गुरु दक्षिणा में मुझे PoK चाहिए... सेना प्रमुख को रामभद्राचार्य ने दी दीक्षा, बोले- तुम शस्त्र से लड़ो, मैं शास्त्र से
चित्रकूट के तुलसी पीठ आश्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भारतीय थलसेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी को राम मंत्र की दीक्षा दी और बदले में गुरुदक्षिणा के रूप में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) की मांग कर डाली. उन्होंने इसे रामायण की परंपरा से जोड़ा और कहा कि तुम शस्त्र से लड़ो, मैं शास्त्र से लड़ूंगा.

चित्रकूट के तुलसी पीठ आश्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को राम मंत्र की दीक्षा दी गई. समारोह सामान्य धार्मिक विधि जैसा दिखा, लेकिन अगले ही क्षण यह कूटनीतिक रंग ले बैठा. गुरु ने दक्षिणा में सीधे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की मांग रख दी. इस अनपेक्षित मोड़ ने साधना-स्थल को अचानक सामरिक विमर्श के केंद्र में ला दिया.
रामभद्राचार्य ने पत्रकारों को बताया कि वह उसी राम मंत्र की दीक्षा दे रहे थे जो सीता माता ने हनुमान को दिया था. दक्षिणा में उन्होंने केवल PoK मांगा. उनका तर्क था कि राष्ट्र को लंका-विजय जैसी प्रतीकात्मक सफलता अब कश्मीर मोर्चे पर दोहरानी चाहिए. धार्मिक मंच से उठी यह माँग जनता में रोमांच और संशय दोनों का स्रोत बन गई.
क्या सेना प्रमुख ऐसे दीक्षा ले सकते हैं?
हालांकि यह एक निजी और आध्यात्मिक यात्रा थी, लेकिन सवाल उठे कि क्या एक सक्रिय सेना प्रमुख को सार्वजनिक रूप से इस तरह दीक्षा लेना उचित है? सैन्य परंपराएं राजनीतिक और धार्मिक निरपेक्षता पर ज़ोर देती हैं, लेकिन भारत में ऐसा पहला उदाहरण नहीं है जब कोई अधिकारी आध्यात्मिक मार्ग पर चला हो. यह घटना बताती है कि एक संतुलन बनाना आवश्यक है. जहां राष्ट्र के अधिकारी अपनी व्यक्तिगत आस्था को सार्वजनिक ज़िम्मेदारियों से अलग रख सकें.
22 भाषाओं में पारंगत हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य
नेत्रहीन होकर भी 22 भाषाओं में पारंगत, 80 से अधिक ग्रंथों के रचयिता और दिव्यांग विश्वविद्यालय के संस्थापक रामभद्राचार्य केवल एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक चिह्न बन चुके हैं. उनकी मांग को केवल एक साधु की इच्छा नहीं, बल्कि राष्ट्र के भीतर चल रहे सांस्कृतिक आंदोलन की मांग के रूप में देखा जा रहा है.
क्या यह इशारा है भारत की अगली कूटनीतिक दिशा का?
रामभद्राचार्य की PoK वाली दक्षिणा की मांग को यूं तो आध्यात्मिक प्रतीकवाद माना जा सकता है, लेकिन यह देश की रणनीतिक सोच के एक पहलू को भी रेखांकित करता है. जनरल द्विवेदी पूर्व में कह चुके हैं कि अगर आदेश मिले, तो भारतीय सेना PoK पर कार्रवाई के लिए तैयार है. ऐसे में यह मुलाक़ात कूटनीतिक तौर पर एक सांकेतिक संदेश भी हो सकती है कि भारत अब अपने खोए भूभागों को केवल राजनीतिक स्तर पर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक स्तर पर भी पुनः दावा करने की स्थिति में है.