करूर रैली हादसे में अबतक 39 लोगों की मौत, 51 ICU में भर्ती; केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट - Updates
तमिलनाडु के करूर में विजय की चुनावी रैली में भगदड़ मचने से 39 लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हो गए. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और जांच आयोग गठित किया गया है. अमित शाह, राजनाथ सिंह और अन्य नेताओं ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की. इस घटना ने राजनीतिक रैलियों में सुरक्षा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. जानें घटना का पूरा विवरण और पिछले हादसों का इतिहास.

तमिलनाडु के करूर जिले में अभिनेता और तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख विजय की चुनावी रैली अचानक मौत और मातम में बदल गई. भीड़ के बेकाबू होते ही भगदड़ मच गई, जिससे लगभग 39 लोगों की जान चली गई और 51 लोग ICU में भर्ती हैं. इस हादसे ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य और केंद्र सरकार को भी सतर्क कर दिया. चुनावी मौसम में हुई यह घटना राजनीतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है.
अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. मंत्रालय ने अपने पत्र में पूछा है कि रैली के दौरान भीड़ प्रबंधन कैसे किया गया, सुरक्षा इंतज़ाम क्या थे और हादसे के बाद राहत और बचाव की प्रक्रिया किस तरह संचालित हुई. केंद्र सरकार ने यह भी साफ किया कि घटना से जुड़े हर पहलू की जानकारी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो.
जांच आयोग करेगा तथ्य तलाश
तमिलनाडु सरकार ने रैली की भगदड़ की जांच के लिए एक विशेष आयोग गठित किया है, जिसकी अध्यक्षता एक रिटायर्ड जज करेंगे. यह आयोग यह पता लगाएगा कि रैली में भीड़ इतनी बड़ी संख्या में कैसे इकट्ठा हुई, किस स्तर पर चूक हुई और कौन इस घटना के लिए जिम्मेदार है. सूत्रों के मुताबिक, आयोग अभिनेता विजय और रैली आयोजकों से भी पूछताछ कर सकता है.
अमित शाह ने ली स्थिति की जानकारी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया दी. उन्होंने राज्यपाल आरएन रवि और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से बात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. अमित शाह ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा कि वह मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी शोक संवेदना प्रकट करते हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार हर संभव मदद के लिए तैयार है.
नेताओं ने जताया शोक और चिंता
इस हादसे पर सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी दुखी दिखे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह घटना हृदय विदारक है और निर्दोष लोगों की मौत असहनीय पीड़ा देती है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर कहा कि यह त्रासदी बेहद दुखद है. राहुल गांधी ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करते हुए परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई. वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पीड़ितों के लिए शोक संदेश दिया.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
जहां एक ओर केंद्र और विपक्ष ने पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाई, वहीं तमिलनाडु की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. सत्तारूढ़ द्रमुक ने सीधे अभिनेता विजय और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया. द्रमुक प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने कहा कि आयोजकों ने जानबूझकर कार्यक्रम को देर से शुरू किया ताकि ड्रोन शॉट्स में भीड़ अधिक दिखाई दे. उन्होंने सवाल उठाया कि जब सुरक्षा इंतज़ाम पर्याप्त नहीं थे तो इतनी बड़ी भीड़ को क्यों इकट्ठा किया गया.
हाल के वर्षों में बड़े भगदड़ हादसे
भारत में राजनीतिक रैलियों में भगदड़ कोई नई बात नहीं है. इन घटनाओं ने साबित किया है कि राजनीतिक सभाओं में सुरक्षा प्रबंधन अक्सर लचर रहता है.
- अक्टूबर 2016 (लखनऊ, यूपी) – मायावती की रैली में भगदड़, 3 मौतें और 28 घायल
- दिसंबर 2022 (आंध्र प्रदेश) – चंद्रबाबू नायडू की रैली में भगदड़, 8 लोगों की मौत
- जनवरी 2023 (आंध्र प्रदेश) – नायडू की एक और रैली में भगदड़, 3 महिलाओं की मौत
- जून 2025 (बेंगलुरु, कर्नाटक) – RCB की विजय परेड के दौरान भगदड़, 11 मौतें, 50 से ज्यादा घायल
- मई 2025 (शिरगांव, गोवा) – लैरी जात्रा (वार्षिक जुलूस) के दौरान भगदड़, 7 मौतें, 80 घायल
- फरवरी 2025 (नई दिल्ली रेलवे स्टेशन) – रात के समय भगदड़, 18 मौतें, दर्जनभर घायल
- जनवरी 2025 (प्रयागराज, महाकुंभ) – मौनी अमावस्या स्नान के दौरान भगदड़, 30 मौतें, 60 घायल
- जनवरी 2025 (तिरुमाला, आंध्र प्रदेश) – वेंकटेश्वर मंदिर में टिकट वितरण के दौरान भगदड़, 6 मौतें, दर्जनों घायल
सुरक्षा प्रबंधन पर उठे सवाल
करूर की इस घटना ने भीड़ प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आयोजकों और प्रशासन को बड़े आयोजनों से पहले सुरक्षा गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करना चाहिए. अचानक बेकाबू हुई भीड़ सिर्फ कुछ सेकंड में जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती, आपातकालीन निकासी योजना और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था हर बड़े कार्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए.
भविष्य में सबक जरूरी
यह हादसा तमिलनाडु की राजनीति ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए सबक है. चुनावी मौसम में राजनीतिक दल बड़ी रैलियों का आयोजन करते हैं, लेकिन लोगों की जान की कीमत पर कोई राजनीतिक संदेश नहीं दिया जा सकता. यह जरूरी है कि केंद्र और राज्य मिलकर ऐसी नीतियां बनाएं, जिससे बड़े आयोजनों में लोगों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बने. तभी ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकेगा.