NIA को मिला पहलगाम हमले का सबसे बड़ा सबूत! आतंकियों की हर हरकत कैमरे में कैद
22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले में बैसरन का एक स्थानीय वीडियोग्राफर बड़ा गवाह बनकर सामने आया है। हमले के वक्त वह अपनी जान बचाते हुए पेड़ पर चढ़ गया और पूरे घटनाक्रम को रिकॉर्ड करता रहा. एनआईए ने उससे पूछताछ कर उसके वीडियो कब्जे में लिए हैं, जिनसे आतंकियों और उनके मददगारों की पहचान की जा रही है.

पहलगाम में आतंकी हमले को करीब पांच दिन बीत चुका है जिसके बाद हर दिन तरह- तरह के खुलासे हो रहे हैं. इस बीच रिपोर्ट के मुताबिक मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, बैसरन में पर्यटकों के लिए रील्स बनाने वाला एक स्थानीय वीडियोग्राफर अब इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का अहम गवाह बन गया है.
हमले का लाइव रिकॉर्डिंग
अधिकारियों ने बताया कि हमले के वक्त यह वीडियोग्राफर वहां मौजूद था. फायरिंग शुरू होते ही वह जान बचाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और पूरी घटना का वीडियो बनाता रहा. NIA ने उससे पूछताछ की है और उसके बनाए वीडियो की जांच कर रही है, ताकि आतंकियों और उनके मददगारों (OGWs) की पहचान की जा सके.
हमले का घटनाक्रम
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि चार आतंकी दो-दो के ग्रुप में बंटे हुए थे और दोनों दिशाओं से फायरिंग कर रहे थे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दो आतंकी स्नैक शॉप्स के पास छुपे थे. करीब 2:30 बजे वे बाहर निकले और वहां स्नैक्स खा रहे गैर-स्थानीय लोगों से धर्म पूछने लगे। कई लोगों को कलमा पढ़ने को कहा गया, जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई.
एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, यह अंधाधुंध फायरिंग नहीं थी बल्कि टारगेट कर के सिर पर गोली मारी गई थी. पहले दो आतंकियों ने चार पर्यटकों को सिर में गोली मार दी, जिससे भगदड़ मच गई. इसके बाद ज़िप लाइन के पास से छुपे अन्य दो आतंकी भीड़ पर फायरिंग करने लगे.
मोबाइल फोन से सुराग मिलने की उम्मीद
आतंकियों ने मौके से दो मोबाइल फोन भी लूट लिए- एक पर्यटक का और एक स्थानीय निवासी का. एजेंसियां इन फोनों की लोकेशन ट्रैक कर रही हैं, हालांकि घटना के बाद से दोनों बंद हैं.
AK-47 और M4 राइफल के खोखे बरामद
मौके से AK-47 और M4 राइफल की खाली गोलियां बरामद की गई हैं. जांच एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तानी आतंकी अफगान युद्ध के बाद से M4 राइफल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो हमले में पाकिस्तान की भूमिका का एक और सबूत है.
स्थानीय आतंकी की पहचान
जांच में एक स्थानीय आतंकी की पहचानआदिल ठोकर के रूप में भी हुई है. पुलिस डोजियर के अनुसार, ठोकर 2018 में हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। बाद में वैध दस्तावेजों पर पाकिस्तान चला गया और वहां लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया. 2024 में वह वापस कश्मीर लौट आया और पाकिस्तान से आए आतंकियों की मदद करने लगा। आरोप है कि उसने अन्य आतंकी हमलों में गाइड की भूमिका भी निभाई थी.