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सबसे अमीर विधायकों की लिस्ट में टॉप पर कर्नाटक, डीके शिवकुमार का है दूसरा स्थान; जानें पहले नंबर पर कौन

कर्नाटक के 31 विधायक 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं, जिससे राज्य भारत के सबसे अमीर विधायकों की सूची में शीर्ष पर है. 1,413 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार सबसे अमीर हैं. ADR रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के 63% अरबपति विधायक केवल कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से आते हैं. क्या राजनीति अब सिर्फ अमीरों का खेल बन गई है?

सबसे अमीर विधायकों की लिस्ट में टॉप पर कर्नाटक, डीके शिवकुमार का है दूसरा स्थान; जानें पहले नंबर पर कौन
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 21 March 2025 11:19 AM IST

कर्नाटक एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह राजनीति नहीं, बल्कि विधायकों की बेशुमार दौलत है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 विधायकों की संपत्ति 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिससे कर्नाटक देश के सबसे अमीर विधायकों की लिस्ट में टॉप पर है.

1,413 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार राज्य के सबसे अमीर विधायक हैं, लेकिन पूरे देश में वे दूसरे स्थान पर आते हैं. ये आंकड़े दिखाते हैं कि कर्नाटक की राजनीति में पैसा कितना प्रभावशाली हो चुका है.

सिर्फ तीन राज्यों में 63% अरबपति विधायक!

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 119 अरबपति विधायक हैं, जिनमें से 76 (63%) सिर्फ तीन राज्यों- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से आते हैं. आंध्र प्रदेश में 27 और महाराष्ट्र में 18 अरबपति विधायक हैं, जिससे ये राज्य क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर है. यह ट्रेंड दर्शाता है कि राजनीति में पैसा और पॉवर दोनों साथ-साथ चलते हैं. खास बात यह है कि भारत के टॉप 10 सबसे अमीर विधायकों में चार कर्नाटक से आते हैं, जिनमें से कई बड़े कर्जदार भी हैं.

राजनीति में पैसे का दबदबा

कर्नाटक में विधायकों की कुल घोषित संपत्ति 14,179 करोड़ रुपये है, जो किसी भी अन्य राज्य से अधिक है. कांग्रेस विधायक प्रिय कृष्ण, जिनकी संपत्ति 1,156 करोड़ रुपये है. कर्नाटक के तीसरे सबसे अमीर विधायक हैं, लेकिन वे देश के सबसे ज्यादा कर्जदार विधायक भी बन चुके हैं. दूसरी ओर, मुंबई के घाटकोपर ईस्ट से भाजपा विधायक पराग शाह ने शिवकुमार को पीछे छोड़कर देश के सबसे अमीर विधायक का खिताब अपने नाम कर लिया है. यह दिखाता है कि राजनीतिक ताकत केवल जनता के समर्थन से नहीं, बल्कि पैसे के दम पर भी चलती है.

वेतन बढ़ाने की तैयारी में सरकार

जहां जनता महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है, वहीं कर्नाटक सरकार विधायकों का वेतन दोगुना करने और भत्तों में भारी बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है. यह तब हो रहा है जब पहले से ही राज्य के विधायकों की औसत संपत्ति 63.5 करोड़ रुपये प्रति विधायक है. रिपोर्ट बताती है कि कर्नाटक आंध्र प्रदेश से थोड़ा पीछे है, जहां औसत विधायक के पास 65 करोड़ रुपये की संपत्ति है, लेकिन महाराष्ट्र से आगे है, जहां औसत विधायक 43.44 करोड़ रुपये का मालिक है. सवाल उठता है कि क्या राजनीति अब सेवा का माध्यम रह गई है या सिर्फ अमीर बनने का एक और जरिया?

जनता के लिए चिंता का विषय

विधायकों की संपत्ति का यह खुलासा कई सवाल खड़े करता है. क्या ये नेता अपनी संपत्ति ईमानदारी से अर्जित कर रहे हैं या सत्ता का गलत फायदा उठा रहे हैं? जब आम आदमी महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा है, तब क्या इतना धनवान होना राजनीति में निष्पक्षता को प्रभावित नहीं करता? ADR की रिपोर्ट ने यह दिखाया कि राजनीति अब सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि पैसे का खेल भी बन चुकी है. ऐसे में जनता को जागरूक होने की जरूरत है ताकि वे सही नेताओं को चुनें, न कि सिर्फ अमीरों को.

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