पिंकथॉन की वापसी, इस दिन से शुरू होगा इवेंट, ब्रेस्ट कैंसर के लिए किया जाएगा जागरूक
भारत का सबसे बड़ा महिला रन पिंकथॉन एक बार फिर लौट रहा है. इस बार इवेंट की शुरुआत मुंबई से होगी, जहां महिलाएं न सिर्फ फिटनेस के लिए दौड़ेंगी बल्कि ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता का भी मैसेज देंगी.

इस साल भारत का सबसे बड़ा वुमन रन पिंकथॉन, फिर से मुंबई में होने जा रहा है. तारीख तय हो चुकी है- 21 दिसंबर. इस इवेंट का मकसद सिर्फ दौड़ना नहीं, बल्कि ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना और महिलाओं को अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए इंस्पायर करना है.
मुंबई से शुरू होकर पिंकथॉन का यह सालभर का दौरा देश के छह शहरों बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई और दिल्ली तक फैलेगा. इस पर पिंकथॉन के फाउंडर मिलिंद सोमन ने बताया कि हेल्थ को फर्स्ट रखना इस बार का मैसेज होगा.
कितने किलोमीटर की होगी रेस?
इस साल पिंकथॉन ने जाइडस लाइफसाइंसेज लिमिटेड को अपना टाइटल स्पॉन्सर बनाया है. पिंकथॉन का यह 10वां एडिशन महिलाओं के लिए खास है. इसमें हर महिला के लिए कुछ न कुछ है. अगर आप चाहें तो 3 किलोमीटर की छोटी और मज़ेदार रन में हिस्सा ले सकती हैं, या 5 किलोमीटर की कम्युनिटी रन चुन सकती हैं. इसके अलावा 10 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण रन भी है, जो महिलाएं बड़े एडवेंचर के शौकीन हैं, उनके लिए 50, 75 और 100 किलोमीटर की अल्ट्रा रन और 100 किलोमीटर की रिले रन के ऑप्शन भी मौजूद हैं. हर किसी के लिए दौड़ का मज़ा है.
हेल्थ फर्स्ट होगा मैसेज
पिंकथॉन के फाउंडर मिलिंद सोमन ने कहा कि 'हमारा मकसद हमेशा यही रहा है कि हर महिला अपनी सेहत और फिटनेस का ख्याल खुद रखे और एक मजबूत, साथ देने वाले समुदाय का हिस्सा बने. इस साल जाइडस के टाइटल पार्टनर बनने से यह मकसद और भी मजबूत हुआ है.
फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी
मिलिंद सोमन का कहना है कि हर महिला को अपनी डेली लाइफ में कम से कम एक फिजिकल एक्टिविटी जरूर शामिल करनी चाहिए और इसे शुरू करने का सबसे आसान तरीका दौड़ना है.
ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता
जाइडस लाइफसाइंसेज के एमडी डॉ. शरविल पटेल कहते हैं कि उनकी ‘ईज़िएस्ट एग्ज़ाम’ मुहिम का मकसद महिलाओं को यह बताना है कि हर महीने सिर्फ तीन मिनट का सेल्फ-एक्ज़ाम उनकी जान बचा सकता है. पिंकाथन के साथ मिलकर जाइडस ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं तक यह मैसेज पहुंचाना चाहता है. उनका मानना है कि महिलाओं के हेल्थ और ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि अगर बीमारी जल्दी पकड़ में आ जाए तो लाखों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.