Pahalgam Terror Attack: पूर्व खुफिया-पुलिस अफसर बोले- TRF झूठा, भारत के पाले में गेंद, पाकिस्तान को 'औकात' बताए
पहलगाम नरसंहार के बाद लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े टीआरएफ की हालत पतली हो गई है. पांच दिन तक जिम्मेदारी लेने के बाद अब वह मुकर गया है. पूर्व खुफिया और पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठन हमेशा हमलों से इनकार करते हैं, जैसा 26/11 मुंबई हमले में हुआ था. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब ठोस कदम उठाकर पाकिस्तान और उसके पालित आतंकियों को उनकी औकात दिखानी चाहिए. पुलवामा के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक का हवाला देते हुए कहा गया कि इस बार भी पहलगाम नरसंहार का कड़ा जवाब जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसे हमले रोके जा सकें.

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम नरसंहार को लेकर अब तक ताल ठोंक रहे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ‘गुलाम’ और, ‘मुखौटा’ नाम से बदनाम द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ (The Resistance Front TRF) की हालत पतली है. कश्मीर घाटी में 22 अप्रैल 2025 को हुए उस खूनी मंजर को लेकर अब तक अपनी छाती ठोंक रहा टीआरएफ पांचवे दिन ‘पस्त’ हो गया. भारत की आंखें लाल और पाकिस्तान में भारत द्वारा मचाई जाने वाली संभावित तबाही से बेहाल, टीआरएफ शनिवार (26 अप्रैल 2025) को बोला-‘पहलगाम नरसंहार में हमारा हाथ नहीं है'.
भारतीय एजेंसियों ने हमारी बेवसाइट में घुसपैठ करके हमारी तरफ से खुद ही उस हमले की जिम्मेदारी ले डाली है. यह कश्मीर को लेकर चल रहे हमारे प्रतिरोध की बदनामी करने वाला भारत का कदम है.’ टीआरएफ 5 दिन बाद अचानक पहलगाम हमले की पहले अपने कंधों पर ले ली गई जिम्मेदारी से अचानक क्यों मुकर गया? भारत की ओर से मचाई जाने वाली संभावित ‘तबाही’ के खौफ से? या फिर इसमें भी पाकिस्तान और उसके यहां पल रहे आतंकवादी गुटों के आकाओं की कोई ‘चाल’ है?
खुफिया और पुलिस के पूर्व अधिकारी बोले
ऐसे कई अहम सवालों को दो टूक जवाब के लिए शनिवार शाम स्टेट मिरर हिंदी ने देश की खुफिया (RAW-IB), जांच एजेंसियों व पूर्व पुलिस अधिकारियों से बात की. मुसलिम देशों में करीब 16 साल तक ‘रॉ’ की तरफ से काम कर चुके डिप्टी-डायरेक्टर स्तर के एक अधिकारी बोले, ‘26/11 मुंबई सीरियल अटैक में तो पाकिस्तान अजमल कसाब को भारत में फांसी पर लटकाए जाने के वक्त तक, यही कहता रहा कि कसाब भी उसका नहीं है. और मुंबई आतंकवादी हमलों से उसका कोई लेना देना नहीं है. डेविड हेडली और तहव्वुर राणा को लेकर पाकिस्तान आज भी बाज नहीं आ रहा है. दोनो आतंकवादी अमेरिका में कबूल चुके हैं कि, 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों का पाकिस्तान ने इन्हीं दोनो को मास्टरमाइंड बनाया था.
सवाल पाकिस्तान के मानने न मानने का नहीं
यहां सवाल पाकिस्तान का और वहां पाले जा रहे आतंकवादी (Pakistani Terrorist) गुटों के मानने-न मानने का नहीं है. भारत को वही करना चाहिए जो उसकी खुफिया और जांच एजेंसियां आरोपियों के खिलाफ सबूत लाकर दें. जैसे अजमल कसाब का ही उदाहरण ले लीजिए. पाकिस्तान ने आखिरी सांस तक कभी अजमल कसाब (Terrorist Ajmal Kasab) को अपना नहीं माना. जबकि भारतीय एजेंसियों द्वारा कराए गए उसके नारको टेस्ट में पाकिस्तान और वहां मौजूद आतंकवादी गुट के आकाओं की खुद ही अपने मुंह से बखिया उधेड़ कर रख दी थी.
पाकिस्तान ने कसाब को भी अपना नहीं माना
भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी यानी आईबी के कश्मीर में लंबे समय तक तैनात रह चुके पूर्व अधिकारी ‘रॉ’ के अपने वरिष्ठ पूर्व अधिकारी की बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, भारत ने उसी अजमल कसाब को पाकिस्तानी आतंकवादी सबूतों और गवाहों के आधार पर साबित करके फांसी चढ़ा दिया. पाकिस्तान बहुत ही घाघ-मक्कार और धूर्त जो कहिए वही उसके लिए कम है. पाकिस्तान खुद क्यों मानेगा कि वह आतंकवादी देश है? यह तो पाकिस्तान के आतंक सीधा प्रभावित होने वाला भारत साबित करेगा कि, पाकिस्तान आतंकवादी और भारत का दुश्मन नंबर-1 देश है.
