घंटों खाने को कुछ नहीं, खिड़की से झांकने पर जान से मारने की धमकी... छात्राओं ने सुनाया मुर्शिदाबाद हिंसा का आंखों देखा मंजर
Murshidabad Violence: धुलियन में उपद्रवियों ने एक स्कूल के बाहर काफी बवाल किया था. उन्होंने चारों ओर से स्कूल को घेर लिया था. इस घटना के बाद छात्राएं डरी हुईं और दोबारा स्कूल जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं. स्कूल में पढ़ने वाली एक 15 साल की छात्रा ने कहा कि मैं वो चेहरे कभी नहीं भूल सकती. हाथों में हथियार लिए कुछ लोग खिड़की से झांकने पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे.

Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नए वक्फ कानून के विरोध में लगातार तनाव बढ़ता ही जा रहा है. हाल में हुई हिंसा में तीन लोगों की मृत्यु हो गई और कई लोग घायल हो गए. उग्रवादियों ने पथराव और आगजनी की. इसके बाद इलाके से हिन्दूओं परिवार के कई परिवार पलायन करने को मजबूर हो गए. धुलियन में 11 अप्रैल को एक लड़कियों के स्कूल के बाहर सैकड़ों हथियारबंद लोग उपद्रव मचाने लगे. अब स्कूल में छात्राओं ने हिंसा की आपबीती सुनाई है.
द टेलीग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, धुलियन में हमलावरों ने स्कूल के बाहर भी काफी हंगामा किया. इस दौरान स्कूल के अंदर कक्षा 9वीं और 10वीं की करीब 300 हिंदू और मुस्लिम छात्राएं फिजिकल साइंस का पेपर देने आई थीं. अचानक बाहर दंगे जैसी स्थिति बन गई और लड़कियां अपने-अपने क्लासरूम में डर के मारे दरवाजे बंद करके बैठ गईं.
छात्राओं ने सुनाई आपबीती
- स्कूल में पढ़ने वाली एक 15 साल की छात्रा ने कहा कि मैं वो चेहरे कभी नहीं भूल सकती. हाथों में हथियार लिए कुछ लोग खिड़की से झांकने पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे.
- छात्राओं ने कहा, हम सब डरे हुए थे और भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि हमें कैसे भी सुरक्षित घर पहुंचा दें.
- स्कूल में पढ़ने वाली कई छात्राएं दूर-दूर से ग्रामीण इलाकों से आती हैं. एक लड़की रोजाना 15 किलोमीटर का सफर तय करते स्कूल पढ़ने के लिए आती थी.
- कक्षा 10वीं की एक छात्रा ने कहा, वो आठ घंटे किसी बुरे सपने जैसे थे. कई लड़कियां रो रही थीं. हमें लगा हम कभी घर नहीं लौट पाएंगे. उसने बताया कि स्कूल स्टाफ ने बिस्कुट के कुछ पैकेट जुटाए, लेकिन वो काफी नहीं थे.
- एक 9वीं की छात्रा ने कहा, हम 12 घंटे भूखे थे, लेकिन भूख महसूस ही नहीं हुई. बस ये डर था कि हम इस आग-धुएं और चीख-पुकार से कैसे बाहर निकलेंगे.
- वहीं कुछ लड़कियों ने कहा कि वे अब भी सदमे में हैं और स्कूल दोबारा खुलने पर लौटने का साहस नहीं जुटा पा रहीं.
स्कूल प्रशासन का बयान
स्कूल की हेडमिस्ट्रेस काकाली घोष हिंसा के बारे में आंखों देखा हाल बताया. घोष ने कहा, स्कूल में कुल 2600 छात्राएं और 27 शिक्षक हैं. उस दिन लड़कियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी. उपद्रवी स्कूल के अंदर तो नहीं घुसे, लेकिन दीवार फांदना उनके लिए मुश्किल नहीं होता. स्कूल में सिर्फ एक पुरुष स्टाफ था, वो भी नॉन-टीचिंग. हम बिल्कुल असहाय थे.
घोष बताया कि उन्होंने पुलिस और ब्लॉक अधिकारियों को कई बार फोन किया, लेकिन रात 10:30 बजे के बाद ही मदद पहुंची. पुलिस ने लड़कियों को घर छोड़ा, और आखिरी बैच रात 12:30 बजे रवाना हुआ. अब स्कूल को बीएसएफ कैंप में बदल दिया गया है. पढ़ाई और परीक्षा फिलहाल बंद है. शिक्षकों का कहना है कि लड़कियां इस सदमे से उबरने में वक्त लेंगी. घोष ने कहा, हम स्कूल दोबारा शुरू होने पर छात्राओं की काउंसलिंग करवाएंगे और अभिभावकों से भी सहयोग की अपील करेंगे. घोष ने बताया, ये बच्चियां 12 अप्रैल तक हॉस्टल में रहीं और 13 अप्रैल को उन्हें घर भेजा गया.