की 81 में से 68 सीटों पर महिलाओं ने अधिक मतदान किया. चुनाव में 91.16 लाख महिला मतदाताओं ने मतदान किया, जो पुरुषों के मतदान से 5.52 प्रतिशत अधिक है.
महिलाओं को वोट देने की अनुमति कब दी गई?
भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली. देश में हुए पहले आम चुनावों2100 और 2500 रुपये की कीमत तुम क्या जानो! महिलाओं के बदलते वोटिंग पैटर्न के पीछे की कहानी से ही महिलाएं वोट डालने लगी थीं. उन्हें वोट देने से कभी नहीं रोका गया.
महिला वोटरों की संख्या में इजाफा
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 83.4 करोड़ मतदाताओं में से 43.7 करोड़ पुरुष और 39.7 करोड़ महिलाए थीं. वहीं 2024 में मतदाताओं की कुल संख्या 96.8 करोड़ पहुंच गई है. इनमें पुरुषों की संख्या 49.7 करोड़, जबकि महिलाओं की संख्या 47.1 करोड़ है. इस तरह महिला वोटरों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इसकी बड़ी वजह केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को माना जाता है.