पुणे की अदालत ने रेप के आरोपी को किया बरी, पूर्व पत्नी के आरोप को माना गलत, जस्टिस सालुंखे बोले...
पुणे की अदालत के जस्टिस एसआर सालुंखे ने अपने आदेश में महिला के आरोप को गलत करार दिया. उन्होंने कहा कि फैसले के बाद महिला ने कहा है कि वह हाईकोर्ट में अपील करेगी. अदालत के फैसले के बाद महिला ने कहा कि मैं निराश हूं, लेकिन फैसले का सम्मान करती हूं. न्याय पाने के लिए मैं पुणे की अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करूंगी.

महाराष्ट्र के पुणे की एक अदालत ने एक शख्स को उस मामले में बरी कर दिया है, जिसमें उसकी पूर्व पत्नी ने उस पर तलाक के बाद फिर से शादी करने का वादा कर रेप करने का आरोप लगाया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस आर सालुंखे ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे.
अभियोजन पक्ष ने आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत अपराध नहीं माना है. न ही इस तरह के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. अगर यह मान भी लिया जाए कि महिला और आरोपी के बीच इस तरह के शारीरिक संबंध सहमति से बने थे, तो भी वे ऐसा अपराध नहीं बनते, क्योंकि वे सहमति से बने थे और शादी के बहाने नहीं थे. इसका कानूनी परिणाम यह है कि आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए और इसलिए, वह बरी होने का हकदार है.”
महिला फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में करेगी अपील
जस्टिस एसआर सालुंखे ने अपने आदेश में कहा कि फैसले के बाद महिला ने कहा कि वह हाईकोर्ट में अपील करेगी. इंडियन एक्सप्रेस ने महिला के हवाले से बताया है, "मैं निराश हूं, लेकिन फैसले का सम्मान करती हूं. न्याय मिलने तक मैं उच्च न्यायालय में केस लड़ूंगी."
क्या है पूरा मामला?
पुणे की अदालत के एक शख्स की पत्नी के पूर्व पति पर फिर से शादी करने की आड़ में रेप का आरोप लगाया था.
अभियोजन पक्ष के अनुसार शिकायतकर्ता महिला और पुरुष की शादी 2002 में हुई थी. उनकी दो बेटियां हैं. हालांकि, आरोपी ने 2010 में महिला को छोड़ दिया और 2012 में फिर से शादी कर ली. साल 2015 में अदालत ने उन्हें तलाक दे दिया.
तलाक के बाद महिला ने दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली, लेकिन उनकी शादी सिर्फ पांच महीने ही चल पाई. अभियोजन पक्ष ने कहा था कि आरोपी 2019 में फिर से महिला के संपर्क में आया. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि महिला को फिर से शादी का आश्वासन देने के बाद उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. जब महिला ने आरोपी से शादी के बारे में पूछा तो उसने कथित तौर पर उससे शादी करने से इनकार कर दिया.
महिला ने साल 2020 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने प्रारंभिक जांच की और बाद में आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ने महिला की सहमति के बिना दोबारा शादी का झूठा वादा करके उसके साथ बार-बार बलात्कार किया.त्र
आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता मिलिंद पवार ने तर्क दिया कि शिकायत फर्जी थी और यह महिला के खिलाफ जबरन वसूली के लिए आरोपी द्वारा दर्ज की गई एक अन्य शिकायत का परिणाम थी. उन्होंने तर्क दिया, "आरोपी के खिलाफ इस तरह के गंभीर अपराध को साबित करने के लिए आवश्यक पुष्टि के अभाव में महिला का अकेला बयान पर्याप्त नहीं है. शिकायत दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई है, जिसका कारण स्पष्ट नहीं है."
वकील ने कहा, "वह अपने कानूनी अधिकारों के प्रति सचेत थी, क्योंकि उसने पहले ही आरोपी के खिलाफ दो कानूनी कार्यवाही दायर की थी. जब आरोपी ने उसके खिलाफ जबरन वसूली की शिकायत दर्ज की, तभी उसने यह शिकायत दर्ज कराई."