भारत में HMPV वायरस के बढ़ते मामले , अब तक 7 लोग हुए शिकार
इन दिनों देश में HMPV वायरस तेजी से फैल रहा है, जहां पहले सिर्फ 3 मामले थे, वह अब बढ़कर 7 हो गए हैं. भारत के 3 राज्यों में मामले मिले हैं. इसमें चिंता की बात नहीं है लेकिन सभी को सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है.

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ा वायरस है, जो विशेष रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है. हाल के दिनों में, भारत में HMPV के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति गंभीर नहीं है, फिर भी सतर्क रहने की जरूरत है.
भारत में अब तक 3 राज्यों में 7 मरीज पाए गए हैं- पहले बेंगलुरु में यहां 3 साल की बच्ची और 8 महीने के बच्चे में HMPV वायरल पाया गया है. दोनों बच्चे अब स्वस्थ हैं. लड़की को दिसंबर में भर्ती कराया था और अब उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है. वहीं नागपुर में 7 और 13 साल के दो बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी हालत में सुधार हो चुका है. तमिलनाडु के चेन्नई और सेलम में 2 मामले पाए गए हैं. साथ ही अहमदाबाद और राजस्थान के डूंगरपुर से आए 2 साल के बच्चे में HMPV वायरल हुआ है.
HMPV वायरस: क्या है खास?
यह वायरस पहली बार 2001 में नीदरलैंड्स में खोजा गया था.
यह मुख्य रूप से सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होता है.
कमजोर इम्यून सिस्टम वाले बच्चों और बुजुर्गों में इसका असर ज्यादा होता है.
सरकार की प्रतिक्रिया और तैयारियां
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि- सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां इस पर लगातार नजर रख रही हैं. ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय डेटा को रिव्यू कर रही है. यह वायरस नया नहीं है, और देश में रेस्पीरेटरी संबंधी बीमारियों में असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है. DGHS ने स्थिति को देखते हुए उच्चस्तरीय बैठकें आयोजित की हैं.
HMPV से बचाव के उपाय
इस वायरस से बचने के लिए बार-बार हाथ धोएं और खांसते-छींकते समय मुंह ढकें. भीड़-भाड़ वाले जगहों पर मास्क का उपयोग करें. अगर किसी को लंबे समय तक बुखार और सर्दी-जुकाम हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें. साथ ही पौष्टिक आहार लें और अच्छी नींद का ध्यान रखें.
HMPV के बढ़ते मामलों ने सतर्कता जरूर बढ़ाई है, लेकिन चिंता की बात नहीं है. सही जानकारी, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता इस वायरस को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. सरकार और स्वास्थ्य संस्थाएं तैयार हैं, और नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.