सरकार युद्ध की घोषणा कब करती है? जब फेल हो जाएं ये पैंतरे, तब बजता है जंग का बिगुल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में दहशत और बौखलाहट मच गई. अपनी नाकामी से निपटने के लिए पड़ोसी मुल्क ने सरहद से सटे राज्यों पर हमला बोलकर भारत पर अटैक किया. हालांकि, भारत ने अपनी पूरी सैन्य ताकत दिखाते हुए हर एक ड्रोन को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद कहा जा रहा है कि दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है.

क्या भारत-पाकिस्तान में होगा यु्द्ध? सरकार कब बजाती है जंग का बिगुल?ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने अपना दमखम दिखाने के लिए सरहद से सटे राज्यों पर हमला किया. हालांकि, इसमें भी पड़ोसी मुल्क ने मुंह की खाई, जहां भारत के एयर डिफेंस ने एक-एक हथियार के चीथड़े उड़ा दिए. कही शहरों में ब्लैकआउट हुआ. सायरन बजने लगे और लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया.
इन सभी चीजों के बाद लोग इस डर में है कि क्या जंग शुरू हो सकती है? अब ऐसे में सवाल बनता है कि सरकार युद्ध की घोषणा कब करती है? साथ ही, जंग के एलान के पीछे कौन-कौन सी तैयारियां की जाती हैं.
क्या राष्ट्रपति करता है एलान?
जब देश पर संकट आता है और सीमा पर हालात बिगड़ने लगते हैं, तो सभी की निगाहें भारत के राष्ट्रपति की ओर उठती हैं. अनुच्छेद 53(2) के तहत राष्ट्रपति भारत के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं. यानी सेना, नौसेना और वायुसेना उनके अधीन होती है. लेकिन क्या वे अकेले फैसला लेते हैं कि युद्ध होना चाहिए या शांति? असल में संविधान ने राष्ट्रपति को ये बड़ा अधिकार तो दिया है, लेकिन यह फैसला वे अपने विवेक से नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं.
यूनियन कैबिनेट का क्या है काम
जब देश को तय करना होता है कि युद्ध में जाना है या शांति का रास्ता चुनना है, तो यह फैसला अकेले कोई नेता नहीं करता है. इसका नेतृत्व प्रधानमंत्री और उनके साथ होते हैं केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्री करते हैं, लेकिन इस बड़े फैसले से पहले रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद जैसे अहम संस्थान अपनी जानकारी, अनुभव और सलाह देते हैं.
कब होती है युद्ध की घोषणा?
देश की संप्रभुता या क्षेत्रीय अखंडता पर सीधा खतरा होने की स्थिती में सरकार युद्ध की घोषणा कर सकती है. इसके अलावा, जब सभी कूटनीतिक उपाय और बातचीत विफल हो जाएं, तो आखिरी रास्ता जंग का एलान होता है. अगर विदेशी मुल्क बार-बार आक्रमण कर रहा हो, तो इसका जवाब वॉर से दिया जाता है.
भारत के संविधान में कोई ऐसा खास नियम नहीं है जो सिर्फ "युद्ध की घोषणा" के लिए बना हो, लेकिन जब हालात बिगड़ते हैं. तब सरकार अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लागू कर सकती है. यह कदम तभी उठाया जाता है जब हालात बहुत गंभीर हो जाएं और देश की सुरक्षा खतरे में हो.