Begin typing your search...

अब किसी वकील के पास जाने की जरूरत नहीं, आरोपी की रिहाई के खिलाफ सीधे कर सकते हैं अपील; SC का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में अपराध पीड़ितों और उनके कानूनी वारिसों को आरोपी की बरी होने के खिलाफ सीधे अपील करने का अधिकार दिया है, जिससे उनके कानूनी अधिकारों का दायरा बढ़ गया है. इससे पहले केवल राज्य या शिकायतकर्ता ही ऐसी अपील दाखिल कर सकते थे. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि पीड़ितों के अधिकारों को उस व्यक्ति के अपील अधिकार के बराबर माना जाना चाहिए जिसे सजा सुनाई गई हो.

अब किसी वकील के पास जाने की जरूरत नहीं, आरोपी की रिहाई के खिलाफ सीधे कर सकते हैं अपील; SC का आदेश
X
( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 25 Aug 2025 9:39 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अपराध न्याय में पीड़ितों के अधिकारों को नई दिशा दी है. अब किसी अपराध में आरोपी की बरी होने या कम सजा मिलने पर न केवल राज्य या शिकायतकर्ता, बल्कि अपराध के पीड़ित और उनके कानूनी वारिस भी उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं. यह फैसला अपराध कानून की व्याख्या में मील का पत्थर साबित हुआ है.

इस निर्णय से पहले आरोपी को सजा मिलने पर अपील का अधिकार था और केवल राज्य या शिकायतकर्ता ही बरी होने पर अपील कर सकते थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार का दायरा बढ़ाते हुए पीड़ितों और उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को भी यह अधिकार प्रदान किया है.

पीड़ितों को मिलेगा आरोपी की बरी या कम सजा पर अपील का अधिकार

न्यायमूर्ति बी वी नागरथना और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि 'अपराध के पीड़ित का अधिकार उसी स्तर पर होना चाहिए, जैसा कि आरोपी को सजा मिलने पर अपील का अधिकार है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पीड़ित को कम सजा, अपर्याप्त मुआवजा या आरोपी की बरी होने के खिलाफ अपील करने का अधिकार है, जैसा कि CrPC की धारा 372 के प्रावधान में वर्णित है.

कानूनी वारिस भी कर सकेंगे अपील

पीठ ने यह भी कहा कि अगर अपील के दौरान पीड़ित का निधन हो जाता है, तो उनके कानूनी वारिस अपील को आगे बढ़ा सकते हैं. न्यायालय ने "अपराध पीड़ितों" की परिभाषा का विस्तार किया और कहा कि उनके वारिस भी अपील की प्रक्रिया में समान अधिकार रखते हैं.

राज्य या शिकायतकर्ता की अपील से अलग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'राज्य या शिकायतकर्ता हमेशा अपील नहीं कर सकते। लेकिन पीड़ित के अधिकार में उच्च न्यायालय से विशेष अनुमति लेने की शर्त लागू नहीं होती. इस प्रकार, CrPC की धारा 372 के प्रावधान में पीड़ितों के अधिकार को किसी भी तरह से सीमित नहीं किया जा सकता.

न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि अपराध के पीड़ित और उनके वारिस अब आरोपी की बरी या कम सजा के खिलाफ अपील करने के लिए स्वतंत्र हैं. न्यायालय ने कहा कि "जैसे आरोपी को सजा मिलने पर अपील करने का अधिकार है, वैसे ही अपराध पीड़ित को भी अपील करने का अधिकार होना चाहिए.

India News
अगला लेख