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Drone Warfare School में तैयार हो रहे देश के ड्रोन कमांडो और वॉरियर्स, सीमा पर होगी अचूक निगरानी

BSF ने टेकनपुर में ‘School of Drone Warfare’ शुरू कर सीमाओं की सुरक्षा के लिए ड्रोन कमांडो और ड्रोन वॉरियर्स तैयार करना शुरू किया है. अगले पांच हफ्तों में पहला बैच प्रशिक्षित होगा. प्रशिक्षुओं को ड्रोन उड़ाना, निगरानी, एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी, रियल-टाइम डेटा विश्लेषण और हमलावर व रक्षात्मक रणनीतियों में प्रशिक्षित किया जा रहा है. BSF IITs के साथ मिलकर देशी ड्रोन विकसित कर रहा है. ये कमांडो ड्रोन घुसपैठ, तस्करी और साजिशों का प्रभावी मुकाबला करेंगे.

Drone Warfare School में तैयार हो रहे देश के ड्रोन कमांडो और वॉरियर्स, सीमा पर होगी अचूक निगरानी
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( Image Source:  X/@BSF_India )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 22 Sept 2025 2:11 PM IST

भारत अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा के क्षेत्र में एक नए युग में कदम रख चुका है. सीमाओं पर हाई-टेक निगरानी और आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने मध्य प्रदेश के टेकनपुर में School of Drone Warfare की स्थापना की है. यह पहला ऐसा प्रशिक्षण संस्थान है, जहां जवानों को ड्रोन कमांडो और ड्रोन वॉरियर्स के रूप में तैयार किया जा रहा है. अगले पांच हफ्तों में इस विशेष स्कूल का पहला बैच अपने प्रशिक्षण को पूरा कर आधुनिक ड्रोन ऑपरेशन, निगरानी, एंटी-ड्रोन तकनीक और रियल-टाइम डेटा विश्लेषण में माहिर बनकर सीमाओं की रक्षा में योगदान देगा.

इस पहल का भारत के लिए विशेष महत्व है क्योंकि अब देश की सीमाएं केवल जवानों और पारंपरिक हथियारों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि ड्रोन तकनीक से लैस अत्याधुनिक कमांडो उन्हें सुरक्षित बनाएंगे. Operation Sindoor और रूस-यूक्रेन युद्ध से मिली सीखों को ध्यान में रखते हुए, BSF अपने जवानों को युद्ध के नए आयामों में दक्ष बनाने के लिए तैयार कर रहा है. यह कदम न केवल देश की सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का भी प्रतीक है, जिस पर हर भारतीय गर्व महसूस कर सकता है.

ड्रोन कमांडो और ड्रोन वॉरियर्स: कौन हैं ये सैनिक?

BSF ने दो मुख्य श्रेणियों में जवानों की ट्रेनिंग शुरू की है:

  • ड्रोन कमांडो (Drone Commandos) - जवान जो सीमाओं पर ड्रोन उड़ाने, निगरानी और दुश्मन के UAV (Unmanned Aerial Vehicle) को रोकने और नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होंगे.
  • ड्रोन वॉरियर्स (Drone Warriors) - अधिकारी स्तर पर प्रशिक्षित टीम, जो रणनीतिक स्तर पर ड्रोन युद्ध संचालन की योजना और अमल करेंगी.

पहले बैच में 47 सैनिक अगले पांच हफ्तों में ‘ड्रोन कमांडो’ बनकर स्कूल से निकलेंगे. इस पहल के पीछे ऑपरेशन सिंदूर की रणनीतिक सीख और रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन के उपयोग से मिली प्रेरणा है. BSF का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अब युद्ध सिर्फ टैंकों और राइफलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ड्रोन व्यक्तिगत हथियार की तरह इस्तेमाल होंगे.

Image Credit: X/@BSF_India

ट्रेनिंग और प्रशिक्षण का स्तर

School of Drone Warfare तीन प्रमुख विंग्स में काम करता है:

  • फ्लाइंग और पायलटिंग - ड्रोन उड़ाना, उड़ान नियंत्रण और तकनीकी संचालन.
  • टैक्टिक्स – रक्षात्मक और आक्रमक ऑपरेशन की योजना.
  • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) - ड्रोन तकनीक, हथियारों के समाकलन और AI आधारित सिस्टम.

