पहाड़ों से लेकर मैदान तक आफत का अगस्त! बादल फटने और भारी बारिश से तबाही, इस महीने में कितना पहुंचा मौत का आकड़ा?
अगस्त का महीना पहाड़ों से लेकर मैदान तक आफत लेकर आया. लगातार बादल फटने, भारी बारिश और बाढ़ जैसी घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया. उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार, असम और यूपी जैसे राज्यों में कई जगहों पर भारी तबाही हुई. सड़कों का कटना, पुल बहना और गांवों का डूबना आम हो गया. इस आपदा में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों परिवार बेघर हो गए.

जम्मू-कश्मीर में शनिवार को लगातार बादल फटने और मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई. रियासी और रामबन जिलों में आए भीषण बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आकर 11 लोगों की जान चली गई. मरने वालों में एक दंपत्ति और उनके पांच बच्चे भी शामिल हैं, जो अपने पहाड़ी घर में सोते समय मिट्टी और पानी की धारा में दब गए. अगस्त महीने में अब तक जम्मू संभाग में बाढ़ और बारिश से मौतों का आंकड़ा 122 तक पहुंच चुका है.
रामबन जिले के राजगढ़ गांव में बाढ़ का पानी कई घरों और एक स्कूल को बहा ले गया. वहीं रियासी जिले के बद्दर गांव में एक ही परिवार के सात सदस्य मलबे में दफन हो गए. इस भीषण आपदा ने पूरे इलाके में दहशत और गहरी चिंता पैदा कर दी है.
रामबन में घर और स्कूल जमींदोज
रामबन जिले के दुर्गम राजगढ़ गांव में बाढ़ का पानी अचानक गाँव में घुस आया और दो घरों व एक स्कूल को पूरी तरह तबाह कर दिया. एडिशनल डीसी वरुणजीत चरक ने बताया, 'मलबे से चार शव निकाले गए हैं. एक व्यक्ति की तलाश अब भी जारी है.' मृतकों की पहचान अश्विनी शर्मा (24), द्वारका नाथ (55), वीर्ता देवी (26) और अतिथि ओम राज (38) के रूप में हुई है. जबकि नाथ की पत्नी विद्या देवी अब भी लापता हैं.
रियासी में परिवार समेत 7 लोगों की मौत
रियासी जिले के बद्दर गांव में नजीर अहमद (38), उनकी पत्नी वजीरा बेगम (35) और उनके पांच मासूम बेटे – बिलाल, मुस्तफा, आदिल, मुबारक और वसीम (आयु 5 से 13 वर्ष) – मिट्टी और पानी की तेज धारा में दबकर मारे गए. एक स्थानीय अधिकारी ने बताया, “पूरा परिवार सो रहा था जब उनका घर भूस्खलन की चपेट में आ गया. सभी को मिट्टी और पत्थरों के नीचे से निकाला गया, लेकिन कोई जिंदा नहीं बच सका.”
नेताओं ने जताया शोक, मदद का आश्वासन
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने गहरी संवेदनाएँ व्यक्त कीं और प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया. मनोज सिन्हा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “वरिष्ठ अधिकारियों से बात की और हालात का जायजा लिया. राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है.” वहीं, महबूबा मुफ्ती ने 2014 जैसी आपदा राहत पैकेज की मांग की.
यातायात और यात्रा पर असर
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर हाईवे पांचवें दिन भी बंद रहा, हालांकि शनिवार को फंसे 3,000 वाहनों को निकालने के लिए आंशिक रूप से खोला गया. वैष्णो देवी यात्रा भी लगातार पांचवें दिन निलंबित रही. कटरा में स्थानीय लोगों ने मौसम चेतावनी के बावजूद यात्रा जारी रखने पर श्राइन बोर्ड के खिलाफ विरोध जताया. 26 अगस्त को अर्धकुंवारी के पास भूस्खलन में 34 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी.
नदियों का उफान और हाई अलर्ट
झेलम, चिनाब, तवी, उज, रावी, सहार खड्ड और बसंतर जैसी नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. प्रशासन ने 2 सितंबर तक और अधिक बारिश की चेतावनी देते हुए हाई अलर्ट जारी कर दिया है. 26 अगस्त से ही स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर (जरूरी सेवाओं को छोड़कर) बंद हैं.
अगस्त का सबसे खतरनाक महीना
अगस्त का महीना जम्मू-कश्मीर के लिए सबसे भयावह साबित हुआ है.
- 14 अगस्त: किश्तवाड़ के चासोटी गांव में बादल फटने से मचैल माता यात्रा के दौरान 65 लोगों की मौत.
- 17 अगस्त: कठुआ में बाढ़ से 7 लोगों की मौत, जिनमें 5 बच्चे शामिल.
- 26 अगस्त: कटरा-अर्धकुंवारी मार्ग पर भूस्खलन से 34 तीर्थयात्रियों की मौत.
- 28 अगस्त: अखनूर सेक्टर में बीएसएफ का एक जवान बाढ़ में बह गया.