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ट्रंप के नाम पर बना फर्जी आधार कार्ड! तो NCP नेता के नाम हो गई FIR, समझें पूरा मामला

कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया कि किस तरह किसी के भी नाम पर फर्जी आधार कार्ड बनाया जा सकता है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम इस्तेमाल किया. अब इस मामले में उन पर एफआईआर हुई है.

ट्रंप के नाम पर बना फर्जी आधार कार्ड! तो NCP नेता के नाम हो गई FIR, समझें पूरा मामला
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 30 Oct 2025 5:53 PM IST

महाराष्ट्र की सियासत में इस वक्त एक अजीबो-गरीब मामला चर्चा में है. दरअसल, एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह दिखाने की कोशिश की कि देश में फर्जी आधार कार्ड बनाना कितना आसान हो गया है. इसके लिए उन्होंने उदाहरण के तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम इस्तेमाल किया.

लाइव डेमो देकर एक फेक आधार कार्ड तैयार कर दिखाया. उनका उद्देश्य आधार कार्ड से जुड़ी गड़बड़ियों और कथित वोटर फ्रॉड को उजागर करना था, लेकिन अब वही डेमो उनके लिए कानूनी मुसीबत बन गया है.

कैसे शुरू हुआ मामला?

16 अक्टूबर को एक ब्रीफिंग के दौरान रोहित पवार ने एक वेबसाइट पर जाकर लाइव दिखाया कि कैसे सिर्फ कुछ मिनटों में किसी भी व्यक्ति के नाम से आधार कार्ड बनाया जा सकता है. उन्होंने यह उदाहरण यह दिखाने के लिए दिया था कि इस तरह की वेबसाइटें वोटर फ्रॉड को आसान बना रही हैं.

भाजपा ने की शिकायत

भाजपा सोशल मीडिया सेल के सह संयोजक धनंजय वागसकर ने इस वीडियो को यूट्यूब पर देखा और शिकायत दर्ज कराई. उनका आरोप था कि इस वीडियो में भाजपा नेताओं के खिलाफ झूठे और भड़काऊ दावे किए गए हैं. इसके बाद मुंबई साइबर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की है.

पुलिस की कार्रवाई और आरोप

मुंबई पुलिस ने बताया कि यह मामला फर्जीवाड़ा, पहचान की चोरी और गलत जानकारी फैलाने से जुड़ा है. FIR में कहा गया है कि फर्जी वेबसाइट के जरिए आधार कार्ड बनाना लोगों को भ्रमित कर सकता है, सरकारी संस्थानों पर से भरोसा कम कर सकता है और समाज में “अविश्वास और वैमनस्य” फैला सकता है. पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इस वेबसाइट के पीछे कौन लोग हैं और क्या इसका इस्तेमाल वाकई वोटर डेटा में हेराफेरी करने के लिए हुआ था.

रोहित पवार के आरोप

रोहित पवार ने कहा कि इस फर्जीवाड़े के पीछे वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की बड़ी साजिश छिपी है. उन्होंने दावा किया कि पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को “असंतोषजनक नतीजे” मिलने के बाद फर्जी वोटरों का खेल शुरू हुआ. पवार के मुताबिक, 2019 से 2024 के बीच जहां औसतन हर साल 6.5 लाख नए वोटर जुड़े, वहीं लोकसभा चुनाव के सिर्फ छह महीनों में यह संख्या 48 लाख तक पहुंच गई. उनका कहना था कि करजत-जामखेड विधानसभा क्षेत्र में ही 14,000 से ज्यादा नए वोटर जोड़े गए, 5,000 से ज्यादा नाम हटाए गए और 14,000 डुप्लिकेट वोटर जोड़े गए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई इलाकों में एक विधानसभा के आधार कार्ड का इस्तेमाल दूसरी जगह फर्जी वोटर पंजीकरण के लिए किया गया.

जांच जारी

पुलिस फिलहाल उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जिन्होंने यह फर्जी वेबसाइट बनाई और चलाई. वहीं रोहित पवार का कहना है कि उनका उद्देश्य सिर्फ फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन के खतरे को उजागर करना था, न कि किसी को निशाना बनाना. हालांकि, यह मामला अब तकनीक, राजनीति और कानून – तीनों मोर्चों पर चर्चा का केंद्र बन गया है.

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