नड्डा भी पहले कार्यकारी और फिर बने थे पूर्ण कालिक अध्यक्ष, क्या नितिन नबीन भी उसी राह पर हैं?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 14 दिसंबर 2025 को बिहार सरकार के मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नबीन (45 वर्ष) को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. यह नियुक्ति जेपी नड्डा के कार्यकाल समाप्त होने के बाद आई है, जो अब केंद्रीय मंत्री हैं. नबीन भाजपा के सबसे युवा कार्यकारी अध्यक्ष हैं और पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव का संकेत देते हैं. वे दिवंगत भाजपा नेता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र हैं. विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम नड्डा की तरह कार्यकारी से पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने की राह पर है, जो पार्टी की पूर्व परंपरा का अनुसरण करता है.
Nitin Nabin, BJP working president, JP Nadda successor: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच बिहार के युवा नेता नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (वर्किंग प्रेसिडेंट) बनाने का फैसला लिया गया है. यह नियुक्ति 14 दिसंबर 2025 को भाजपा संसदीय बोर्ड द्वारा की गई, जो मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल विस्तार के बीच आई है. नड्डा खुद 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष बने थे. बाद में, उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष बना दिया गया.
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क्या नितिन नबीन भी उसी राह पर हैं? यह सवाल भाजपा के आंतरिक गलियारों से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक गूंज रहा है. इस रिपोर्ट में हम नड्डा की यात्रा और नबीन की वर्तमान स्थिति की तुलना करेंगे, साथ ही यह समझेंगे कि यह कदम पार्टी की रणनीति का हिस्सा कैसे बन सकता है.
जेपी नड्डा की यात्रा: कार्यकारी से पूर्णकालिक अध्यक्ष तक
जेपी नड्डा का भाजपा में उदय एक सुनियोजित प्रक्रिया का प्रतीक रहा है. 2 दिसंबर 1960 को पटना में जन्मे नड्डा ने अपनी राजनीतिक पारी जयप्रकाश नारायण आंदोलन से शुरू की. वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं और 1991 में भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने. हिमाचल प्रदेश विधानसभा से तीन बार विधायक रहने के बाद, वे 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने. भाजपा के संगठनात्मक चुनावों के दौरान नड्डा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया. 17 जून 2019 को, अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद, भाजपा संसदीय बोर्ड ने नड्डा को यह जिम्मेदारी दी. यह नियुक्ति अस्थायी थी, लेकिन संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया को सुचारू रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई.
नड्डा ने इस दौरान सदस्यता अभियान और आंतरिक चुनावों का सफल संचालन किया. मात्र सात महीने बाद, 20 जनवरी 2020 को नड्डा को सर्वसम्मति से भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. यह पदभार ग्रहण अमित शाह से हुआ, जो मोदी सरकार में गृह मंत्री बने थे. नड्डा का कार्यकाल अब तक कई बार बढ़ाया गया है, लेकिन उनकी भूमिका ने पार्टी को 2024 लोकसभा चुनावों में शानदार सफलता दिलाने में योगदान दिया. वर्तमान में वे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं रसायन उर्वरक मंत्री भी हैं. नड्डा की नियुक्ति ने भाजपा में 'कम प्रोफाइल, अधिक प्रभाव' वाली नेतृत्व शैली को मजबूत किया.
नितिन नबीन: बिहार का नया चेहरा, क्या अध्यक्ष पद की ओर बढ़े कदम?
अब बात नितिन नबीन की... 1980 में जन्मे नबीन भाजपा के दिग्गज नेता नवीन किशोर सिन्हा के पुत्र हैं, जिन्हें 'बिहार का लौह पुरुष' कहा जाता है. पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके नबीन ने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग 84,000 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की. वे बिहार सरकार में पथ निर्माण मंत्री हैं और भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी के रूप में सक्रिय रहे हैं. पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रहने का अनुभव उन्हें संगठनात्मक मामलों में निपुण बनाता है.