पहलगाम नरसंहार अब भारत के पाले में
1974 बैच के पूर्व आईपीएस और उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह (Rtd. DGP UP Police IPS Vikram Singh) स्टेट मिरर हिंदी से बोले, “पहलगाम नरसंहार को लेकर अब गेंद भारत के पाले में है. भारत की आंखों में क्रोध की लालिमा से ही पाकिस्तान और उसके आतंकवादी गुट के आकाओं की हालत खराब है. लश्कर-ए-तैयबा का गुलाम कहिए या फिर मुखौटा टीआरएफ अगर पहलगाम नरसंहार की पहले जिम्मेदारी लेने के बाद अब मुकर रहा है, तो समझ लीजिए चोर के पांव नहीं होते हैं. पाकिस्तान और आतंकवादी गुटों की बात या किसी भी दावे पर विश्वास नहीं करना है.
भारत अब पीछे हट ही नहीं सकता है
अब तो भारत जहां तक इस मामले में आगे बढ़ चुका है. उसे उससे आगे ही बढ़ना होगा. ताकि पाकिस्तान और उसकी गोद में पल रहे आतंकवादी गुटों को नेस्तनाबूद किया जा सके. यह तभी संभव होगा जब पहलगाम नरसंहार के वक्त और उससे पहले सो रही भारतीय खुफिया-जांच एजेंसियां अगर अब जाग गई हों, और वे सब हिंदुस्तानी हुकूमत को सटीक जानकारी दे सकें. ताकि भारत, पाकिस्तान को उसी खुफिया इनपुट पर औकात बता सके.”
पाकिस्तान को औकात बताने का मौका
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह बात जारी रखते हुए आगे कहते हैं, “भारत के पास यह सुनहरा मौका है कि वो टीआरएफ या पाकिस्तान के किसी भी ‘इनकार’ को नजरंदाज करते हुए, उसे उसकी औकात बता दे. अगर इस बार भारत ने कुछ ठोस नहीं किया तो, फिर पाकिस्तान और उसके आतंकवादी गुट फिर से चौड़े होकर सीना ठोंककर कहेंगे कि, पहलगाम नरसंहार के बाद भारत ने हमारा क्या बिगाड़ लिया. अगर पुलवामा कांड के बाद भारत ने साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को तबाह नहीं किया होता, तो अब तक भारत में कई पहलगाम और पुलवामा हो चुके होते.”
पहलगाम को कड़ा जवाब ही सही इलाज होगा
1986 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी और जम्मू कश्मीर राज्य के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक शेष पॉल वैद्य (Ex DGP Jammu and Kashmir IPS SP Vaid) स्टेट मिरर हिंदी से बोले, “मैं नहीं समझता कि पहलगाम कांड के बाद भी हम (हिंदुस्तानी हुकूमत) अब पाकिस्तान या टीआरएफ के किसी बयान पर विश्वास करेंगे. एक आतंकवादी गुट है और दूसरा (पाकिस्तान) आतंकवादी देश और भारत का दुश्मन नंबर-1 है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य बोले, भारत से न पाकिस्तान डरता है. न ही उसके यहां पल रहे आतंकवादी गुट. टीआरएफ ने शनिवार को जो दावा किया है कि, उसने पहलगाम अटैक को अंजाम नहीं दिया है. यह तो भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने ही षडयंत्र के तहत उसकी वेबसाइट में घुसपैठ करके, खुद ही टीआरएफ के सिर पर पहलगाम कांड की जिम्मेदार जबरदस्ती डाल दी है. यह सफेद झूठ के पुलिंदा के अलावा और कुछ नहीं है. पुलवामा का हिसाब बराबर करने के लिए भारत को जवाब तो देकर ही, अपने आगे के रास्ते मजबूत करने होंगे. ”
पुलवामा और पहलगाम जैसी आतंकवादी घटनाओं की पड़ताल से लगातार 2-3 दशक तक जुड़े रहने वाले, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव ने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि पहलगाम के खून के छींटे हमारी हुकूमत और हमारी एजेंसियां अपने अपने रूमाल में पोंछकर रख लेंगी. मुझे विश्वास है कि पुलवामा और पहलगाम में निर्दोषों की लाशें किसी को चैन से नहीं सोने देंगी. फिर चाहे वो भारत सरकार हो या फिर रॉ, आईबी-एनआईए हो.
सर्जिकल स्ट्राइक ने कई पहलगाम-पुलवामा बचाए
दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव आगे कहते हैं, “पाकिस्तान ने जो किया है. भारत उसको आसानी से नहीं पचा सकता. भारत जैसी ताकत अपने देश की जनता के प्रति तो जवाबदेह है ही. उसे पूरी दुनिया को भी जवाब देना है कि पहलगाम नरसंहार का जवाब उसने (भारत) पाकिस्तान को कैसे दिया? पुलवामा के बाद अगर भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को उसके घर-चूल्हे में घुसकर न पीटा होता, तो शायद अब तक भारत में न मालूम और कितने पुलवामा-पहलगाम हो चुके होते. पाकिस्तान और उसके आतंकवादी गुट क्यों मानेंगे कि वे सब, भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देकर उसकी सुरक्षा संप्रभुता से खेल रहा है? यह तो भारत की हुकूमत और उसकी एजेंसियों को अब तय करना है कि, पुलवामा का जवाब कैसे किस भाषा में देना है?”