एक ही रात में 'घोस्ट सिटी' बन गया पहलगाम, आतंक ने कश्मीर टूरिज्म को फिर घुटनों पर ला दिया
पहलगाम आतंकी हमले ने न केवल 28 निर्दोष जानें लीं, बल्कि कश्मीर के पुनरुत्थान की उम्मीदों को भी गहरा आघात पहुंचाया. हमले के बाद टूरिज्म बुकिंग्स में 38% गिरावट, ₹150 करोड़ का नुकसान और होटल कैंसल की बाढ़ आ गई. स्थानीय व्यापारी सदमे में हैं और हजारों कश्मीरियों की आजीविका खतरे में है. एक बार फिर घाटी में भय का माहौल लौट आया है.

पहलगाम, जो अभी कुछ दिन पहले तक पर्यटकों की हंसी और बाजारों की चहल-पहल से गूंज रहा था. अब एक अनकही चुप्पी में घिर चुका है. जिस यानर राफ्टिंग पॉइंट पर लोग कभी एडवेंचर के लिए आते थे, वहीं अब राफ्टिंग नहीं, राहत की उम्मीद है. उमर मजीद, जो पेशे से एक शेफ हैं, अब अपने बंद रेस्तरां 'दाना रसोली' के बाहर खामोश खड़े हैं. वह बताते हैं कि कैसे कुछ ही घंटों में उनकी दुनिया पलट गई. कल तक मैं 300 से ज्यादा ग्राहकों को अकेले हैंडल करता था. आज सिर्फ सन्नाटा है. लोग कहते हैं ये बुरा वक्त है, पर ये सिर्फ वक्त नहीं, एक दर्द है, जो हर दुकान, हर गली में महसूस हो रहा है.
कश्मीर के शांत और सुंदर पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि आतंकवाद का उद्देश्य सिर्फ जान लेना नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक ढांचे को भी ध्वस्त करना है. 22 अप्रैल 2025 को जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, उस समय घाटी में हजारों पर्यटक मौजूद थे, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे. हमले में 28 निर्दोष लोगों की मौत हो गई.
टूरिज्म का पुनर्जागरण संकट में
2019 में अनुच्छेद 370 हटने और कोविड महामारी के बाद, कश्मीर में पर्यटन धीरे-धीरे फिर से पटरी पर लौट रहा था. वर्ष 2024 में पर्यटन का रिकॉर्ड बना 2.36 करोड़ पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर की वादियों की सैर की, जो कि आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है. केवल पहलगाम में ही साल 2024 में लगभग 3.1 लाख पर्यटक पहुंचे थे. इस आतंकी हमले के बाद से पर्यटन बुकिंग्स में 38% की गिरावट दर्ज की गई है.
आतंकी हमले की आर्थिक चोट
पर्यटन उद्योग घाटी की रीढ़ है. 2023-24 में जम्मू-कश्मीर की GSDP में पर्यटन का योगदान ₹13,250 करोड़ के आसपास था. हमले के बाद शुरुआती अनुमान के अनुसार घाटी की टूरिज्म इंडस्ट्री को पहले ही हफ्ते में ₹150 करोड़ का नुकसान हो चुका है. होटल रद्दीकरण की दर 60% तक जा पहुंची है और एयरलाइंस ने घाटी के लिए उड़ानों की संख्या कम कर दी है.
रोजगार पर गहराया संकट
घाटी में 2.5 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यटन से जुड़े हैं. इनमें होटल स्टाफ, कैब ड्राइवर, टूर गाइड, घोड़े वाले और छोटे दुकानदार शामिल हैं. हमले के बाद जिन जिलों में पर्यटक आमतौर पर रुकते हैं अनंतनाग, श्रीनगर, बारामुला वहां के गाइड्स, टैक्सी चालकों, होटलों और दुकानों की आय एक झटके में खत्म हो गई. अकेले श्रीनगर एयरपोर्ट से रोजाना उड़ने वाले 52 फ्लाइट्स में से 18 को रद्द करना पड़ा है.
विकास योजनाओं को झटका
2025 तक जम्मू-कश्मीर को भारत का नंबर-1 टूरिज्म हब बनाने के लिए केंद्र सरकार हर साल ₹2,000 करोड़ का निवेश कर रही थी. इसमें एडवेंचर टूरिज्म, ट्रेकिंग, हॉर्टीकल्चर, सैफरन टूरिज्म, और हेरिटेज प्रोजेक्ट्स शामिल थे. पहलगाम में ही ₹112 करोड़ की लागत से ईको-टूरिज्म प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था, जो अब ठप पड़ गया है.
फल व्यापार भी चपेट में
सिर्फ टूरिज्म ही नहीं, बल्कि कश्मीर की आर्थिक आत्मनिर्भरता का दूसरा बड़ा आधार फल व्यापार भी इस हमले के बाद प्रभावित हुआ है. सोपोर की फल मंडी, जहां से हर साल ₹7,000 करोड़ का कारोबार होता है, हमले के बाद ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स में 22% की गिरावट दर्ज की गई है. विदेशी आयातकों ने भी ऑर्डर फिलहाल रोक दिए हैं.
सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी या चूक?
हमले से ठीक दो दिन पहले ही खुफिया इनपुट्स आए थे कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ हुई है. बावजूद इसके, पहलगाम जैसे टूरिस्ट हॉटस्पॉट पर सुरक्षा का घेरा कमजोर क्यों रहा? यह सवाल अब राजनीतिक और खुफिया हलकों में तूल पकड़ रहा है. केंद्र सरकार ने इस पर NIA जांच का आदेश दे दिया है.
भरोसे की वापसी होगी मुश्किल
घाटी को नई पहचान देने का सपना पल भर में टूट गया. ये हमला न केवल 28 जिंदगियों को निगल गया, बल्कि हजारों कश्मीरियों की आजीविका और विश्वास पर भी चोट कर गया है. विदेशी मीडिया में फिर से कश्मीर को असुरक्षित घोषित किया गया है. देश के अंदर भी हजारों लोग अब कश्मीर की यात्रा टाल रहे हैं, जो आने वाले महीनों में घाटी की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर डालेगा.
घबराहट के बीच इंसानियत की एक किरण
उमर ने बताया कि जैसे ही हमले की खबर मिली वैसे ही बैसरन मैदान से सटे इलाके में अफरा-तफरी मच गई. उमर ने कहा कि हम पर्यटकों को संभालने में जुट गए. हमने न सिर्फ उन्हें खाना मुफ्त परोसा, बल्कि कोशिश की कि उन्हें लगे कि वो अकेले नहीं हैं. उस रात, लिद्दर नदी के किनारे बने कई होटल एक-एक करके खाली होते चले गए. पुलिस के अनुसार, लगभग 200 वाहन पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकालने में लगे रहे. इस सबके बीच, यूएई से आई पर्यटक संदाना सिल्वम ने कहा कि कश्मीरी लोगों की उदारता हमें यहां रोके हुए थे, वरना हम मन ही मन डर से टूट चुके थे. यही बात अन्य पर्यटकों ने कही जिन्होंने होटल की लॉबी में बैठकर रात गुजारी और डर के मारे 5 रूम के लोग एकसाथ सोए.