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ISI का 'जिहादी' गठबंधन! पहलगाम तो बस शुरुआत थी, क्‍या हमास के साथ मिलकर रची गई हमले की साजिश?

पहलगाम आतंकी हमला अब एक आम वारदात नहीं, बल्कि भारत पर ग्लोबल जिहाद का हमला माना जा रहा है. भारत सरकार के पास मौजूद खुफिया रिपोर्टों से खुलासा हुआ है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास की गहरी साजिश है.

ISI का जिहादी गठबंधन! पहलगाम तो बस शुरुआत थी, क्‍या हमास के साथ मिलकर रची गई हमले की साजिश?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 25 April 2025 5:27 PM IST

पहलगाम में हुआ आतंकी हमला अब किसी सामान्य आतंकी वारदात की तरह नहीं देखा जा रहा. भारत सरकार के पास मौजूद चौंकाने वाली खुफिया रिपोर्टों ने यह साफ कर दिया है कि यह हमला सिर्फ जम्मू-कश्मीर की शांति को नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाला एक ग्लोबल आतंकी प्लान था और इसके पीछे है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास की मिलीभगत.

रिपोर्ट के हवाले से, खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम में हुए हमले में चार आतंकियों ने हिस्सा लिया, जिनमें दो पाकिस्तान से थे और दो कश्मीरी स्थानीय युवक थे. इन सभी को POK (पाक अधिकृत कश्मीर) के आतंकी कैंपों में ट्रेनिंग दी गई थी. वहीं, इन कैंपों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के तहत हमास ने खास ‘टैक्टिकल ट्रेनिंग मॉड्यूल’ बनाया है. यह वही रणनीति है जो हमास ने 2023 में इज़राइल पर किए गए ‘अल-अक्सा फ्लड ऑपरेशन’ में अपनाई थी.

POK में जश्न: घोड़ों पर निकाली गई रैली

रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 फरवरी को ISI के आमंत्रण पर इज़राइल से छोड़े गए हमास के कुछ नेता पाकिस्तान पहुंचे और POK के रावलकोट में एक भव्य रैली में शामिल हुए. इस रैली में हमास नेताओं को ‘घोड़ों’ पर बैठाकर “मुक्तिदाता” की तरह पेश किया गया.

इस रैली में डॉ. खालिद कदूमी, डॉ. नाजी जहीर, मुफ़्ती आज़म और बिलाल अलसल्लात जैसे नेता इस रैली में मौजूद थे. साथ ही मौजूद थे लश्कर और जैश के टॉप कमांडर- तल्हा सैफ (मसूद अज़हर का भाई), असगर खान कश्मीरी और मसूद इलियास.

रैली का थीम था “कश्मीर सॉलिडेरिटी एंड हमास ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड”, जिसका मकसद साफ था, भारत और इज़राइल को एक साझा दुश्मन के रूप में दिखाना और इस्लामिक उम्मा को ‘पैन इस्लामिक जिहाद’ के लिए भड़काना.

भारत के पूर्वोत्तर को बनाया जा रहा अगला निशाना

ISI और हमास की साजिश केवल कश्मीर तक सीमित नहीं है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 7 अक्टूबर को हमास के शीर्ष नेताओं को बांग्लादेश के ढाका ले जाया गया. वहां इस्लामी संगठन ‘अल मरकजुल इस्लामी’ द्वारा एक कट्टरपंथी सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को हवा देने की योजना बनाई गई.

इस संगठन की नींव रखी थी कट्टरपंथी मुफ़्ती शाहिदुल इस्लाम ने, जिनके अल-कायदा से गहरे संबंध थे और जिन्होंने 1999 में खुलना की अहमदिया मस्जिद में बम धमाका कराया था. सम्मेलन में शामिल हुए हमास नेता शेख खालिद मिशाल, पाकिस्तान के मौलाना फज़लुर रहमान और मुफ़्ती तकी उस्मानी कट्टरपंथियों के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक रहे.

सिर्फ चेतावनी नहीं, इस बार एक्शन तय

भारत सरकार ने कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक तीनों मोर्चों पर तैयारी तेज़ कर दी है. पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं, अटारी सीमा बंद कर दी गई है, सिंधु जल संधि की समीक्षा शुरू हो चुकी है और अब सैन्य रणनीति पर भी काम शुरू हो गया है.

इज़राइल का समर्थन, वैश्विक एकता की ओर पहला कदम

हमले के तुरंत बाद जिस देश ने भारत के साथ खुलकर खड़े होने का साहस दिखाया, वह था इज़राइल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार रैली के बाद इज़राइली नेतृत्व ने भारत को ‘कंधे से कंधा मिलाकर चलने’ का संदेश दिया. यह न सिर्फ एक कूटनीतिक संकेत है, बल्कि वैश्विक आतंक के विरुद्ध एक साझा संघर्ष की शुरुआत भी.

पाकिस्तान की धरती अब सिर्फ भारत के खिलाफ जहर उगलने की जगह नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी प्रयोगशाला बन चुकी है, जहां हमास जैसे संगठनों को ट्रेनिंग दी जा रही है, जहां रैलियों में आतंकवाद का जश्न मनाया जा रहा है, और जहां से भारत के पूर्वोत्तर में हिंसा भड़काने की योजना तैयार हो रही है.

आतंकी हमला
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