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हर कोई परेशान... बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फूटा गुस्सा, दिया 10-10 लाख का मुआवजा देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में 2021 में हुए बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट ने 5 याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि मकान गिराने की प्रक्रिया अवैध थी और बिना उचित नोटिस के यह कार्रवाई की गई. इस फैसले को लेकर कोर्ट ने सरकार से संवेदनशीलता और उचित प्रक्रिया अपनाने की अपील की.

हर कोई परेशान... बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फूटा गुस्सा, दिया 10-10 लाख का मुआवजा देने का आदेश
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 1 April 2025 2:24 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में 2021 में हुए बुलडोजर एक्शन को लेकर मंगलवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट ऑथोरिटी को 5 याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया, जो कि 6 सप्ताह के भीतर दिया जाएगा. कोर्ट ने यह भी माना कि नोटिस मिलने के 24 घंटे के अंदर मकान गिराना गलत था और इसे अवैध करार दिया.

कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा इसलिए जरूरी है ताकि भविष्य में सरकारें बिना सही प्रक्रिया अपनाए लोगों के घर तोड़ने से बचें. जजों ने एक हालिया वीडियो का जिक्र भी किया, जिसमें एक बच्ची अपनी झोपड़ी से किताबें लेकर भागती हुई दिखाई देती है. यह दृश्य भावनात्मक रूप से दिल को छूने वाला था और सरकार की कार्रवाई के प्रति संवेदनशीलता की कमी को उजागर करता है.

पहले लगाई थी फटकार

इससे पहले, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी, जब वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों के घरों को बिना नोटिस दिए गिरा दिया गया था. याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कहा कि उन्हें मकान गिराए जाने की जानकारी महज एक दिन पहले दी गई थी, जिससे वे पूरी तरह से अचंभित और परेशान हो गए थे.

अधिकारियों की गलती पर भी उठाया सवाल

अदालत ने इस मामले में अधिकारियों की गलती पर भी सवाल उठाया. याचिकाकर्ताओं का दावा था कि अधिकारियों ने उन जमीनों को गलत तरीके से पहचान लिया था, जिन पर उनके घर बने थे. दरअसल, यह जमीन गैंगस्टर अतीक अहमद की थी, जिनकी हत्या 2023 में हो चुकी थी.

डाक से क्यों नहीं भेजा गया नोटिस?

सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्तीकरण नोटिस भेजने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया. राज्य के वकील ने दावा किया कि नोटिस संपत्तियों पर चिपकाए गए थे, लेकिन अदालत ने यह पूछा कि इन्हें पंजीकृत डाक से क्यों नहीं भेजा गया, जो अधिक वैध और सुरक्षित तरीका होता. न्यायमूर्ति ओका ने इस पूरी कार्रवाई को गंभीरता से लिया और कहा कि इस तरह के ध्वस्तीकरण को तुरंत रोका जाना चाहिए. उन्होंने मुआवजे का आदेश देते हुए कहा कि ऐसा करना ही एकमात्र तरीका है ताकि प्राधिकरण हमेशा उचित प्रक्रिया का पालन करे और भविष्य में ऐसी गलतियां न हों.

सुप्रीम कोर्ट
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