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सोनम वांगचुक ही असली... लेह में हुई हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने एक्टिविस्ट को ठहराया जिम्मेदार, अबतक 4 की मौत

लद्दाख में भड़की हिंसा में 4 लोगों की मौत और 70 घायल हुए. केंद्र ने सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनके भाषणों ने युवाओं को भड़काया. सरकारी कार्यालयों और BJP दफ्तर पर हमला हुआ. अब सभी की नजरें 6 अक्टूबर की बैठक पर हैं, जहां लद्दाख की मांगों पर चर्चा होगी.

सोनम वांगचुक ही असली... लेह में हुई हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने एक्टिविस्ट को ठहराया जिम्मेदार, अबतक 4 की मौत
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 25 Sept 2025 8:23 AM IST

लेह में बुधवार को भड़की हिंसा ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. चार लोगों की मौत और 70 से ज्यादा घायल होने की खबर ने स्थिति की गंभीरता को उजागर कर दिया है. केंद्र सरकार ने इस हिंसा के लिए सीधे तौर पर सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार बताया है. गृहमंत्रालय का कहना है कि उनके भाषणों और भूख हड़ताल ने युवाओं को उकसाया, जिसके बाद भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई.

सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे थे. इसके लिए वे कई दिनों से भूख हड़ताल पर थे. सरकार का आरोप है कि इस दौरान उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen-Z विरोध प्रदर्शनों का हवाला दिया, जिससे युवाओं को हिंसक रास्ता अपनाने की प्रेरणा मिली.

सरकारी कार्यालयों और BJP दफ्तर पर हमला

हिंसा उस वक्त भड़क उठी जब प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह भूख हड़ताल स्थल से निकलकर सरकारी दफ्तरों और एक राजनीतिक दल के कार्यालय की तरफ बढ़ा. उपराज्यपाल कार्यालय और CEC लेह के दफ्तर पर हमला हुआ. स्थानीय प्रशासन के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और आगजनी की. यहां तक कि CRPF के वाहनों को भी निशाना बनाया गया.

केंद्र ने कहा- युवाओं को भटकाया गया

सरकारी सूत्रों के अनुसार लद्दाख की युवा आबादी को किसी "सुनियोजित साजिश" के तहत गुमराह किया गया. उन्होंने कहा कि युवाओं को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उन्हें राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले कुछ व्यक्तियों ने हिंसा की ओर धकेला. केंद्र ने दावा किया कि सरकार हमेशा संवाद के पक्ष में रही है और 6 अक्टूबर को उच्चस्तरीय समिति की बैठक पहले से तय थी.

हाई पावर्ड कमेटी की उपलब्धियां

गृहमंत्रालय ने यह भी याद दिलाया कि उच्चस्तरीय समिति (HPC) के जरिए पहले ही कई सकारात्मक फैसले लिए गए हैं. इनमें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 84% करना, महिला आरक्षण एक-तिहाई तक बढ़ाना और भोटी व पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक मान्यता देना शामिल है. इसके अलावा 1,800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की गई है.

यह लद्दाख का सबसे दुखद दिन: सोनम वांगचुक

स्थिति बिगड़ने के बाद सोनम वांगचुक ने अपना अनशन खत्म करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि "अगर युवा अपनी जान गंवाते हैं तो इस भूख हड़ताल का कोई मतलब नहीं रह जाता. यह लद्दाख और मेरे जीवन का सबसे दुखद दिन है." उन्होंने युवाओं से हिंसा रोकने की अपील की और कहा कि आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा.

विपक्ष पर भी उठे सवाल

सूत्रों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ऐसे बयान दिए जो सीधे तौर पर हिंसा को बढ़ावा देने वाले थे. उनके अनुसार पत्थरबाजी, बंद और आगजनी की बातें सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करती हैं. सरकार ने इसे राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास बताया और कहा कि इससे लद्दाख के युवाओं और आम जनता को भारी नुकसान हुआ है.

आगे का रास्ता- संवाद और शांति

हालांकि हिंसा के बीच सरकार और प्रशासन दोनों ने साफ किया है कि संवाद ही समस्याओं का हल है. सरकार का कहना है कि वे लद्दाख की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके अधिकारों और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. सोनम वांगचुक ने भी अब आंदोलन को पूरी तरह अहिंसक बनाए रखने की बात कही है. अब सबकी निगाहें 6 अक्टूबर की बैठक पर हैं, जहां लद्दाख की मांगों और भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं.

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