अंधेरी रात, भूरा कोट और काली टोपी, कार से निकला शख्स... सस्पेंस से भरी PM Modi ने सुनाई किसकी कहानी?
Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने 2025 की पहली 'मन की बात' में कई बातों पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने इस बार कई कहानियों के जरिए अपने अंदाज में देश के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने इस दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद और बाबा साहब का पुराना ऑडियो भी सुनाया.

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 के पहले और 118वें मन की बात कार्यक्रम में देश के सामने कई बातें रखी, जिसमें सबसे दिलचसस्प कहानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर थी. पीएम मोदी ने जिस तरह से उनका चित्रण किया और उनकी शौर्य की कहानी सुनाई, वो इस प्रोग्राम का सबसे खास हिस्सा रहा.
पीएम मोदी ने कहा, 'जरा कल्पना कीजिए कि कोलकाता में जनवरी का महीना चल रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर है और भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा का उबाल पर है. इस वजह से शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है. कोलकाता के बीचोबीच एक घर के आसपास पुलिस की मौजूदगी और भी ज्यादा सतर्क है.'
जब नेता जी ने ब्रिटिश शासन को दिया चकमा
उन्होंने आगे कहा, 'इसी बीच रात के अंधेरे में एक बंगले से एक लंबा भूरा कोट, पैंट और काली टोपी पहने एक शख्स कार में निकलता है. कई कड़ी सुरक्षा वाली चौकियों को पार करते हुए वह गोमो नामक रेलवे स्टेशन पर पहुंचता है. यह स्टेशन अब झारखंड में है. यहां से वह ट्रेन पकड़ता है और आगे बढ़ जाता है. इसके बाद वह ब्रिटिश शासन को चकमा देते हुए अफगानिस्तान होते हुए यूरोप पहुंचता है.'
'देश की महान शख्सियत थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस'
पीएम मोदी ने अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा, 'ये कहानी आपको किसी फिल्मी सीन जैसी लग सकती है. आप सोच रहे होंगे कि ऐसी हिम्मत दिखाने वाले इस शख्स में कौन सी हिम्मत थी! दरअसल, ये शख्स कोई और नहीं, हमारे देश की महान शख्सियत नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे. हम उनकी जयंती यानी 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाते हैं.'
दूरदर्शी थे सुभाष बाबू -पीएम मोदी
पीएम मोदी ने बताया कि कुछ साल पहले मैं उसी घर में गया था, जहां से वो अंग्रेजों को चकमा देकर भाग निकले थे. उनकी वो कार आज भी वहां मौजूद है. वो अनुभव मेरे लिए बहुत खास था. सुभाष बाबू दूरदर्शी थे. साहस उनके स्वभाव में समाया हुआ था. इतना ही नहीं वो बहुत कुशल प्रशासक भी थे. 27 साल की उम्र में वो कोलकाता कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने और उसके बाद उन्होंने मेयर का दायित्व भी संभाला.
नेताजी का रेडियो से था गहरा नाता
सुभाष चंद्र बोस को कुशल प्रशासक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'एक प्रशासक के तौर पर भी उन्होंने कई बड़े काम किए. बच्चों के लिए स्कूल, गरीब बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था और साफ-सफाई से जुड़े उनके प्रयास आज भी याद किए जाते हैं. नेताजी सुभाष का रेडियो से भी गहरा नाता था.'
नेताजी ने की थी 'आजाद हिंद रेडियो' की स्थापना
उन्होंने जो आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना की थी, उस पर लोग उन्हें सुनने के लिए उत्सुक रहते थे. उनके भाषणों ने विदेशी शासन के खिलाफ़ लड़ाई को नई ताकत दी. 'आजाद हिंद रेडियो' पर अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू में समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जाते थे.'