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ADG BSF, शमशेर सिंह कहते हैं, “हम चाहते हैं कि हमारे जवान 15 सेकंड में INSAS राइफल को डिस्मेंटल और री-असेंबल करने जितना दक्षता ड्रोन में भी हासिल करें. उन्हें ड्रोन उड़ाने, मरम्मत करने, आक्रमक और रक्षात्मक संचालन करने में माहिर होना चाहिए.”

वहीं स्‍कूल के प्रमुख ब्रिगेडियर रूपिंदर सिंह ने बताया कि कोर्स में ड्रोन उड़ाने, तकनीकी समझ, और सामरिक प्रशिक्षण शामिल है. IG BSF अकादमी उमेद सिंह ने कहा कि प्रशिक्षक तैयार किए जा रहे हैं जो फील्ड यूनिट्स में जाकर ड्रोन तकनीक और संचालन सिखाएंगे. अब सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में ड्रोन पर ओरिएंटेशन अनिवार्य कर दिया गया है.

ड्रोन ऑपरेशन और सीमा सुरक्षा

ड्रोन कमांडो की जिम्मेदारियों में शामिल हैं:

  • निगरानी और सर्विलांस: सीमाओं पर 24x7 ड्रोन उड़ाकर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना.
  • दुश्मन के ड्रोन को रोकना: अगर कोई ड्रोन भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश करता है, तो उसे ट्रैक और जाम करना या मार गिराना.
  • रियल-टाइम डेटा एनालिसिस: ड्रोन से मिले वीडियो और डेटा का तुरंत विश्लेषण और ग्राउंड यूनिट्स को अलर्ट भेजना.
  • एंटी-ड्रोन तकनीक: रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर और अन्य एडवांस सिस्टम का इस्तेमाल.
  • सेंसिटिव बॉर्डर पोस्ट पर तैनाती: खासकर पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में जहां ड्रोन गतिविधियां ज्यादा हैं.

इन कमांडो की ट्रेनिंग इस तरह की जा रही है कि वे ड्रोन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकें. जरूरत पड़ने पर ड्रोन से निगरानी करने, दुश्मन ड्रोन को निष्क्रिय करने और यहां तक कि बम गिराने का काम कर सकें.

Image Credit: X/@BsfAcademyIndia

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन

BSF ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, दिल्ली और कानपुर के साथ मिलकर इंडिजिनस ड्रोन विकास पर काम शुरू किया है. इसमें शामिल हैं:

  • हथियार और बम के साथ ड्रोन रिफिटिंग
  • उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरों का माउंटिंग

नोइसलेस ड्रोन और AI आधारित ड्रोन टेक्नोलॉजी

Rustam Ji Institute of Technology में BSF ने Drone Technology Lab की स्थापना की है, जो UAV से प्राप्त डेटा और फॉरेंसिक एनालिसिस पर काम कर रही है. पुलिस टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर भी ऑफेंसिव ड्रोन ऑपरेशन विकसित कर रहा है. BSF का कहना है कि तेज़-उड़ने वाले ड्रोन जो 500 किमी की दूरी पर सर्विलांस कर सकते हैं, भविष्य में सीमा सुरक्षा का अहम हिस्सा होंगे. ये ड्रोन बार्ड वायर फेंस को देख सकते हैं, अन्य ड्रोन लॉन्च कर सकते हैं या 200 किलो तक का पेलोड ले जा सकते हैं.

भविष्य की तैयारियां

BSF ड्रोन कमांडो को सीमाओं पर न सिर्फ निगरानी बल्कि ड्रोन घुसपैठ, हथियार और ड्रग्स तस्करी जैसे खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयार कर रही है. विशेष रूप से पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के ज़रिए हथियार, ड्रग्स और नकली करेंसी की तस्करी के मामलों को रोकना प्राथमिक लक्ष्य है.

इस पूरी ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी पहल का मकसद है BSF को सीमाओं पर आधुनिक युद्ध और ड्रोन आधारित खतरों के लिए तैयार करना. ड्रोन कमांडो अब भारत की सुरक्षा का एक अहम हिस्सा बन रहे हैं, जो न केवल निगरानी बल्कि सक्रिय मुकाबला और रियल-टाइम डेटा विश्लेषण में माहिर होंगे.

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