एक सरपंच की हत्या ने कैसे हिला दी महाराष्ट्र सरकार के ताकतवर मंत्री धनंजय मुंडे की कुर्सी?
महाराष्ट्र के संतोष देशमुख हत्याकांड ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है. अपहरण, फिरौती और हत्या के इस मामले में धनंजय मुंडे के करीबी वाल्मिक करड के नाम जुड़ने के बाद सीएम फडणवीस ने मुंडे से इस्तीफा मांगा. इस घटना में सुदर्शन घुले और उसके साथियों की बर्बरता सामने आई, जिससे महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ गया. अंततः मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा.

महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचाने वाले संतोष देशमुख हत्याकांड ने न केवल सत्ता के गलियारों में भूचाल ला दिया बल्कि जनता के मन में भी सवालों की लहर दौड़ा दी. मंत्री धनंजय मुंडे का इस्तीफा इस कांड से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें पद छोड़ने को कहा, तो यह साफ हो गया कि मामला बेहद गंभीर था. आइये जानते हैं कि यह पूरा प्रकरण कैसे शुरू हुआ?
28 नवंबर 2024, यह वही तारीख थी जब इस साजिश की नींव रखी गई. विंड मिल कंपनी के कर्मचारियों का अपहरण किया गया, बदले में दो करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई. धमकी दी गई कि यदि पैसा नहीं दिया गया, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. जब फिरौती नहीं मिली, तो सुदर्शन घुले और उसके साथी सीधे फैक्ट्री साइट पर पहुंचे, जहां पहले से कई सुरक्षा गार्ड और कर्मचारी मौजूद थे. घुले और उसके गुर्गों ने वहां जमकर उत्पात मचाया, लेकिन तभी गांव के सरपंच संतोष देशमुख को इस घटना की भनक लग गई.
दुश्मनी की कैसे हुई शुरुआत?
देशमुख ने बिना समय गंवाए कुछ ग्रामीणों को इकट्ठा किया और मौके पर पहुंच गए. घुले और देशमुख के बीच तीखी बहस हुई, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई. पुलिस ने बीच-बचाव कर सुदर्शन घुले को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कुछ ही समय बाद उसे जमानत मिल गई. इस घटना ने घुले के भीतर बदले की आग भड़का दी. उसने ठान लिया कि संतोष देशमुख को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
बदले की आग ने की हत्या की साजिश
9 दिसंबर 2024 को सुदर्शन घुले और उसके गुर्गों ने देशमुख की गाड़ी को घेर लिया और उनका अपहरण कर लिया. कुछ घंटों बाद ही उनके शव के मिलने की खबर आई. लेकिन यह केवल हत्या नहीं थी, बल्कि एक ऐसी हैवानियत थी जिसे सुनकर रूह कांप जाए.
हैवानियत की हदें पार
हत्या की तस्वीरें सामने आईं, जिनमें दिखा कि कैसे संतोष देशमुख को पहले बुरी तरह पीटा गया. आरोपी जयराम चाटे ने उनके कपड़े फाड़ दिए, महेश केदार ने उन पर हंसते हुए सेल्फी ली. जब उसने पानी की मांग की तो प्रतीक घुले ने उनके मुंह पर पेशाब किया, लोहे की रॉड से उनकी बेरहमी से पिटाई की गई और अंत में तार से उनकी पीठ छलनी कर दी गई. इतने से भी मन नहीं भरा तो आरोपियों ने मरते दम तक उसे कार से बांधकर घसीटता रहा.
नाम आने के बाद मची खलबली
जांच के दौरान एक और नाम सामने आया वाल्मिक करड, जो धनंजय मुंडे का करीबी था. करड की गिरफ्तारी के बाद मुंडे पर भी सवाल उठने लगे, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ गया. आखिरकार, मुख्यमंत्री फडणवीस के निर्देश के बाद धनंजय मुंडे को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस कांड ने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को हिला कर रख दिया, बल्कि सत्ता, अपराध और बदले की भयावह सच्चाई को भी उजागर कर दिया.