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ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी ने खोला टीएमसी का काला चिट्ठा, कौन हैं जवाहर सरकार?

पूर्व टीएमसी सांसद जवाहर सरकार ने पार्टी पर भ्रष्टाचार और तानाशाही के गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने शिक्षकों की भर्ती घोटाले और पार्थ चटर्जी के भ्रष्टाचार मामले का जिक्र करते हुए ममता सरकार पर निशाना साधा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टीएमसी पर दबाव बढ़ गया है. सरकार का कहना है कि उनकी अंतरात्मा उन्हें 'ऐसी सड़ांध' में रहने की अनुमति नहीं देती.

ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी ने खोला टीएमसी का काला चिट्ठा, कौन हैं जवाहर सरकार?
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 4 April 2025 1:32 PM IST

पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसले के बाद, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पूर्व सांसद जवाहर सरकार ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार और तानाशाही को अपना इस्तीफा देने का प्रमुख कारण बताया. सरकार एक पूर्व नौकरशाह भी रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि उनकी अंतरात्मा उन्हें 'ऐसी सड़ांध' में रहने की अनुमति नहीं देती.

पूर्व राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने 2024 में TMC से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने दावा किया कि TMC ने कभी बीजेपी के खिलाफ संघर्ष के लिए उन्हें आकर्षित किया था, लेकिन पार्टी के भीतर बढ़ते भ्रष्टाचार और तानाशाही ने उन्हें अलग होने के लिए मजबूर कर दिया. उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा रद्द की गई 25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण नियुक्तियों के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है.

ममता सरकार पर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ममता बनर्जी सरकार की साख पर सवाल उठने लगे हैं. अदालत ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) की भर्ती प्रक्रिया को 'धोखाधड़ी और हेरफेर से दूषित' बताया. इस फैसले के राजनीतिक प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं, क्योंकि TMC खुद को देश में भाजपा के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ़ लोकतंत्र की रक्षक के रूप में प्रस्तुत करती रही है.

सिफारिशों को किया गया नजरअंदाज

जवाहर सरकार का पार्टी छोड़ना उनके लंबे समय से चले आ रहे असंतोष का नतीजा माना जा रहा है. 2024 में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की हत्या के बाद भी उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली थी. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीधे हस्तक्षेप करने की सलाह दी थी, लेकिन जब उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया गया, तो उन्होंने पार्टी के भीतर अपनी स्थिति को लेकर सवाल उठाए. इससे पहले भी उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से जुड़े भ्रष्टाचार के सबूत सामने लाने का दावा किया था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया.

भर्ती में हुई गड़बड़ी

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ममता सरकार पर दबाव और बढ़ गया है. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की बेंच ने साफ किया कि राज्य की भर्ती प्रणाली में बड़े स्तर पर अनियमितताएं हुई हैं. अब देखना यह होगा कि यह मामला 2024 के चुनावों में TMC के लिए कितना बड़ा राजनीतिक संकट पैदा करता है.

कौन हैं जवाहर सरकार?

पूर्व सांसद और नौकरशाह जवाहर सरकार ने अपने करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, जिनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से लेकर प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) तक शामिल हैं. 1975 में IAS अधिकारी बनने के बाद, उन्होंने 2012 से 2016 तक प्रसार भारती के प्रमुख के रूप में कार्य किया, जहां उनके नेतृत्व को सर्वश्रेष्ठ CEO पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा, 2008 से 2012 तक वे भारत सरकार के सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

कोलकाता में हुआ जन्म

जवाहर सरकार का पश्चिम बंगाल से गहरा नाता रहा है. 2021 में तृणमूल कांग्रेस (AITC) के टिकट पर वे राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे और पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. 72 वर्षीय सरकार का जन्म कोलकाता में हुआ था और उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कैम्ब्रिज तथा ससेक्स विश्वविद्यालय से इतिहास और समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की. उनकी पत्नी नंदिता सरकार हैं और उनका एक बच्चा है.

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