शुभंकर सरकार बने बंगाल से कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष, क्या अब मिलेगा इंडिया गठबंधन को CM ममता का साथ?
पश्चिम बंगाल कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल चुका है. शनिवार को पार्टी ने शुभंकर सरकार को नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. अब लगातार यही अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या? इंडिया गठबंधन को ममता बनर्जी का साथ मिलेगा? या फिर अधीर रंजन चौधरी की तरह ही गठबंधन को विरोध का सामना करना पड़ेगा.

पश्चिम बंगालः पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने अध्यक्ष पद की कमान शुभंकर सरकार के हाथों सौंप दी है. वर्तमान में शुभंकर सरकार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) सचिव के पद पर कार्यरत थे.
बता दें कि इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष KC वेणुगोपाल ने आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में शुभंकर सरकार को नियुक्त किया जाता है. इसी के साथ-साथ ICC के सचिव पद से उन्हें मुक्त कर दिया गया है.
राहुल गांधी के करीबी हैं शुभंकर सरकार
आपको बता दें कि शुभंकर सरकार का नाता कांग्रेस से काफी पुराना है. इतना ही नहीं उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी काफी करीबी माना जाता है. 30 अगस्त 2024 को उन्हें बंगाल पार्टी सचिव के रुप में नियुक्त किया गया था. लेकिन अब पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष पद के लिए नियुक्त किया था. वो साल 2024 में ही अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम के राज्य प्रभारी नियुक्त किया गए थे. इतना ही नहीं साल 2013 और 2018 में शुभंकर सरकार ओडिशा के राष्ट्रिय सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
कार्यकर्ताओं की इच्छाओं के अनुसार करेंगे काम
बता दें कि अध्यक्ष चुने जाने के बाद शुभंकर सरकार की प्रतिक्रिया सामने आई, उन्होंने कहा कि कांग्रेस कमेटी पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छाओं के अनुसार ही काम करेगी. इसी के साथ उन्होंने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि लोगों की आकांक्षाएं पार्टी की आगे की दिशा का मार्गदर्शन करेंगी.
अधीर जैसे बंगाल सरकार के खिलाफ हैं?
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी सत्ता में रहने के बाद राज्य में लगातार आलोचना करते आए हैं. अब ऐसे में एक सवाल यह सामने आता है कि क्या नए अध्यक्ष शुभंकर सरकार भी बंगाल सरकार का समर्थन करेंगे या फिर ठीक वैसे ही अधीर रंजन की तरह ही बंगाल सरकार का विरोध करेंगे. वहीं आपको बता दें कि अधीर रंजन चौधरी को उनके पद से हटाए जाने का फैसला नया नहीं है. लोकसभा चुनाव से ही उन्हें पद से हटाने की अटकलें काफी तेज थी.