बच्चों की बोर्ड परीक्षा बनी पेरेंट्स का सर दर्द? एग्जाम सेंटर के बाहर फांदने लगे दीवार; तस्वीरें वायरल
इस समय सीबीएसई बोर्ड परीक्षा जारी है. बच्चे और पेरेंट्स दोनों ही स्ट्रेस में है. बच्चों को एग्जाम अच्छा जाए इसका स्ट्रेस और पेरेंट्स को उनका बच्चा अच्छा परफॉर्म करे इस बात का स्ट्रेस. इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है. जिसमें बोर्ड परीक्षा को लेकर पेरेंट्स को कितना स्ट्रेस है दिखाई दे रहा है.

जब सीबीएसई बोर्ड एग्जाम आता है तो ये सिर्फ छात्रों के लिए नहीं बल्कि परिजनों की चिंता का भी कारण बन जाता है. इस बात का प्रमाण भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर ने दे दिया है. दरअसल एक तस्वीर जो इस समय तेजी से वायरल हो रही है. इसमें कुछ पेरेंट्स एग्जाम सेंटर के बाहर खड़े दिखाई दिए. परेंट्स इस दौरान खड़े नहीं बल्कि दीवार को फांदते नजर आए.
जिस समय पेरेंट्स दीवार फांद रहे थे उस दौरान तस्वीर ले ली गई. जब यह सोशल मीडिया पर सामने आई तो इसपर एक बहस छिड़ गई. कई लोगों ने इसे माता-पिता का अपने बच्चों के लिए प्यार या फिर ओवरप्रोटेक्शन करार किया है. अपनी प्रतिक्रियाएं लोग इस वायरल तस्वीर पर दे रहे हैं.
क्या हो रही मदद?
आपको बता दें कि ये फोटो 20 जनवरी को चेन्नई CBSE के मीनाम्बक्कम स्कूल के बाहर टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से ली गई. जब सोशल मीडिया पर भी ये तस्वीर सामने आई तो बहस छिड़ गई. लोगों ने सवाल करना शुरू कर दिए कि इस तरह से बच्चों की मदद की जा रही है? या फिर पेरेंट्स बच्चों की चितांओं को और बढ़ा रहे हैं. दरअसल कुछ पेरेंट्स ऐसे थे जो ये जानने के लिए दीवार पर चढ़े कि आखिर एग्जाम से पहले उनके बच्चे रिवीजन कर भी रहे हैं या फिर नहीं.वहीं कुछ लोग दीवार से ही अपने बच्चों को मोटिवेशन देते नजर आए. ताकी एग्जाम में उनका बच्चा अच्छा परफॉर्म कर सके.
दीवार नहीं तो निकाला ये तरीका
अब कुछ माता-पिता ऐसे भी थे जो दीवार पर चढ़कर बच्चों को नहीं देख पा रहे थे. इसका उन्होंने अलग तरीका निकाल लिया और दीवार के छोटे छेदों में झांकने की कोशिश करते नजर आए. ताकी किसी तरह अपने बच्चे की एक झलक उन्हें देखने मिल जाए. इसी तरह परेंट्स ने अपने-अपने तरीके से बच्चों से उनकी तैयारियों का हाल जाना.
फोटो वायरल होने के बाद लोग बहस कर रहे हैं. कई सवाल किए जा रहे हैं. एक यूजर ने कहा कि एग्जाम के स्ट्रेस के समय माता-पिता की चिंता को कोई भी कम नहीं कर सकता. फिर सामने कितनी भी ऊंची दीवारे, कांटेदार तार, या फिर झांकने के लिए एक छोटा सा छेद ही क्यों न हो.