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2035 तक होगा भारत का खुद का BAS, जानिए क्या होता है स्पेस स्टेशन और कैसे बदलेगा ग्लोबल परसपेक्टिव

2035 तक भारत अपने पहले स्पेस स्टेशन, भारत अंतरिक्ष स्टेशन (BAS), को लॉन्च करेगा. यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की स्पेस रिसर्च को नई दिशा देगा बल्कि ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री में देश को एक मजबूत पहचान दिलाएगा.

2035 तक होगा भारत का खुद का BAS, जानिए क्या होता है स्पेस स्टेशन और कैसे बदलेगा ग्लोबल परसपेक्टिव
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हाल ही में यूनियन मिनिस्टर फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड स्पेस, जितेंद्र सिंह ने अनाउंस किया कि इंडिया 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन, भारत अंतरिक्ष स्टेशन (BAS), लॉन्च करेगा. इस अनाउंसमेंट ने न सिर्फ इंडिया की स्पेस इंडस्ट्री बल्कि ग्लोबल स्पेस कम्युनिटी में भी एक्साइटमेंट क्रिएट किया है.

भारत पहले ही चंद्रयान और मंगलयान जैसे सक्सेसफुल मिशन कंप्लीट कर चुका है. अब BAS प्रोजेक्ट इंडिया को स्पेस एक्सप्लोरेशन में अगली लेवल पर ले जाएगा. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस मिशन का गोल 2040 तक एक इंडियन एस्ट्रोनॉट को मून पर भेजना भी है. ये अनाउंसमेंट इंडिया के ग्लोबल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में लीडरशिप को और स्ट्रॉन्ग बनाएगा.

स्पेस स्टेशन का इतिहास: पहले कौन से स्पेस स्टेशन थे?

स्पेस स्टेशन का कॉन्सेप्ट काफी पुराना है. सबसे पहला स्पेस स्टेशन साल्युत 1 था, जो सोवियत यूनियन ने 1971 में लॉन्च किया था. उसके बाद स्काईलैब (1973) और मीर (1986) जैसे स्टेशन आए, जिन्होंने स्पेस रिसर्च और लॉन्ग-ड्युरेशन मिशन का एक नया युग शुरू किया. पर जो सबसे ज्यादा जाना जाने वाला स्पेस स्टेशन है, वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) है. यह एक इंटरनेशनल कोलैबोरेशन का रिजल्ट है, जिसमें यूएस, रूस, यूरोप, जापान, और कनाडा ने अपनी फोर्सेस मिलाई हैं.

ISS अब तक का सबसे सक्सेसफुल और लॉन्ग-टर्म स्पेस स्टेशन है. 2000 के बाद से, हर साल, हम एस्ट्रोनॉट्स को इस स्टेशन पर भेजते हैं, और यह लगातार ऑर्बिट में है. लेकिन अब, स्पेस स्टेशनों को देखते हुए, एक मेजर क्वेश्चन यह है: भारत कब अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा?

भारत की अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा

जब ISRO ने अनाउंस किया कि भारत अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा, तब से स्पेस एंथुजियास्ट्स में एक्साइटमेंट काफी बढ़ गई थी. भारत अपने भारत अंतरिक्ष स्टेशन को 2035 तक लॉन्च करने की प्लानिंग कर रहा है. यह स्टेशन सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि पूरे साउथ एशिया का सबसे पहला स्पेस स्टेशन होगा. BAS के जरिए, भारत को अपनी स्पेस कैपेबिलिटीज को नेक्स्ट लेवल तक ले जाने का मौका मिलेगा.

क्या एडवांटेज होंगे?

साइंटिफिक रिसर्च का नया डाइमेंशन

भारत अंतरिक्ष स्टेशन पर एस्ट्रोनॉट्स को माइक्रोग्रेविटी एंवायरनमेंट में रिसर्च करने का मौका मिलेगा. यह रिसर्च मेडिकल फील्ड, मटेरियल साइंस, और एनर्जी डेवलपमेंट के लिए काफी इम्पोर्टेंट हो सकता है. जैसे ISS ने स्पेस फार्मिंग और ह्यूमन हेल्थ पर काफी काम किया है, वैसे ही BAS भी स्पेस में ह्यूमन एंड्योरेंस और टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने का एक प्लेटफॉर्म बनेगा.

इंटरनेशनल कोलैबोरेशन का नया एरा

भारत अपने स्पेस स्टेशन को ग्लोबल लेवल पर शेयर कर सकता है. यह प्लेटफॉर्म छोटे देशों के लिए भी रिसर्च करने का मौका प्रदान करेगा, जहां पर उनके पास अपने स्पेस मिशन को कंडक्ट करने का बजट या रिसोर्सेस नहीं होते. भारत की एक्सपर्टीज इन लो-कॉस्ट स्पेस मिशन्स भी इंटरनेशनल कोलैबोरेशन्स को एंकरज करेगी.

