हमारे पास पावरफुल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं... मोहन भागवत बोले- हिंदू समाज की एकता ही भारत की असली ताकत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में वैश्विक आक्रामक ताकतों के खिलाफ भारत को सैन्य और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि दुष्ट शक्तियों की बुराई का मुकाबला करने के लिए केवल धर्म या संस्कृति नहीं, बल्कि ठोस ताकत की आवश्यकता है. भागवत ने आत्मनिर्भर भारत और हिंदू समाज की एकता को भारत की ताकत बताया. उन्होंने युवाओं को भारत की सुरक्षा और समृद्धि के लिए जिम्मेदारी लेने की प्रेरणा दी.

RSS Chief Mohan Bhagwat On Hindu Unity: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज की एकता और भारत की सैन्य एवं आर्थिक शक्ति को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि देश को 'दुष्ट शक्तियों की कुटिलता' से सुरक्षा प्रदान करने के लिए आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनाना आवश्यक है.
भागवत ने RSS से संबद्ध वीकली मैगजीन आर्गेनाइजर को दिए एक इंटरव्यू में हिंदू समाज से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर भारत को वैश्विक आक्रामकता का सामना करने में सक्षम बनाएं. यह बयान राष्ट्रीय एकता और आत्मबल पर आरएसएस की विचारधारा को दर्शाता है, जो बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए देश को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर देती है.
'हमें खुद की रक्षा करने में सक्षम होना चाहिए'
आरएसएस चीफ ने कहा कि दुनिया में ऐसी बुरी ताकते हैं, जो स्वभाव से ही आक्रमक है. ऐसे में हमारे पास शक्तिशाली होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि हम अपनी सभी सीमाओं पर बुरी ताकतों की दुष्टता देख रहे हैं. हमें खुद की रक्षा करने में सक्षम होना चाहिए.
'सच्ची शक्ति आंतरिक होती है'
भागवत ने यह भी कहा कि सच्ची शक्ति आंतरिक होती है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि केवल सद्गुणों के आधार पर कोई सुरक्षित नहीं रह सकता; इसलिए, सद्गुणों को शक्ति के साथ जोड़ना आवश्यक है. उन्होंने कहा, "केवल बल का प्रयोग दिशाहीन हो सकता है, जिससे अंधाधुंध हिंसा हो सकती है. इसलिए, शक्ति को धर्म के साथ जोड़ना चाहिए."
'हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं'
भागवत यह भी उल्लेख किया कि हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. हिंदू समाज की महिमा भारत की महिमा को बढ़ाएगी. उन्होंने कहा कि एक मजबूत हिंदू समाज वैश्विक स्तर पर हिंदुओं को शक्ति प्रदान करेगा. आरएसएस प्रमुख ने यह भी स्वीकार किया कि हिंदू समाज को मजबूत करने के प्रयास जारी हैं, और यह प्रक्रिया 'धीमी लेकिन स्थिर' है. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे, स्थिति बदल रही है.