14 दिसंबर 2025 को भाजपा संसदीय बोर्ड ने नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी पत्र के अनुसार, यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू है. यह फैसला नड्डा के कार्यकाल विस्तार के बीच आया, जब पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए लंबे समय से अनिश्चितता बनी हुई थी. विश्लेषकों का मानना है कि नबीन की उम्र (45 वर्ष) उन्हें सबसे युवा संभावित अध्यक्ष बनाती है, जो भाजपा में पीढ़ीगत बदलाव का संकेत देती है.
नड्डा और नबीन की राह में क्या समानता?
नबीन की तरह नड्डा को भी पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. यह कदम संगठनात्मक चुनावों तक का अस्थायी, लेकिन प्रभावशाली रोल है. दोनों नेता बिहार से जुड़े हैं. नड्डा का जन्म पटना में हुआ, जबकि नबीन बिहार सरकार में मंत्री हैं. दोनों ने स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय पटल तक यात्रा की है. नड्डा की नियुक्ति अमित शाह के मंत्रिमंडल में जाने के बाद हुई थी, जबकि नबीन की नड्डा के कार्यकाल विस्तार के बीच... दोनों मामलों में यह कदम पार्टी को स्थिरता प्रदान करता है. नड्डा उस समय 58 वर्ष के थे, लेकिन नबीन 45 वर्ष के हैं, जो भाजपा की युवा नेतृत्व वाली छवि को मजबूत करेगा.
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, "मैं राज्य के लोगों और उत्तर प्रदेश के बीजेपी कार्यकर्ताओं की तरफ से बीजेपी के नए नियुक्त वर्किंग प्रेसिडेंट को दिल से बधाई देता हूं... बीजेपी अब 45 साल पुरानी हो गई है, और हमारे नेशनल प्रेसिडेंट भी 45 साल के हैं. यह सभी युवाओं के लिए एक बेहतरीन संदेश है कि बीजेपी युवा पीढ़ी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है, युवाओं को लीडरशिप देना चाहती है, और उनके साथ मिलकर उनकी समस्याओं को हल करना चाहती है."
नड्डा और नबीन: अंतर और चुनौतियां
नड्डा और नवीम में कुछ अंतर भी है. नड्डा पूर्णकालिक अध्यक्ष सात महीने बाद ही बन गए थे, लेकिन नबीन के मामले में यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, क्योंकि भाजपा में वर्तमान में कोई बड़ा संगठनात्मक चुनाव निर्धारित नहीं है. नड्डा मोदी-शाह की जोड़ी के करीबी थे, जबकि नबीन को आरएसएस और बिहार इकाई का समर्थन माना जा रहा है. यह नियुक्ति शीर्ष नेतृत्व या आरएसएस की जीत के रूप में देखी जा रही है. नबीन को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि स्थापित करनी होगी, खासकर 2029 लोकसभा चुनावों से पहले... बिहार में नीतीश कुमार के साथ गठबंधन की जटिलताएं भी बाधा बन सकती हैं.
क्या नबीन नड्डा की राह पर हैं?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नितिन नबीन नड्डा की ही राह पर हैं. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वे 'संभावित रूप से जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी' हैं, जो पीढ़ीगत बदलाव का संकेत है. बीबीसी हिंदी ने इसे 'भाजपा की नई रणनीति' बताया, जहां युवा नेताओं को आगे लाकर पार्टी को तरोताजा किया जा रहा है. जागरण की रिपोर्ट में कहा गया कि यह 'पैटर्न बदलाव' का हिस्सा है, जहां पूर्व मंत्रियों को संगठन की कमान सौंपी जा रही है. यदि इतिहास दोहराया, तो नबीन 2026 के मध्य तक पूर्णकालिक अध्यक्ष बन सकते हैं, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड और शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर करेगा. फिलहाल, यह नियुक्ति भाजपा को आगामी चुनावों के लिए मजबूत आधार देती दिख रही है.





