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कश्मीरियों के साथ अब यही होगा? जम्‍मू में चोर को बोनट पर बांध कर घुमाने को लेकर बवाल, फिर जिंदा हुआ मेजर गोगोई वाला मामला

जम्मू में कथित चोरी के आरोपी 24 वर्षीय युवक को पुलिस ने शर्टलेस कर जीप की बोनट पर बांधकर जुलूस निकाला. वीडियो वायरल होने पर SSP ने जांच के आदेश दिए हैं. हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने घटना की कड़ी निंदा की और 2017 के मेजर गोगोई प्रकरण से इसकी तुलना की. उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को अपमानित करना अब सिस्टम की आदत बन चुकी है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

कश्मीरियों के साथ अब यही होगा? जम्‍मू में चोर को बोनट पर बांध कर घुमाने को लेकर बवाल, फिर जिंदा हुआ मेजर गोगोई वाला मामला
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( Image Source:  X )

जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा एक 24 वर्षीय युवक को कथित चोरी के आरोप में शर्टलेस कर पुलिस जीप की बोनट पर बांधकर सरेआम घुमाने की घटना ने न सिर्फ मानवाधिकारों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि साल 2017 के उस कुख्यात मामले की यादें भी ताजा कर दी हैं, जब सेना के मेजर लीतुल गोगोई ने एक कश्मीरी युवक को अपनी जीप से बांधकर गांव-गांव घुमाया था.

इस घटना के वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त आलोचना खड़ी कर दी, जिसके बाद जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) जोगिंदर सिंह ने विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं. आरोपी युवक को जम्मू शहर के एक सरकारी अस्पताल परिसर से पकड़ा गया था, जिसे कथित रूप से चोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया, लेकिन गिरफ्तारी के बाद उसके साथ जो व्यवहार किया गया (हाथ पीछे बांधना, गले में चप्पलों की माला पहनाना और जीप की बोनट पर बैठाकर जुलूस निकालना) वह पूरे देश के लिए शर्मनाक तस्वीर बन गई.


मीरवाइज उमर फारूक का तीखा हमला

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन और कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “क्या अपने ही देश में कश्मीरियों के साथ ऐसा बर्ताव होगा? क्या उन्हें इस तरह सार्वजनिक रूप से बेइज्जत किया जाएगा?”


उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा, “यह सिर्फ उस युवक की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम और मानसिकता की बेइज्जती है जो धर्म और क्षेत्र के आधार पर लोगों को अपमानित करने में खुद को गौरवान्वित समझती है.”

फिर से उठा मेजर गोगोई प्रकरण

मीरवाइज ने सीधे तौर पर 2017 की उस घटना का जिक्र किया, जिसमें मेजर गोगोई ने एक कश्मीरी नागरिक को 'ह्यूमन शील्ड' बनाकर सेना की जीप के सामने बांध दिया था और पूरे बडगाम जिले में उसका सार्वजनिक प्रदर्शन किया था. उस समय भी यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में चर्चा में आई थी.


मीरवाइज ने कहा, “ये पहली बार नहीं है. मेजर गोगोई जैसी बर्बरता के उदाहरण पहले भी देखे जा चुके हैं. अगर यही तरीका है तो फिर लोकतंत्र और इंसानियत की बातें दिखावा भर हैं.”

राजनीतिक जवाबदेही पर उठे सवाल

मीरवाइज उमर फारूक ने केंद्र सरकार और निर्वाचित प्रतिनिधियों से मांग की कि वे इस घटना में शामिल सभी दोषियों को सजा दें और सुनिश्चित करें कि कश्मीरियों के साथ कानून के दायरे में रहते हुए व्यवहार किया जाए.


क्या यह 'न्यू कश्मीर' है?

इस घटना को लेकर कई राजनीतिक और मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाया है कि क्या यही वह 'नया कश्मीर' है, जिसकी बात सरकार करती है? एक चोरी के आरोपी के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक क्रूरता का प्रतीक भी.

विभागीय जांच क्या कर पाएगी?

अब निगाहें इस बात पर हैं कि पुलिस द्वारा शुरू की गई विभागीय जांच क्या वास्तव में निष्पक्ष होगी या फिर ये मामला भी पूर्व घटनाओं की तरह कालीन के नीचे दबा दिया जाएगा. मानवाधिकार आयोग और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग भी उठने लगी है.

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