Raj Uddhav Thackeray Rally: हिंदी ने ठाकरे भाइयों का कराया भरत मिलाप, महायुति पर गरजे उद्धव और राज, कहा...
महाराष्ट्र के स्कूलों में त्रिभाषा सूत्र लागू करने के विरोध के बाद देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने हिंदी भाषा की अनिवार्यता का आदेश स्थगित कर दिया था. इसके बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने इसे मराठी एकजुटता की जीत के रूप में उत्सव मनाने का फैसला लिया और आज दोनों संयुक्त रूप से मराठी विजय रैली में एक ही मंच पर आये और प्रदेश की राजनीति को नया मोड़ देने का संकेत दिया.

Raj Thackeray Uddhav Thackeray Rally: महाराष्ट्र की राजनीति के लिए 5 जुलाई का दिन बेहद ही अहम माना जा रहा है. ऐसा इसलिए कि दो दशक बाद बाला साहेब ठाकरे के दोनों बारिश अपने सियासी मतभेदों को भुलाकर एक मंच पर आ गए. मराठी भाषा और एकता नाम पर विक्ट्री रैली में दोनों आक्रामक तेवर में भी दिखाई दिए और जमकर महायुति सरकार पर हमला बोला. दोनों से एक सुर में कहा कि महाराष्ट्र में मराठियों का अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे.
दरअसल, हाल ही में महाराष्ट्र के स्कूलों में त्रिभाषा सूत्र लागू करने के कड़े विरोध के बाद देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने हिंदी भाषा की अनिवार्यता का आदेश स्थगित कर दिया था. इसके बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने इसे मराठी एकजुटता की जीत के रूप में उत्सव मनाने का फैसला लिया और आज दोनों संयुक्त रूप से मराठी विजय रैली में एक ही मंच पर आये ओर महाराष्ट्र की राजनीति को नया मोड़ देने का संकेत दिया. आइए, 10 प्वाइंट में जानें कि दोनों भाइयों ने 'विक्ट्री रैली' के जरिए अपने विरोधियों को क्या संदेश दिया?
विक्ट्री रैली की 10 अहम बातें
1. उद्धव ठाकरे ने ने विक्ट्री रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे एक होने पर सबकी नजर है. राजनीतिक दूरियां दूर करके हमने एकता दिखाई है. हमारे बीच की दूरियां जो मराठी ने दूर की है, वो सभी को अच्छी लग रही है.
2. उद्धव ठाकरे ने विक्ट्री रैली में शामिल लोगों से कहा कि वे हिंदी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे थोपना सही नहीं है. हम तीन भाषा नीति का विरोध करते हैं.
3. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि मैंने एक साक्षात्कार में कहा था कि मेरे लिए महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. 20 साल बाद उद्धव के साथ मंच पर आए हैं. अब हम लोग वो करेंगे जो बालासाहेब नहीं कर पाए. देवेंद्र फडणवीस ने ऐसा काम किया कि हम दोनों एक मंच पर आ गए.
4. एमएनएस प्रमुख ठाकरे का ये भी कहा कि महायुति सरकार द्वारा हिंदी को थोपना निरंकुश शासन लाने का छुपा हुआ एजेंडा है. मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है. हम ऐसा नहीं करने देंगे.
5. राज ठाकरे के अनुसार मैं हिंदी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन किसी भी भाषा को प्रदेश की पर थोपना उचित नहीं. महाराष्ट्र जब एकजुट होता है तो उसका असर पूरे देश में दिखता है. किसे, कौन सी भाषा सीखनी चाहिए, यह लोगों का अधिकार है, उसे जबरन थोपा नहीं जा सकता. सत्ता के बल पर लिए गए फैसले लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ होते हैं.
6. राज ठाकरे ने कहा कि यदि किसी ने महाराष्ट्र के ओर आंख उठा कर देखेगा को उनको हमारा सामना करना पड़ेगा. इसकी जरुरत नहीं थी. बीजेपी कहां से लेकर आ गई. किसी को पूछना नहीं, सिर्फ और सिर्फ सत्ता के बल पर ऐसा फैसला लेना सही नहीं. हमने तीन लेटर लिखा, मंत्री मिलने आए, मैंने साफ कह दिया कि आप जो कह रहे हैं, वो मैं सुन लूंगा, मानूंगा नहीं.
7. उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए आनंद दुबे ने कहा कि कई सालों के बाद यह सुनहरा समय आया है, जहां आज दोनों ठाकरे, जो कि अच्छी तरह से स्थापित ब्रांड हैं, एक साथ दिखाई दिए हैं. दोनों एक मंच पर राजनीति के कारण नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के सम्मान की खातिर आए हैं. एक ऐसा सम्मान जिसे बीजेपी दबाना और कुचलना चाहती है. बीजेपी महाराष्ट्र में रहना चाहती है लेकिन 'जय गुजरात' कहती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. पहले जय महाराष्ट्र कहना होगा.
8. शनिवार को मुंबई में विक्ट्री रैली के जरिए ठाकरे बंधुओं ने राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा लागू करने के दो सरकारी प्रस्तावों को वापस लेने का जश्न मनाना. हालांकि, इस रैली से कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपीएससीपी ने खुद को दूर कर लिया, जिसे ठाकरे बंधुओं के एक होने का पहला असर माना जा रहा है.
9. इससे पहले शिवसेना यूबीटी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा संयुक्त रैली के दौरान दोनों भाईयों उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दी. लोगों से कहा कि अब हम मिलकर मराठी हित की बात करेंगे.
10. महाराष्ट्र सरकार ने 16 और 17 अप्रैल को हिंदी अनिवार्य करने से जुड़े दो आदेश जारी किए थे. इसके विरोध में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को संयुक्त रैली का ऐलान किया था. 29 जून को सरकार ने दोनों आदेश रद्द कर दिए. उसके बाद उद्धव ने दावा किया था कि विपक्षी पार्टियों के विरोध की वजह से सरकार को हिंदी लागू करने का आदेश वापस लेना पड़ा.