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दूसरी जाति से प्यार की सज़ा मौत, बाप ने ही बेटी का घोंटा गला, फिर लाश को जलाकर हुआ फरार

कर्नाटक से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां दूसरी जाति में प्रेम करने की कीमत एक किशोरी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. आरोप है कि खुद उसके पिता ने 'इज्जत’ के नाम पर उसका गला घोंटकर हत्या कर दी और फिर सबूत मिटाने के लिए लाश को आग के हवाले कर फरार हो गया. इस कथित ऑनर किलिंग में परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल बताए जा रहे हैं, जो घटना के बाद से लापता हैं.

दूसरी जाति से प्यार की सज़ा मौत,  बाप ने ही बेटी का घोंटा गला, फिर लाश को जलाकर हुआ फरार
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 19 Oct 2025 6:14 PM IST

कभी-कभी जिंदगी फिल्म से भी ज्यादा खतरनाक होती है. कर्नाटक के कलबुर्गी ज़िले के मेलाकुंडा (बी) गांव में ऐसा ही एक दिल को चीर देने वाला किस्सा सामने आया, जहां 18 साल की कविता कोल्लुरा को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसने अपने दिल की सुनी थी, जाति की नहीं.

कविता को एक लड़के से प्यार हो गया था, जो दूसरी जाति से था. लेकिन इस प्यार ने उसके अपने ही घर को दुश्मन बना दिया. परिवार ने रिश्ते को "इज़्ज़त" पर धब्बा माना और वही लोग जो उसकी हिफाज़त की कसम खाते थे, उसी पिता ने अपनी ही लड़की की पहले हत्या की और फिर लाश को जला दिया.

पहले की हत्या और फिर जलाया

चार दिन पहले ये खौफनाक वारदात हुई. कविता का गला घोंटा गया और फिर उसके शव को जला दिया गया, ताकि सबूत तक न बचें. इस काम में उसके पिता और दो रिश्तेदार शामिल थे. लेकिन सच्चाई कब तक छुपती? शनिवार को जब यह राज खुला, तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया.

पुलिस ने शुरू की तलाश, आरोपी फरार

जैसे ही पुलिस को जानकारी मिली, कलबुर्गी शहर के पुलिस कमिश्नर शरणप्पा एसडी खुद मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि यह मामला जातीय दुश्मनी और पारिवारिक इज़्ज़त के नाम पर की गई हत्या का है. पुलिस ने फरहताबाद थाने में केस दर्ज कर लिया है और फरार आरोपियों की तलाश जारी है.

क्या प्यार करना गुनाह है?

कविता की कहानी खत्म हो गई, लेकिन उसकी मौत समाज से एक बड़ा सवाल पूछ रही है. क्या आज भी प्यार करना गुनाह है? क्या जाति, इज़्ज़त और परंपराओं के नाम पर इंसानियत यूं ही मरती रहेगी? पुलिस भले ही आरोपियों को पकड़ ले, लेकिन कविता जैसी लड़कियों के लिए असली इंसाफ तब होगा जब समाज अपने सोच के गले में बंधी ये पुरानी ज़ंजीरें तोड़ेगा.

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