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एक और सफल मिशन की तैयारी कर रहा इसरो, जानें क्या है 'SpaDeX'

इसरो जल्द ही स्पेस में दो सैटेलाइट्स को आपस में जोड़ने वाला है. हालांकि ये काम आसान नहीं होने वाला इसे करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. ISRO ने इस मिशन को स्पेडेक्स नाम दिया है.

एक और सफल मिशन की तैयारी कर रहा इसरो, जानें क्या है SpaDeX
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( Image Source:  Social Media: X )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 26 Dec 2024 11:20 AM IST

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) स्पेस में एक और बड़ी सफलता हासिल करने की तैयारी कर रहा है. जानकारी के मुताबिक इसरो अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को जोड़ने का काम करेगा. हालांकि ये काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है. ऐसा इसलिए स्पेस में इस समय चक्कर लगा रही दो सैटेलाइट जिसकी स्पीड बंदूक की गोली से भी 10 गुना तेज है, उसे रोककर पहले डॉक किया जाएगा इसके बाद दोनों को जोड़कर फिर से छोड़ा जाएगा.

आपको बता दें कि इसरो इस मिशन को 30 दिसंबर को लॉन्च करने वाला है. इसे 'स्पेस डॉकिंग' नाम दिया गया है. बेंगलुरू में इस मिशन की तैयारी पिछले एक दशक से भी अधिक समय से जारी है. अब तक इस तकनीक में चीन और अमेरिका ही सफलता हासिल कर पाया है. हालांकि इनमें से कोई भी इसके प्रसेस और उसमें आने वाली मुश्किलों का जिक्र नहीं करता है.

दो सैटेलाइट्स को कैसे किया जाएगा डॉक?

ISRO इस मिशन में PSLV रॉकेट की मदद लेने वाली है. ये विशेष रूप से डिजाइन किए गए दो सैटेलाइट को स्पेस में ले जाएगा. जानकारी के अनुसार इनमें एक सैटेलाइट का वजन करीब 220 किलो होने वाला है. इन्हें पृथ्वी से 470 किलोमीटर ऊपर ले जाकर डॉकिंग और अनडॉकिंग का प्रयास किया जाएगा. इसरो इस दौरान खास तौर पर तैयार किए गए डॉकिंग मकैनिसम का इस्तेमाल करने वाला है. इस मकैनिसम को 'भारतीय डॉकिंग सिस्टम' के नाम से जाना जा सकता है. इसरो ने इस डॉकिंग सिस्टम का पेटेंट ले लिया है.

इतनी होगी सैटेलाइट की स्पीड

वहीं ये दोनों सैटेलाइट लगभग 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की तेदी से ट्रैवल करेंगे. यह स्पीड किसी कमर्शियल एयरप्लेन की स्पीड से भी 36 गुना या गोली की रफ्तार से भी तेज है. स्पेशयली डिजाइन्ड रॉकेट और सेंसर के एक सेट का इस्तेमाल करके सैटेलाइट की रफ्तार को धीमा लगभग 0.0036 किलोमीटर की रफ्तार पर किया जाएगा. इनकी रफ्तार को धीमा करके इन्हें एक साथ जोड़ा जाएगा. वहीं इस पर डॉ. सोमनाथ ने कहा कि यह काफी आसान लगता है लेकिन इसे वास्तव में करना बहुत बड़ी चुनौती है. क्योंकी इसमें फिजिक्स शामिल है. साथ ही इसे करना काफी चुनौतीपूर्ण काम है.डॉ. सोमनाथ ने इसके पीछे की चैलेंजेस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि दोनों सैटेलाइट्स को एक ही ऑर्बिट में बनाए रखना है और इस दौरान इस बात का भी ख्याल रखना है कि दोनों आपस में टकराए न इस कारण इसे करना काफी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है.

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