बीरेन सिंह ने सीएम पद से यूं ही नहीं दिया इस्तीफा, जातीय संघर्ष बना गले की फांस
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार शाम को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. आपको बता दें कि सोमवार से मणिपुर में विधानसभा सत्र की शुरुआत होने वाली है. ऐसे में CM के इस्तीफा देने के कारण हलचल काफी तेज है. जानकारी के अनुसार इस सत्र में विपक्षी पार्टी CM के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रही थी.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार शाम को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने रविवार शाम को राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया. आपको बता दें कि राज्य में पिछले काफी समय से जातीय हिंसा जारी थी. इस हिंसा के बाद CM ने इस्तीफा देने का फैसला लिया है. हालांकि इस हिंसा के लिए उन्होंने माफी भी मांगी थी.
आपको बता दें कि इस हिंसा को लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी. लगातार उनसे सवाल किए जा रहे थे. लेकिन अब रविवार को उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा है.
मणिपुर की जनता की सेवा सम्मान की बात
राज्यपाल को सौंपे गए त्यागपत्र में सीएम ने कहा कि मणिपुर की जनता की सेवा करना उनके लिए सम्मान की बात रही है. इसके लिए मैं केंद्र सरकार का आभारी रहा हूं. CM ने कहा कि उन्होंने समय रहते कार्रवई की और मदद की विकास के कई काम किए. हर मणिपुरी के हितों की रक्षा के लिए कई परियोजनाएं भी चलाईं. मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह इसी तरह काम करती रहे.गौर करें कि सीएम ने जिस समय राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा उस दौरान उनके साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे.
गृह मंत्री से की मुलाकात
जानकारी के अनुसार CM बिरेन सिंह विशेष विमान से दिल्ली के रवाना हुए थे. इस दौरान उन्होंने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री से भी मुलाकात की. हालांकि उनके इस्तीफे से मणिपुर की राजनीति में हलचल काफी तेज हो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकी सोमवार से मणिपुर के विधानसभा सत्र की भी शुरुआत होने वाली है. अब ऐसे में देखना यह होगा कि आखिर केंद्र क्या फैसला लेता है.
इस बैठक को इसलिए आयोजित किया गया क्योंकी इस सत्र में विपक्ष की योजना थी की वह CM के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करे. इस संबंध में उन्होंने गठबंधन के विधायकों के साथ बैठक भी की थी. जानकारी के अनुसार बैठक में 20 विधायक मौजूद थे.
क्यों दिया इस्तीफा?
पिछले दो सालों से राज्यों में जातीय हिंसा जारी है. मई 2023 में भड़की हिंसा की चपेट में कई लोग आए. जानकारी के अनुसार अब तक 200 से भी अधिक लोगों की हिंसा में मौत हो चुकी है. कई हजारों लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने घर खो दिए और विस्थापित हुए. यह हिंसा थमी नहीं हाल ही में नवंबर में भी तीन महिलाएं और तीन बच्चों की मौत से हिंसा भड़की और खूब बवाल हुआ था. अब ऐसे में विपक्ष की लगातार मांग थी कि एन बिरेन सिंह को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. हालांकि उनपर इस्तीफा देने का काफी प्रेशर भी था.
अब इस्तीफे का कोई मतलब नहीं
वहीं अब इस इस्तीफे को लेकर कांग्रेस हमलावर है. जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता उदित राज का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि जब समय रहते कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को उनके पद से हटाने की मांग की थी तब उन्हें नहीं हटाया गया. लेकिन जब दोनों समुदायों में हमेशा के लिए दरार पैदा हो गई तब यह फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार को इतने लंबे तक नहीं रहना चाहिए सब कुछ बर्बाद हो जाने के बाद सीएम को हटाने का कोई मतलब नहीं है.
वहीं कांग्रेस मीडिया प्रभारी जय राम रमेश ने भी उनके इस्तीफे पर निशाना साधते कहा कि कांग्रेस मणिपुर विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रत्साव लाने की पूरी तैयारी में थी. उन्होंने कहा कि इस माहौल को उन्होंने पहले ही भांप लिया और मणिपुर के CM पद से इस्तीफा दे डाला. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह मांग साल 2023 मई की शुरुआत से ही कर रही थी.
जब मणिपुर में उथल पुथल मची थी. इसलिए इस्तीफा देने में CM ने देरी की है. उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोग अब हमारे फ़्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री की यात्रा का इंतज़ार कर रहे हैं जो अब फ़्रांस और यूएसए के लिए रवाना हो चुके हैं - और जिन्हें पिछले बीस महीनों में मणिपुर जाने के लिए न तो समय मिला है और न ही उनकी इच्छा थी.
कांग्रेस ने उन्हें यह फैसला लेने पर मजबूर किया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस्तीफे को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि एन बिरेन सिंह ने मणिपुर में बंटवारा कराया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसा, नमाल के नुकसान और भारत के विचार के विनाश के बावजूद पीएम मोदी ने उन्हें CM पद पर बने रहने की अनुमति दी. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि इस इस्तीफे से पता चलता है कि बढ़ते हुए जनता के दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव लाने के फैसले ने उन्हें ऐसा फैसला लेने पर मजबूर किया है.
हालांकि उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी राज्यमें शांति बहाल करना और मणिपुर के लोगों के घावो को भरने के लिए होना चाहिए. एक बार फिर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर दौरा करने की मांग की और कहा कि लोगों की बात सुननी चाहिए ताकी अंत में स्थिति सामान्य और वापस लाने की योजना के बारे में भी बताना चाहिए.