VIDEO: कराची बेकरी पर बजरंग दल का प्रदर्शन! विरोध में निकली भीड़, बोली- अब नहीं चलेगा 'पाक प्रेम'
हैदराबाद की मशहूर कराची बेकरी एक बार फिर विवादों में है. कुछ संगठनों ने इसके नाम पर आपत्ति जताते हुए इसे पाकिस्तान से जोड़कर देखा और नाम बदलने की मांग की. बेकरी के मालिकों ने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह भारतीय ब्रांड है, जिसकी स्थापना 1953 में विभाजन के समय पाकिस्तान से आए खानचंद रामनानी ने की थी। उन्होंने अपनी जन्मभूमि कराची की याद में इसका नाम रखा था.

हैदराबाद की मशहूर कराची बेकरी इन दिनों विवादों के केंद्र में है. बेकरी के नाम को लेकर कुछ संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ‘कराची’ नाम पाकिस्तान के शहर से जुड़ा है और इसे बदलना चाहिए. इस विवाद के बीच बेकरी प्रबंधन ने साफ किया है कि यह प्रतिष्ठान पूरी तरह भारतीय है और इसका नाम ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है.
कराची बेकरी की स्थापना 1953 में सिंधी प्रवासी खांचंद रामनानी ने हैदराबाद में की थी. वह 1947 के भारत-पाक विभाजन के दौरान कराची (अब पाकिस्तान) से विस्थापित होकर भारत आए थे. अपनी जन्मभूमि की याद में उन्होंने इस बेकरी का नाम “कराची बेकरी” रखा. प्रबंधन ने कहा, “यह बेकरी 73 वर्षों से हैदराबाद की पहचान रही है और इसका पाकिस्तान से आज कोई संबंध नहीं है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बेकरी पर भी जंग!
विरोध के बीच बेकरी के मालिकों ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और प्रशासन से अपील की है कि वे नाम बदलवाने के दबाव को रोकें. उन्होंने कहा, “हम भारतीय ब्रांड हैं. लोग हमारे आउटलेट्स पर तिरंगा लगाकर समर्थन जता रहे हैं. हम किसी भी तरह से पाकिस्तानी ब्रांड नहीं हैं. इस विरोध की अगुवाई जनजागरण समिति, स्थानीय बीजेपी और आरएसएस समर्थित संगठनों ने की. इन समूहों ने नारेबाजी और झंडे लहराकर नाम बदलने की मांग की. भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हाल में हुई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद इस मुद्दे ने और तूल पकड़ लिया है.
बजरंग दल की तेलंगाना इकाई ने चेतावनी दी है कि अगर बेकरी का नाम नहीं बदला गया, तो इसका बहिष्कार किया जाएगा. संगठन के संयोजक शिवराम ने कहा, 'पाकिस्तान से जुड़े नामों को अब बदलना ही होगा. अगर बेकरी प्रबंधन नहीं मानेगा तो हम खुद नाम बदल देंगे. विवाद की आग अब आंध्र प्रदेश तक फैल चुकी है.
विशाखापत्तनम में कराची बेकरी के आउटलेट पर भी तोड़फोड़ की कोशिशें हुईं और प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि नाम भारतीय पहचान वाला होना चाहिए. कराची बेकरी प्रबंधन ने जनता से अपील की है कि इस ऐतिहासिक विरासत को समझें और समर्थन दें, क्योंकि यह न केवल स्वाद की बल्कि विभाजन के इतिहास की भी एक अनमोल कहानी है.