रानी अब्बक्का से लेकर अहिल्याबाई होल्कर तक... RSS की राजनीति और बढ़ते महिला वोट बैंक को साधने पर नजर
पिछले साल आरएसएस ने रानी अब्बक्का से लेकर अहिल्याबाई होल्कर की जयंती मनाई. संघ के लिए इन तीनों महिला शासकों में एक और बात समान थी. यह हिंदू धर्म की रक्षा में उनकी भूमिका था. इसके बाद कहा जा रहा है कि अब संघ की राजनीति में वोट बैंक शामिल हो गया है.

अब महिलाएं राजनीति का अहम हिस्सा बनकर उभर रही है. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल उनके वोटों के लिए होड़ कर रहे हैं, ऐसे में आरएसएस भी अपनी विचारधारा को महिला नेतृत्व से जोड़ रहा है, क्योंकि यह संगठन पिछले कई सालों से उन महिलाओं की जयंती मना रहा है, जिन्होंने कभी मुगलों या पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ धावा बोला था.
अहिल्याबाई होल्कर और रानी दुर्गावती ने मुस्लिम शासकों को खदेड़ा था. वहीं, रानी अब्बक्का ने पुर्तगालियों से लड़ाई लड़ी थी. इसलिए इन तीनों महिलाओं के सम्मान में आरएसएस जयंती मना चुका है. हाल ही में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में दत्तात्रेय होसबोले ने रानी अबक्का की 500वीं जयंती पर कहा कि ' वह एक बेहतरीन प्रशासक, रणनीतिकार और वीर शासक थीं. उन्होंने अपने समय में कई शिव मंदिर बनवाए, जिससे समावेशिता का उदाहरण पेश किया.
कौन थी रानी अब्बक्का?
रानी अब्बक्का चौटा उल्लाल की पहली तुलुवा रानी थीं, जिन्होंने 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पुर्तगालियों से युद्ध किया था. वह चौटा राजवंश से संबंधित थीं, जो एक स्वदेशी तुलुवा राजवंश था, जिसने भारत के तटीय कर्नाटक (तुलु नाडु) के कुछ हिस्सों पर शासन किया था. उनकी राजधानी पुट्टीगे थी. उल्लाल का बंदरगाह शहर उनकी सहायक राजधानी के रूप में कार्य करता था. पुर्तगालियों ने उल्लाल पर कब्ज़ा करने के कई प्रयास किए क्योंकि यह रणनीतिक रूप से स्थित था, लेकिन अब्बक्का ने चार दशकों से अधिक समय तक उनके हर हमले को विफल कर दिया.
रानी दुर्गावती की जंयती
पिछले साल, आरएसएस ने 16वीं सदी की मध्य भारत की शासक रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती मनाने की घोषणा की थी. रानी दुर्गावती गोंडवाना की रानी थीं. उन्होंने गोंडवाना के राजा संग्राम शाह के बेटे राजा दलपत शाह से विवाह किया. अपने बेटे वीर नारायण के अल्पवयस्क होने के दौरान उन्होंने 1550 से 1564 तक गोंडवाना की रीजेंट के रूप में काम किया. उन्हें मुख्य रूप से मुगल साम्राज्य के खिलाफ गोंडवाना की रक्षा करने के लिए याद किया जाता है. एक महिला होने के बावजूद उन्होंने मुसलमानों को तीन बार हराया.
रानी अहिल्याबाई होल्कर के बारे में
पिछले साल लोकसभा चुनावों से पहले संघ ने इसी तरह मालवा की रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाने की घोषणा की थी. अहिल्याबाई ने अपने पति खंडेराव होलकर, ससुर मल्हार राव होलकर और बेटे माले राव होलकर की मृत्यु के बाद होलकर राजवंश के मामलों को संभाला. उन्होंने विभिन्न मंदिरों, घाटों और धर्मशालाओं के निर्माण के माध्यम से भारतीय वास्तुकला के विकास में योगदान दिया. उन्होंने आक्रमणों के खिलाफ इंदौर की रक्षा की और व्यक्तिगत रूप से युद्ध में सेनाओं का नेतृत्व किया, जिसमें उनके देवर तुकोजी राव होलकर उनके सैन्य कमांडर के रूप में कार्यरत थे.