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कल तक सुलग रहा था लेह आज कैसे हैं हालात? बवाल के बाद अबतक 50 लोग गिरफ्तार, लद्दाख में इंटरनेट बंद और कारगिल में सन्नाटा

लेह में हुई हिंसक झड़पों में चार नागरिकों की मौत और 70 से अधिक घायल हुए. इसके बाद कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने पूर्ण बंद का आह्वान किया, जिससे कारगिल और आसपास का जनजीवन ठप हो गया. प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं और लेह में कर्फ्यू लागू है. प्रदर्शनकारी छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं. हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है.

कल तक सुलग रहा था लेह आज कैसे हैं हालात? बवाल के बाद अबतक 50 लोग गिरफ्तार, लद्दाख में इंटरनेट बंद और कारगिल में सन्नाटा
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 25 Sept 2025 2:39 PM

लद्दाख इस वक्त बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है. लेह में हुई हिंसक झड़पों ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया है. चार नागरिकों की मौत और 70 से अधिक घायल होने की घटना ने हालात और तनावपूर्ण कर दिए. इसके बाद कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के पूर्ण बंद के आह्वान पर कारगिल में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया. प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी हैं.

हिंसा के बाद सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती बढ़ा दी गई है. उपराज्यपाल ने स्पष्ट कहा है कि हिंसा भड़काने वालों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा. पुलिस लगातार गिरफ्तारियां कर रही है और कई नेताओं तक पर कार्रवाई हो चुकी है. लेकिन दूसरी तरफ, लोगों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा.

अबतक 50 लोग गिरफ्तार

बुधवार को हुई झड़पों के बाद से अब तक पुलिस ने कांग्रेस काउंसलर समेत करीब 50 लोगों को हिरासत में लिया है. सूत्रों के अनुसार, यह संख्या और बढ़ सकती है. लेह में स्थिति को देखते हुए उपराज्यपाल ने पुलिस को निर्देश दिया है कि हिंसा फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. हालांकि आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार लोगों की संख्या सार्वजनिक नहीं की गई है.

कारगिल में पूर्ण बंद

कारगिल और उसके आसपास के क्षेत्रों – बुरो, सांकू, पनिखर, पदुम और ट्रेस्पोन में दुकानें, बाजार और दफ्तर पूरी तरह बंद रहे. स्थानीय लोग इसे लेह में मारे गए और घायल हुए नागरिकों के प्रति अपनी एकजुटता मान रहे हैं. बंद के दौरान सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा और लोग अपने घरों में ही रहे.

छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग

इस पूरे आंदोलन की जड़ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग से जुड़ी है. स्थानीय समूहों का कहना है कि भूमि, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए यह कदम बेहद जरूरी है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि केंद्र सरकार लगातार इन मांगों की अनदेखी कर रही है.

लेह एपेक्स बॉडी ने खारिज किया उपराज्यपाल का बयान

उपराज्यपाल ने इस हिंसा को "साजिश" करार दिया, लेकिन लेह एपेक्स बॉडी ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया. बॉडी का कहना है कि ये प्रदर्शन जनता के गुस्से का स्वाभाविक परिणाम हैं क्योंकि सरकार लद्दाखियों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर रही. साथ ही निहत्थे नागरिकों पर बल प्रयोग को भी अनुचित बताया गया.

प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

स्थानीय लोगों ने हिंसा और मौतों पर गहरा दुख जताते हुए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना है कि बातचीत और संवाद के बजाय टकराव का रास्ता अपनाया गया. इससे अलगाव की भावना और गहरी हो रही है.

उपराज्यपाल की सख्त चेतावनी

लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया जाएगा. साथ ही पुलिस और प्रशासन को अशांति फैलाने वालों की पहचान कर सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए.

लद्दाख में तनाव बरकरार

फिलहाल लेह में कर्फ्यू और कारगिल में बंद जारी है. सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. लोगों की आवाजाही पर पाबंदी है और इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. स्थिति नाजुक बनी हुई है और सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन शांति बहाली के लिए आगे कौन-सा कदम उठाता है.

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