Begin typing your search...

अमान्य शादी में भी गुजारा भत्ता मांगने के होंगे हकदार, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है. अदालत का कहना है कि अगर किसी शादी को हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 के तहत अमान्य घोषित कर दिया जाता है. तब भी पति या फिर पत्नी गुजारा भत्ता मांगने के हकदार होंगे.

अमान्य शादी में भी गुजारा भत्ता मांगने के होंगे हकदार, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
X
( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 12 Feb 2025 8:21 PM

सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी 2025 को एक मामले पर सुनवाई कर बड़ी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि हिंदू मैरेज एक्ट 1955 के तहत अगर विवाह को अमान्य घोषित किया जाता है, तो भी पति या फिर पत्नी अधिनियम की धारा 25 के तहत गुजारा भत्ता मांगने के हकदार होंगे. अदालत में ये सुनवाई जस्टीस अभय एस, ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टीस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की.

दरअसल अदालत ने सुखदेव सिंह और सुखबीर कौर पति-पत्नी की याचिका पर यह फैसला सुनाया है. पति का कहना है कि उनकी शादी हिंदू मैरेज एक्ट 1955 के तहत अमान्य घोषित कर दी गई थी. इसलिए अब वह भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है.

गुजारा भत्ता का दावा नहीं कर सकते

वहीं अदालत में अपीलकर्ता के वकील ने यह दावा करते हुए कहा कि अगर कोई विवाह धारा 11 के तहत अमान्य घोषित किया गया है, तो ऐसे मामलों में पति या फिर पत्नी हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 के तहत स्थायी गुजारा या फिर रखरखाव का दावा नहीं कर सकते हैं. अदालत ने माना कि यदि दोनों पक्षों में से कोई एक व्यक्ति दूसरी शादी कर लेता है. या फिर दोनों ही पक्ष दूसरी शादी कर लेते हैं, तो शादी अमान्य हो जाती है. हालांकि इस मामले में अदालत ने पत्न के पक्ष में फैसला सुनाया है.

पत्नी के पक्ष में सुनाया फैसला

अदालत ने अपीलकर्ता द्वारा पेश किए गए तर्क को खारिज किया. साथ ही निर्णय लेते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि विवाह को अमान्य घोषित करने वाला अमान्यता का आदेश' अभी भी एचएमए की धारा 25 के तहत आदेश के रूप में योग्य है, जो स्थायी गुजारा भत्ते के लिए दावा करने की अनुमति देता है. वहीं हिंदू विवाद नियम 25 के तहत अदालत द्वारा किसी भी नियम पर फैसला पारित करने पर स्थायी रूप से गुजारा भत्ता देने की शक्तियां देती हैं.

वहीं इस पर अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि धारा 25 के तहत किसी भी फैसले में विवाह को अमान्य घोषित करने वाले फैसला शामिल नहीं होना चाहिए. अपीलकर्ता ने कहा कि अमान्य विवाह का किसी भी रूप से अस्तित्व है ही नहीं. इसलिए कोई भी पति या फिर पत्नी इस धारा के तहत लाभ का दावा नहीं कर सकती है.

India News
अगला लेख