हाई कोर्ट का नया फरमान, सबूत के लिए कुत्ते पर नहीं कर सकते भरोसा, समझें पूरा मामला
एक मामले में ओडिशा हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी को दोषी ठहराने के लिए कुत्ते के सबूत पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह केवल ट्रैकिंग इंस्ट्रूमेंट है. कोई गवाह नहीं. 20 साल बाद इस मामले में कोर्ट ने हस्तक्षेप करने इनकार कर दिया.

उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि कुत्ता गवाह नहीं है. इसलिए सबूत के लिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. यह मामला रेप और हत्या से जुड़ा है, जिसमें निचली अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया था, जहां कोर्ट ने इस केस में हस्तक्षेप करने इनकार किया.
बी पी राउत्रे और चित्तरंजन दाश दो जज की बेंच ने कहा कि ' केस के लिए कुत्ता सिर्फ एक ट्रैकिंग डिवाइस है. वह गवाह नहीं है. हैंडलर कुत्ते के बिहेवियर को बताता है. उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं होता है.
क्या है मामला?
यह मामला साल 2003 का है, जब भुवनेश्वर में एक 12 साल की लड़की के साथ रेप हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी गई. पीड़िता का शव मदिंर के पास झाड़ियों में पाया गया था. जहां इस केस को सुलझाने के लिए पुलिस ने साइंटिफिक ऑफिसर और पुलिस डॉग की मदद मांगी थी. इसके बाद कुत्ते को झाड़ियों के पास आरोपी की गंध सूंघ ली थी, जिसके बाद वह उन्हें उस शख्स की दुकान और ट्यूबवेल तक लेकर गया था. इस मामले में फास्ट-ट्रैक अदालत ने 2005 में आरोपी को बरी कर दिया, जहां अगले साल सरकार ने इस केस को चुनौती दी .
कुत्ते की परफॉर्मेंस का ट्रैक है जरूरी
इस मामले पर 20 साल बाद 26 मार्च को अदालत ने कहा कि ' कुत्ते के सबूत की जांच करते हुए यह पाया गया कि इस केस में कुछ जरूरी चीजों जैसे कुत्ते की ट्रेनिंग, स्किल्स और पुरानी फरफॉर्मेंस ट्रैक नहीं दिया गया. इससे कुत्ते की विश्वसनीयता का पता नहीं चलता है.
नहीं मिले फोरेंसिक सबूत
इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि जहां-जहां कुत्ते ने पहचान की थी. वहां फोरेंसिक जांच में आरोपी के कोई भी निशान नहीं मिले हैं. इसके अलावा, कुछ भी ऐसा बरामद नहीं किया गया, जो यह साबित कर सके कि आरोपी दोषी है. इसके आगे बेंच ने कहा कि दूसरा पक्ष ने यह भी साफ नहीं किया कि क्या कुत्ते की ट्रैकिंग कंट्रोल थी. साथ ही, वहां दूसरी कोई गंध थी, जिससे जानवर आसानी से भटक सकते हैं.