टेक्नोलॉजिकल एडवांटेज

भारत के लिए यह एक गोल्डन ऑपर्च्यूनिटी है अपनी स्पेस टेक्नोलॉजीज को एन्हांस करने की. स्पेस स्टेशन के लिए रीक्वायर टेक्नोलॉजीज को डिवेलप करने से नए इनोवेशंस और सॉल्यूशंस भी आएंगे, जो भारत की स्पेस इंडस्ट्री को फर्धर ग्रो करेंगे. जैसे, स्पेस स्टेशन को मेंटेन करना, और एस्ट्रोनॉट्स को हेल्थ मॉनिटरिंग टूल्स प्रोवाइड करना—इतने एडवांस्ड सिस्टम्स डिवेलप करने से भारत को अपने टेक सेक्टर में भी बूस्ट मिलेगा.

इकॉनोमिक बेनिफिट्स

स्पेस स्टेशन को मेंटेन करना काफी एक्सपेंसिव होते हैं, लेकिन यह भी काफी प्रॉफिटेबल होते हैं. BAS से भारत के प्राइवेट स्पेस सेक्टर को भी ग्रोथ मिलेगी. स्पेस टूरिज्म और सैटेलाइट सर्विसिंग जैसी इंडस्ट्रीज़ का राइज़ हो सकता है, जिसमें इंटरनेशनल क्लाइंट्स भी भारत की सर्विसेज़ यूज़ करेंगे.

ग्लोबल पर्सपेक्टिव: स्पेस स्टेशन और भारत

जब से स्पेस स्टेशन का कॉन्सेप्ट शुरू हुआ है, तब से यह एक बिग टिकट आइटम बन गया है. अब तक, सिर्फ कुछ ही देशों ने अपने स्पेस स्टेशन बनाए हैं. जैसे कि रूस (मीर, ISS कंट्रीब्यूशन्स), यूएसए (स्काईलैब, ISS), और चाइना (तियांगोंग). लेकिन अब भारत का स्पेस स्टेशन, भारत अंतरिक्ष स्टेशन, स्पेस एक्सप्लोरेशन के मैप पर एक नए प्वाइंट को मार्क करेगा.

भारत की स्पेस एक्सप्लोरेशन की जर्नी को देखते हुए, ग्लोबल पर्सपेक्टिव काफी इंट्रेस्टिंग है. अगर भारत अपना स्पेस स्टेशन सक्सेसफुली एस्टैब्लिश करता है, तो इससे ना सिर्फ साइंटिफिक रिसर्च में योगदान होगा, बल्कि जियोपोलिटिकल डायनैमिक्स भी चेंज हो सकते हैं. भारत, जो अब तक मोस्टली स्पेस मिशन्स के लिए NASA और Roscosmos पे डिपेंडेंट था, अपने स्पेस स्टेशन के साथ इंडिपेंडेंट मिशन्स करने में सक्षम हो जाएगा.

स्पेस डिप्लोमेसी और ग्लोबल कोऑपरेशन

भारत अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित करने के बाद, भारत का स्पेस डिप्लोमेसी लेवल और ज्यादा स्ट्रॉन्ग हो जाएगा. भारत के पास अपना स्पेस स्टेशन होने से, दूसरे देशों को रिसर्च और टेक्नोलॉजिकल एडवांटेज के लिए कोलैबोरेट करने का मौका मिलेगा. यह आगे चलकर स्पेस ट्रीटीज़ और पार्टनरशिप्स को भी शेप करेगा.

भारत की स्पेस इंडस्ट्री ग्रोथ

जब अपने स्पेस स्टेशन के पास हम ग्लोबल कंपनियों को सर्विसेज़ ऑफर करने लगेंगे, तो भारत की स्पेस इंडस्ट्री एक्सपेंड होगी. जैसे कि, स्पेसX और ब्लू ओरिजिन की तरह, भारत भी प्राइवेट सेक्टर को अपने स्पेस स्टेशन के लिए स्पेस मिशन्स, सैटेलाइट लॉन्चेज, और रिसर्च प्रोजेक्ट्स ऑफर करेगा. यह ना सिर्फ जॉब क्रिएशन को बूस्ट करेगा, बल्कि स्पेस-टेक इनोवेशन को भी प्रमोट करेगा.

भारत अंतरिक्ष स्टेशन सिर्फ एक स्पेस स्टेशन नहीं, एक सिंबल होगा भारत की स्पेस अंबीशन्स का. यह स्टेशन भारत को एक नया आइडेंटिटी देगा इन द ग्लोबल स्पेस रेस. जहां ISS एक इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है, वहीं BAS भारत का अपना ऑटोनॉमस स्पेस प्लेटफॉर्म बनेगा. यह स्टेशन ना सिर्फ साइंटिफिक रिसर्च को बूस्ट करेगा, बल्कि भारत की टेक्नोलॉजिकल ग्रोथ और इकॉनॉमिक स्ट्रेंथ को भी सॉलिडिफाई करेगा. फ्यूचर में, यह हमारे स्पेस एक्सप्लोरेशन गोल्स को रीडिफाइन करेगा, जहां भारत एक लीडर के रूप में नजर आएगा, ना सिर्फ रीजनल, बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी.

इसके जरिए, हमारी स्पेस जर्नी, जो अब तक एक डेवलपिंग नेशन के लिए एक चैलेंजिंग टास्क थी, अब एक डॉमिनेंट पोजीशन की तरफ बढ़ेगी. इंडिया की स्पेस स्टोरी सिर्फ शुरू हो रही है, और भारत अंतरिक्ष स्टेशन उस जर्नी का एक ब्राइटेस्ट चैप्टर बनेगा.

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