सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी उम्मीद! औवसी के बाद वक्फ बिल के विरोध में SC पहुंचे अमानतुल्लाह खान
आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनका दावा है कि यह मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को कम करता है. बता दें कि यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत के साथ पारित किया गया.

आप विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को कम करता है, मनमाने कार्यकारी हस्तक्षेप को सक्षम बनाता है और अपने धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों का प्रबंधन करने के अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करता है.
अमानतुल्लाह खान से पहले सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है. याचिका में कहा गया, 'संशोधन अधिनियम, 2025 संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में इस निरंतर प्रगति से प्रस्थान करता है और वक्फ को दी गई सुरक्षा को कमजोर करने, इसकी संपत्तियों में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को कमजोर करने और वक्फ प्रशासन पर राज्य के हस्तक्षेप का विस्तार करने का एक नया तरीका बताता है.
ओवैसी ने इस्लामी कानून का दिया हवाला
इसमें ये भी कहा गया कि इस्लामी कानून ने ऐतिहासिक रूप से गैर-मुसलमानों को भी संपत्ति को वक्फ के तौर में समर्पित करने की अनुमति दी है. इस प्रावधान को वक्फ अधिनियम, 1995 में धारा 104 के रूप में आगे बढ़ाया गया था, और 2013 में, 1995 के अधिनियम में एक संशोधन पेश किया गया था. इससे गैर-मुसलमानों को धारा 104 के आधार पर पहले से ही अनुमति दी गई.
संसद के दोनों सदनों बिल हुआ पास
संसद ने शुक्रवार को 13 घंटे से ज़्यादा चली बहस के बाद उच्च सदन में इस विधेयक को मंज़ूरी दे दी. राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 128 सदस्यों ने वोट दिया, जबकि 95 ने इसका विरोध किया. इससे पहले गुरुवार को लोकसभा ने इस विधेयक को 288 सदस्यों के समर्थन और 232 के विरोध में पारित किया था.