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सरपंच हत्याकांड को लेकर धनंजय मुंडे ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा, CM फडणवीस और अजित पवार ने लिया फैसला

विवादों में घिरे महाराष्ट्र सरकार के मंत्री धनंजय मुंडे ने इस्तीफा दे दिया है. बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड में नाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें पद छोड़ने को कहा. बताया जा रहा है कि मुंडे अपनी बीमारी बेल्स पाल्सी का हवाला देकर इस्तीफा देंगे. विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा था.

सरपंच हत्याकांड को लेकर धनंजय मुंडे ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा, CM फडणवीस और अजित पवार ने लिया फैसला
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 4 March 2025 11:48 AM IST

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता धनंजय मुंडे ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था. बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड में नाम जुड़ने के बाद से सरकार पर भारी दबाव था, जिसके चलते यह फैसला लिया गया.

इससे पहले, सीएम फडणवीस ने एनसीपी के साथ एक अहम बैठक की. इस बैठक के दौरान फडणवीस खुद अजित पवार के निवास पर पहुंचे थे. माना जा रहा है कि इसी बैठक में धनंजय मुंडे को इस्तीफा देने के निर्देश दिए गए. सरकार पर विपक्ष का भी दबाव लगातार बढ़ रहा था, जो इस निर्णय की मुख्य वजहों में से एक माना जा रहा है.

बीमारी की बात कहकर देंगे इस्तीफा

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, धनंजय मुंडे अपनी बीमारी को आधार बनाकर इस्तीफा दे सकते हैं. उन्हें बेल्स पाल्सी नामक बीमारी हो गई है, जिससे बोलने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि मुंडे इस बीमारी का हवाला देकर पद से हट सकते हैं. हालांकि, अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, इसलिए इसे सिर्फ संभावनाएं ही माना जा रहा है.

सरपंच की हत्या में आया नाम

बता दें, बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में धनंजय मुंडे का नाम सामने आया था. विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार आक्रामक रुख अपना रहा था और मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा था. राज्य सरकार पर बढ़ते राजनीतिक और जनदबाव के चलते मुंडे का मंत्री पद से हटना तय माना जा रहा था.

धनंजय मुंडे का इस्तीफा महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है. एनसीपी (अजित पवार गुट) में इस घटनाक्रम के बाद अंदरूनी समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं. वहीं, बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के लिए यह फैसला आगामी चुनावों से पहले सरकार की छवि को सुधारने का एक प्रयास माना जा रहा है.

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